नफरत

 नफरतों के बाजार से....


जो हमसे विनावजह

द्वेष , नफरत करते है ,

हमारे खिलाफ हमेशा

नफरत का जालिम 

जहर फैलाते है ,

उनसे सदा के लिए

संबंध विच्छेद किजिए 

और सदा के लिए उनसे

दूर चले जाईये !

उनकी छाँव से भी 

हमेशा बचके रहिए !


उनके घर जाना तो

दूर की बात है !


इसमें ही हमारी भलाई है !

इसी में ही हमारा 

आत्मकल्याण भी है !


नफरतों के बाजार से

हमेशा बचके रहिए !


हरी ओम्


विनोदकुमार महाजन

Comments

Popular posts from this blog

ऊँ कालभैरवाय नम :

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र