मोहमाया
*महापुरूषों के रिश्तेदार ?*
✍️ २४१६
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साधारणतः सभी सिध्दपुरूष , महापुरुष , अवतारी पुरूष
सभी प्रकार के मोहमाया से और मोहमई दुनिया से दूर रहना ही पसंद करते है !
इसिलिए सभी महापुरूषों ने सदा के लिए , घरदार , रिश्तेनातों का झूठा अडंबर छोड ही दिया है...ऐसे अनेकों उदाहरण देखने को मिलेंगे !
" जगन्मिथ्या ब्रम्हंसत्य ! "
उसी उक्ती का स्विकार करके ही अनेक महापुरुष अपना जीवन बिताते है !
इसिलिए सदा के लिए मायावी दुनिया के रिश्तेनातों का ऐसे महापुरुष त्याग ही कर देते है !
इसिलिए अनेक महापुरुष जीवनभर के लिए अकेला ही रहना पसंद करते है !
ना कभी रिश्तेदारों के यहाँ आजीवन जाते है ! और ऐसे महापुरूषों के रिश्तेदार कौन ? यह बात भी साधारणतः किसी को पता नहीं होती है !
आद्य शंकराचार्य , स्वामी विवेकानंद , संत ज्ञानेश्वर , संत तुकाराम जैसे अनेक महान विभुतियों ने झूठे रिश्तेनातों का और मोहमई दुनिया का सदा के लिए , त्याग ही किया हुवा दिखाई देता है !
उच्च कोटी का बैराग्य भी यही दिखाता है !
मगर साधारणतः यह बात भी सत्य है की , कोई भी रिश्तेदार , ऐसे महापुरूषों का उनकी मुसिबतों की घडी में ना सहयोग करते है , सच्चा ,निरपेक्ष प्रेम करना या मिलना तो बहुत दूर की बात है !
उल्टा अनेक बार , समाज , रिश्तेनाते अनेक बार , अनेक महापुरूषों को , हमेशा खून के आँसू ही रूलाते है !
*नियती भी बडी अजीब और विचित्र होती है !*
खैर !
नशीब अपना अपना !
प्रारब्ध का खेल भी हर एक प्राणीयों का अलग अलग !
और इसिलिए ,
सुखदुखों का बाजार छोडके ,सभी रिश्तेनातों का त्याग करके , सभी प्रकार के मोहमाया त्यागकर....
स्थितप्रज्ञ बनना भी...?
महाकठीण !!?
स्तुती नींदा समसमान !
मानअपमान समसमान !
सुखदुख समसमान !
अमीरी गरीबी समसमान !
यही है सभी सुखों का भंडार !
और ?
ईश्वरी शक्ती से एकरूपता !!
हरी ओम्
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*विनोदकुमार महाजन*
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