ईश्वर

 ईश्वर कहाँ है ?

✍️ २४१४


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पृथ्वी के गर्भ में

अखंड उबलती लाव्हा

किसने बनाई ?

मेरे भगवान ने !

सूरज के आग के गोले

किसने बनाये ?

मेरे ही ईश्वर ने !

चंद्र के गुरूत्वाकर्षण का

संबंध ? पृथ्वी के समंदर के

पाणी से , किसने बनाया ?

मेरे ही प्रभु परमात्मा ने !

सृष्टी की अद्भुत रचना

किसने बनाई ?

मेरे परमात्मा ने !

सजीवों के जन्म मृत्यु का

अद्भुत रहस्य , 

किसने बनाया ?

मेरे दयालु परमेश्वर ने !


फिर भी अल्पबुद्धि मुर्ख और

अहंकारी मनुष्य , पूछता है ?

कहाँ है ईश्वर ? दिखाओ जरा ?


अरे अकल के अंधे मुर्ख प्राणी

रोम रोम में बसा है मेरा राम !

कंकर कंकर में है मेरा ही शंकर !

पग पग पर है मेरा दयालू भगवान !


ईश्वर का अस्तित्व पूंछनेवाले

महामुर्ख ? अकल के अंधे ?

आँख होकर भी अंधा कैसा ?

ईश्वर का और ईश्वरी शक्ती का

अद्भुत रहस्य तो , चौबिसों घंटे ,

चर्मचक्षु से और ? ज्ञानचक्षु से भी....दिखाई ही देता है !


इसिलिए बंदे , आना है तुझे ईश्वर के शरण में !

और...

सनातन का रास्ता तू स्विकार !

हो जायेगा जीवन का सारा अंधेरा दूर !

समाप्त होगा तेरे जीवन का सारा हाहाकार !

भगवान के शरण में ही होते है अनेक चमत्कार !

सत्य सनातन ही है सभी सजीवों के जीवन का आधार !


सत्य सनातन में ही है , 

भौतिक - आत्मीक - आध्यात्मिक सभी सुखों का भंडार !


तो पगले ? व्यर्थ इधर उधर क्यों भटकता है ? 

कर ले सनातन का स्विकार !


हरी ओम्


विनोदकुमार महाजन


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