एक धर्म ??
एक धर्म ???
✍️ २४२२
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संपूर्ण विश्वपटल पर एक
धर्म ( ? ) है !
वास्तव में वह खुद को धर्म
कहलाता है !
मगर वह धर्म है ही नहीं है !
*धर्म के नाम पर पूरा का पूरा अधर्म ही है !*
सबकुछ हाहाकार है , उन्माद है ,
क्रौर्य है , अमानवीयता है ,हैवानियत है ,सैतानी राज है !
पाप का भयंकर थैमान है ,
पाप का भयावह ,भयानक आतंक है !
सब के सब ईश्वर के और ईश्वरी सिध्दांतों के विरूद्ध ,उल्टा आचरण करनेवाले ,भयावह आसुर , राक्षस !
*क्या मेरी यह बात आप सभी को मंजूर है ?*
और एक महत्वपूर्ण बात आज आप सभी को बताता हूं...
जो भी पैशाचिक सिध्दांत ,ईश्वरी सिध्दांतों के विरूद्ध चलता है...
उसी का अंत भी ईश्वरी सिध्दांतों से ही , खुद ईश्वर ,नियती और निसर्ग कर ही देती है !
और यह मेरा वैयक्तिक मत नहीं है तो...
संपूर्ण ब्रम्हांड का ,सृष्टी का और अनायासे संपूर्ण धरती का ,अर्थात पृथ्वी का भी सिध्दांत है !
और इसी ईश्वरी सिध्दांतों के आधार पर , आज मैं दावे के साथ कहता हूं की ...
ऐसे भयावह पैशाचिक ,राक्षसी तथा आसुरिक सिध्दांतों का सर्वनाश भी...
*संपूर्ण सर्वनाश...*
*नजदीक ही है !*
आगे आगे देखिए...
होता है क्या ?
मानवता के शत्रु ,सजीवों के शत्रु , कुदरत के कानून के शत्रूओं का अंत.....
*बहुत ही जल्द होनेवाला ही है !*
सबकुछ ईश्वरी इच्छा के अनुसार और अदृश्य रूप से हो रहा है !
*होनी को कौन टाल सकेगा ?*
।। *प्रभुरइच्छा बर्लियसी ।।*
*हरी ओम्*
*ईश्वरीकृपाप्राप्त*
*विनोदकुमार महाजन*
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