दूसरों का दुखदर्द
*दूसरों का दुखदर्द !?*
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दूसरों का दुखदर्द समझो !
दूसरों का दुखदर्द जानो !
उसके दुखदर्द में सहायक बनो !
तो ईश्वर भी तुम्हारा हरपल सहायक बनकर ही रहेगा !
अगर विनावजह किसी को
पीडा , तकलीफ ,दुखदर्द देंगे ,
उसके मुसिबतों में सहायता करने के बजाए ,
उल्टा उसको ही मुसिबतों में डालेंगे तो....?
ईश्वर भी तुम्हारे पिछे मुसिबतों का दौर लगातार छोडता रहेगा !
दूसरों के दुखदर्द में कुछ कारणवश अगर सहायक नहीं बन सकते हो तो भी चलेगा !
मगर उसके मुसिबतों के दौर में
पीडादायक तो मत बनो !
याद रखिए....
बुरा वक्त सभीपर आता ही है !
इसीलिए हमेशा नम्र , शालीन ,
अहंकार शून्य बनकर , दूसरों को यथासंभव सहायक बनकर ही
जीवन का हर दिन गुजारने में ही
ईश्वरी आनंद प्राप्त होगा और जीवन का उद्देश्य भी साध्य होगा !
हरी ओम्
जय श्रीकृष्णा
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*विनोदकुमार महाजन*
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