दूसरों का दुखदर्द

 *दूसरों का दुखदर्द !?* 


✍️ २४२५


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दूसरों का दुखदर्द समझो !

दूसरों का दुखदर्द जानो !

उसके दुखदर्द में सहायक बनो !

तो ईश्वर भी तुम्हारा हरपल सहायक बनकर ही रहेगा !


अगर विनावजह किसी को

पीडा , तकलीफ ,दुखदर्द देंगे ,

उसके मुसिबतों में सहायता करने के बजाए ,

उल्टा उसको ही मुसिबतों में डालेंगे तो....?

ईश्वर भी तुम्हारे पिछे मुसिबतों का दौर लगातार छोडता रहेगा !


दूसरों के दुखदर्द में कुछ कारणवश अगर सहायक नहीं बन सकते हो तो भी चलेगा !

मगर उसके मुसिबतों के दौर में

पीडादायक तो मत बनो !


याद रखिए....

बुरा वक्त सभीपर आता ही है !


इसीलिए हमेशा नम्र , शालीन ,

अहंकार शून्य बनकर , दूसरों को यथासंभव सहायक बनकर ही

जीवन का हर दिन गुजारने में ही

ईश्वरी आनंद प्राप्त होगा और जीवन का उद्देश्य भी साध्य होगा !


हरी ओम्

जय श्रीकृष्णा


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 *विनोदकुमार महाजन*

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