बैरागी

 *विश्व का सबसे महान बैरागी : -* 

 *नरेंद्र मोदी !!*

✍️ २४१५


 *विनोदकुमार महाजन*


🙏🙏🙏🙏🕉


मन का बैराग्य मतलब सभी प्रकार की मोहमाया का संपूर्णतः त्याग और ईश्वरी चरणों में संपूर्ण समर्पित जीवन !

लोभ , मोह ,अहंकार का संपूर्णतः त्याग !


वही सच्चा बैरागी होता है !

और जब देश का प्रधान ही उपरी निर्देशित सभी गुणों से संपन्न होता है ,तब संपूर्ण देश ,दस दिशाओं से , वेगवान गती से , सभी क्षेत्रों में , तेजीसे दौडने लगता है !


और आज संपूर्ण भारतीयों के सौभाग्य से , आज हमें सर्वोच्च सत्तास्थान पर विराजमान , प्रधान व्यक्ति , खुद को देश का प्रधानमंत्री ना कहकर , बडे विनम्रता से और शालीनता से , खुद को , देश का और संपूर्ण देशवासियों का प्रधानसेवक कहलाता है !


सचमुच में संपूर्ण भारतीयों के लिए , तथा विश्व के कोने कोने में फैले हुए , तमाम भारतीयों के लिए , यह अत्यंत गर्व का तथा हर्ष का विषय है !


मोदिजी की विशेषता यह है की , सर्वोच्च सत्तास्थान पर विराजमान होकर भी , सभी प्रकार का राजऐश्वर्य होकर भी , उनके अंदर एक प्रतिशत का भी गर्व , अहंकार नहीं है ! मोह , लालच नहीं है !

उल्टा संपूर्ण समर्पित भाव से ,बडी विनम्रता से ,सभी को हाथ जोडकर , संपूर्ण देशवासियों को , बडे तेज गती से , विकास की ओर , निरंतर ले जाना ही उनकी विशेषता है !


सचमुच में मन का कितना बडप्पन और उच्च कोटि की शालिनता है ये उनके अंदर ?

चेहरे पर एक प्रतिशत भी गर्व , अहंकार का भाव नहीं है ! चेहरे पर चौबीसों घंटे , उच्च कोटि का ,संपूर्ण समर्पित भाव !


उनके मन के अंदर परकाया प्रवेश करके देखते है तो , क्या दिखाई देता है ?

उच्च कोटि की स्थितप्रज्ञता , उच्च कोटि के शांती का भंडार ,

देश की विपरीत स्थितीयों में भी , निश्चल मन से , देश को आगे ले जाने की संपूर्ण क्षमता !

यह सब क्या दर्शाता है ?


हम सभी देशवासियों का परम सौभाग्य !


सदियों बाद , हमारे सौभाग्य से ,

हमारे देश के लिए ,ऐसा ईश्वरी कृपाप्राप्त , स्थितप्रज्ञ महात्मा , बडे सौभाग्य से प्राप्त हुवा है !


लगभग , पैंतीस सालों तक , जिस महात्मा ने , भिक्षा माँगकर , खुद का उदर निर्वाह किया है , उस महात्मा के अंदर , सचमुच में कौनसा मोह ,माया , अहंकार रह सकता है ?


सभी के कल्याण के लिए , संपूर्णतः उच्च कोटि का प्रेमभाव ,उच्च कोटि का समर्पण भाव ,ईश्वर के प्रती उच्च कोटि की श्रद्धा और संपूर्ण देशवासियों के प्रति तथा संपूर्ण विश्वमानव तथा संपूर्ण सजीवों के प्रति उच्च कोटि का प्रेमभाव और दयाभाव !

यह सबकुछ क्या दर्शाता है ?


ऐसी उच्च कोटि की स्थिति प्राप्त करने के लिए , सचमुच में , उन्होंने कितना बडा त्याग , सहनशीलता , आत्मक्लेश , अपमान झेले होंगे ?


सचमुच में मोदिजी नाम का रसायन , एक आश्चर्य है !

अनादी - अनंत ईश्वरी शक्तियों का अंत लगाना , साधारण व्यक्तियों के लिए , असंभव होता है , ठीक इसी प्रकार से , मोदिजी के सर्वश्रेष्ठ , ईश्वरी गुणों तक पहुंचना असंभव है !


राजसत्ता का सर्वोच्च स्थान प्राप्त होने के बावजूद भी , लोभ , मोह , अहंकार का उनका संपूर्ण त्याग , 

सभी के प्रति उच्च कोटि का प्रेमभाव , सभी के कल्याण की सर्वोच्च कामना और फिर भी विरक्ति का , उच्च कोटि के बैराग्य का , समर्पित भाव !


सबकुछ आश्चर्य !


ऐसे महात्मा के प्रति भी अगर कोई बैरभाव रखता है , चंद लाभों के लिए , अगर मोदिजी से कोई नफरत करता है , तो ?

निश्चित रूप से , ऐसा व्यक्ति , इंन्सान कहने के लायक भी नहीं है !


जी हाँ !


भगवान श्रीकृष्ण ने ,भगवत् गीता में ...


 *यदा यदा ही धर्मस्य....* 


का अभिवचन दिया है ,

उसकी प्रचिती , मोदिजी को देखकर हरपल आती है !

उनके हर क्षण के उच्च आचरण से भी ! 

उनके हर निर्णयों पर भी !

उनके उच्च कोटि के हर निर्णयों से भी !


मोदिजी के सानिध्य में प्रत्यक्ष रहने का सौभाग्य जिसे भी प्राप्त होगा ,सचमुच में ऐसा व्यक्ति भी ईश्वरीकृपाप्राप्त व्यक्ति ही होगा !


अर्जुन को भी भगवान श्रीकृष्ण का सानिध्य प्राप्त हुवा !

और दुर्योधन को भी !

मगर अर्जुन भगवान सौभाग्यशाली रहा !

क्योंकि अर्जुन कृष्ण का प्रेमभाव समझ सका !


और दुर्योधन ?


ठीक ऐसे ही आज मोदिजी के आसपास कुछ भाग्यशाली अर्जुन भी रहते है !


तो कुछ दुर्योधन भी ?


आखिर प्रारब्ध अपना अपना !


मोदिजी के सानिध्य में रहने का हमें भी एक दिन जरूर सौभाग्य प्राप्त होगा , ऐसी उच्च कोटि की आशा करता हूं !

और ईश्वरी चरणों पर प्रार्थना भी !

संपूर्ण समर्पित और अहंकार शून्य भाव से !


वहीं मेरे जीवन का भाग्योदय का क्षण होगा !


 *।। श्रीकृष्णार्पणमस्तु ।।* 


🙏🙏🙏🙏🙏🕉

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