भूके को रोटी, प्यासे को पाणी चाहिए
भूके को खाना चाहिए, प्यासे को पाणी !!
✍️ २३४६
विनोदकुमार महाजन
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जीवन का एक बहुत ही छोटासा तत्त्वज्ञान है !
बस्स्...यह तत्त्वज्ञान जिसे समझ में आ गया , वह मनुष्य जीवन का असली उद्दीष्ट समझ गया !
भूके को खाना चाहिए !
और प्यासे को पाणी चाहिए !
ऐसे समय में उसे कोई तत्त्वज्ञान के डोस पिलायेगा ? तो उससे क्या फायदा ?
इसिलिए तत्त्वज्ञान की भाषा बोलने के बजाए ,
भूके को रोटी और प्यासे को पाणी मील जायेगा , तो वह जीव आत्यानंदी हो जायेगा !
हमारे दरवाजे पर ( अब फ्लैट सिस्टिम के कारण, यह भी बंद हो गया है ! ) कभी भिकारी आता है , कभी गौमाता आती है ,कभी कुत्ते आते है , कभी कौवे - चिडियाँ भी आती है !
ऐसे समय में उन सभी के लिए , अपने हिस्से का कुछ खाना देते है ...तो...?
सचमुच में ? हमारी भूतदया देखकर , स्वर्ग में ईश्वर भी खूश , आनंदी हो जाता है !
और जो ईश्वर के आनंद के लिए जिता है , उससे बडा सौभाग्यशाली कौन होता है ?
मगर असल में होता क्या है ?
दरवाजे पर कोई भिकारी ,कुत्ता ,गौमाता आयेगी तो ? उनको चार गालीया देकर ,उनको धक्के देकर ,दूर भगाया जाता है !
बगैर कुछ खानापाणी दिये !
कमाल है ना साथीयों ?
और ऐसे ही लोग तत्त्वज्ञान के बडे बडे डोस समाज को पिलाते रहते है ? क्या फायदा उस तत्त्वज्ञान का ?
रूखासुखा तत्त्वज्ञान !!
किसी की अगर आत्मा संतुष्ट करनी है तो उसे खानापाणी दो !
फिर देखो वह निष्पाप जीव कितने संतुष्ट होते है ? कितने भरभरके प्रेम करते है ? कितने भरभरके आशिर्वाद भी देते है ?
और फिर उसे तत्त्वज्ञान के डोस जरूर पिलाओ !
लगभग पूरे देश की यही स्थिती है साथीयों ?
जरूरतमंदो को सहारा देने से ,आधार देने से , आनंद देने से ही जीवन धन्य होता है !
निराधार - निराश्रीतों को आधार देने से ही ईश्वर प्रसन्न होता है !
करोडों की माया कमाई
मगर दुखीतोंके लिए , एक फुटी कौडी भी ना छोडी...
तो उस करोडों रूपयों का क्या फायदा ?
और करोडों रूपये होकर भी जो दूसरों का दुखदर्द ही नहीं समझ सकता है...तो...?
ईश्वर ने मनुष्य बनाकर भेजा है , उसी का भी क्या फायदा ?
लोभ ,मोह ,अहंकार ,नींदा करने में ही जीवन व्यर्थ चला जाता है तो ? उस जीवन का भी क्या फायदा ?
आजकल ,समाज में इर्षा ,जलन ,द्वेष ,मत्सर , अहंकार ,लालच ,परनींदा ,
परपीडा का माहौल भी भयंकर बढ गया है !
और इसका यथोचित उत्तर भी दिखाई नही देता है !
कानूनी हल ?
आज , चारों ओर लगभग इंन्सानियत ही मर गई है ? ऐसा माहौल है ?
अब यही देखो ना ,
रास्ते पर ,एक्सिडेंट से कोई तडप तडप कर मर रहा है ,
उसका खून भी बह रहा है ,
उसे तुरंत अस्पताल की जरूरत है , तो भी लोग , मरता हुवा इंन्सान देखकर , उसे अस्पताल पहुंचाने के बजाए, दूरसे ही निकल जाते है ! अथवा फोटो निकालकर , सोशल मीडिया पर शेअर करते है !
कितना भयंकर विडंबन है ना ये ?
जब सुसंस्कृत समाज निर्माण के बजाए असंस्कृत समाज निर्माण होता है तो सामाजिक असंतुलन तेज गती से बढता है ! और विकृत समाज निर्माण होकर ,सामाजिक सौहार्द ही समाप्त हो जाता है !
जो आज हो रहा है !
अगर सर्वोच्च सत्तास्थान पर बैठा हुवा व्यक्ति ही , जानबूझकर असंस्कृत और विकृत समाज निर्माण के लिए प्रयास करता है तो ? , सामाजिक अध:पतन को भी कौन रोक सकता है ?
और दुर्दैव सै आजादी के बाद अनेक सालों तक ऐसे ही गलत लोगों का शासन रहा है !
परीणाम स्वरूप ?
आज का भयावह अराजक !?
मगर ,
ईश्वरी कृपा से आज वर्तमान में ,सर्वोच्च सत्तास्थान पर विराजमान महापुरुष , ऐसे भयंकर विपदाओं से शेर बनकर लड रहा है !
स्वकियों का सहयोग मिलने के बजाए , विरोध होने के बावजूद भी....!!!
और विशेष बात यह है की , यह अवतारी महापुरुष सबसे पहले...
सभी के लिए खानापाणी की अर्थात सभी को भोजन और सभी को पाणी की व्यवस्था कर रहा है !
सबका साथ ,सबका विकास, सबका विश्वास करके ,तेज गती से ,चारों तरफ से ,हम सभी को आगे ले जा रहा है वह अद्वितीय महापुरुष !
और भारत माता को , हम सभी को विश्ववंदनीय भी बना रहा है !
हमारे लिए वह महात्मा दिनरात एक कर रहा है ,हमारे उज्वल भविष्य के लिए दिनरात कडी मेहनत कर रहा है !
हमारी भूमि को फिर से सुजलाम सुफलाम बनाने के लिए ,भारतभूमि को फिरसे सोने की चिडिय़ा वाला देश बनाने के लिए , राजा विक्रमादित्य जैसा लगातार प्रयास कर रहा है !
और साथ में सुसंस्कृत समाज निर्माण द्वारा ,भारत का भी पुनर्निर्माण कर रहा है !
क्या उस महापुरुष का साथ नहीं देंगे ??
हम सब मिलकर ?
अगर साथ देंगे तो हमारे जैसा भाग्यशाली कोई भी नहीं होगा !
और साथ नहीं देंगे तो ? हमारे जैसा कर्मदरीद्री भी कोई नहीं होगा !
उस महापुरुष का नाम है...
" नरेंद्र दामोदरदास मोदी ! "
वैश्विक अभियान द्वारा नवसमाज निर्माता ,
युगपुरुष !!!
इसीलिए साथियों,
मेरे प्यारे सभी दोस्तों ,
" भूके को खाना , प्यासे को पाणी " देनेवाले ,दुसरों का दुखदर्द समझने वाले महापुरुष का साथ देना यह हम सभी का प्रथम कर्तव्य है !
यही समय है !
उसे तुमसे कुछ नहीं चाहिए !
ना उसे तुमसे धनदौलत चाहिए !
ना राजमहल चाहिए !
उसे तुम्हारा सिर्फ सच्चा प्रेम चाहिए !
उसे तुम्हारा केवल और केवल,
चुनाव में ,
एक मत चाहिए !!
एक मत चाहिए !!!
दोगे ना ? अपना बहुमुल्य मत ?
डन ?
वादा रहा ?
फिर देखिए कमाल !
जीवनभर के लिए वह महात्मा तुम्हें ,तुम सभी को...
भरभरके देगा !!
वह श्रीराम जैसा कर्तव्य दक्ष है !
श्रीकृष्ण जैसा कर्तव्य कठोर है !
राजा शिवछत्रपती जैसा दूरदृष्टा भी है !
सावरकर ,सुभाषचंद्र बोस जैसा प्रखर राष्ट्र प्रेमी भी है !
और चौबिसों घंटे , प्रखर प्रजाहिदक्ष भी है !
मोदिजी की और एक विशेष खासियत है !
मोदिजी असली रत्नपारखी भी है !
मनुष्य रूपी असली रत्न पहचानने की और उस रत्न को प्रकाशित करने की जबरदस्त क्षमता मोदिजी में है !
इसिलिए गरीबी में जीने वाले भी आज ,मोदिजी की वजह से अनेक उंचाईयों तक पहुंच गये है ! इसके अनेक उदाहरण देखने को मिलेंगे !
इसिलिए गर्व से बोलो !
जय मोदिराज !
मोदिराज जींदाबाद !
मोदी है तो मुमकिन है !
हर हर मोदी !
घर घर मोदी !
हर हर महादेव !
हरी ओम्
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