ईश्वरी वरदान
दुख खुद का और सुख सभी का होता है !
लेखांक : - २३५३ ✍️
विनोदकुमार महाजन
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दुख ?
हरेक के जीवन में आता ही है !
अवतारी पुरूषों को ,सिध्दपुरूषों को ,
साक्षात राम और कृष्ण को भी दुख भोगना ही पडता है !
मगर दुख में हिस्सेदार कौन होता है ?
शायद ना के बराबर !
इसिलिए दुख तो अकेले को ही भोगना पड़ता है !
और सुख ?
सुख के सभी हिस्सेदार होते है !
धन , वैभव किसी एक के कारण घर में आता है !
और उस धन वैभव का उपभोग और आनंद परिवार के सभी सदस्य लेते है !
इसिलिए दुख खुद का अकेले का होता है !
और सुख सभी का !
हँसते रहिए !
हँसाते रहिए !
जीवन भर के लिए ,
खुद आनंदी रहिए !
दूसरों को भी आनंदी बनाईये !
खुद दुख में रहकर दूसरों को आनंदी करना , एक ईश्वरी वरदान है !
अकेले में खुद के आँसू खुद ही पोंछकर , दूसरों के आँसू भी पोंछते रहना भी ,
ईश्वरी वरदान की एक सुंदर कला है !
हरी ओम्
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