मेरा छोटासा गांव : - कारी
मेरा छोटासा , सुंदर गांव : -
कारी !!
लेखांक : - ✍️ २३५६
विनोदकुमार महाजन
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हम विश्व के कोने में कहीं भी जायेंगे , कितना भी बडा नाम कमाएंगे , कितनी भी धनदौलत कमाएंगे...
फिर भी हमारा बचपन जहां गुजरा है , उस गांव की , बचपन के अनेक मित्र , दोस्त ,यारों की , उस गांव की , हमेशा दिल में एक इच्छा रहती है की , उस जगह पर मैं फिरसे जाऊं , उन सभी प्यारे दोस्तों से मिलूं ,जिन्होंने एकसाथ सुखदुख बाँट के लिया था , आपसी झगड़ा करने के बाद भी फिर से सबकुछ भूलकर , एक दूसरे पर सच्चा प्यार किया था !
सच्चा मित्रप्रेम !
उस जगह पर फिरसे जाने की सभी की इच्छा होती ही है !
मेरा भी ठीक ऐसा ही एक छोटासा गांव है : - कारी !
इस गांव में मुझे अनेक दोस्त मिले ! सुखदुख बाँटने वाले ! सच्चा प्रेम करनेवाले !
अब एक इच्छा यह भी है की ,
मेरे गांव की चारों तरफ से प्रगति हो , गांव का चारों तरफ से आर्थिक - आध्यात्मिक विकास हो ! मेरे गांव में कोई दीन दुखी ना रहे ! गांव के सभी सदस्य सुखी ,आनंदी ,खुशहाल ,संपन्न ,समृद्ध ,यशस्वी जीवन जीयें !
ईश्वर से भी मेरी निरंतर यही प्रार्थना रहेगी !
गांव में अगर कोई बुराइयां है , वादविवाद है ,झगडा है , आपसी कलह , बैर है , व्यसनाधीनता है तो सब खत्म हो !
मेरे छोटेसे गांव की खूब तरक्की हो ! सभी का आर्थिक विकास हो ! सभी के जीवन में सभी प्रकार की सुख सुविधा हो !
किसी के जीवन में कोई अभाव न रहे ! कोई गरीब ना रहे !
विश्व में मेरे गांव का नाम रोशन हो !
पोपटराव पवार जी का
हिवरे बाजार नाम का गांव आपने कभी सुना होगा !
कितना आदर्श गांव ?
आर्थिक संपन्नता है !
निर्व्यसनता है !
आध्यात्मिकता है !
आपसी तालमेल है !
लडाई झगड़ा नहीं है !
आपसी बैर नहीं है !
व्यसनाधीनता नहीं है !
कितना सुंदर गांव !
कितना साफसुथरा गांव ! कितना आदर्श गांव !
गांव का नाम संपूर्ण विश्व में रोशन हुवा !
एक आदर्शवादी व्यक्ति के कारण !
पोपटराव पवार जी के कारण !
मेरा कारी गांव भी ऐसा ही बनें , ऐसी दिल की चाहत है !
गांव के हर जाति, धर्म के लोग ,व्यक्ति मुझे मेरे परिवार वाले जैसे ही लगते है !
इस गांव में मैंने अनेक मुसीबतें झेली , आर्थिक परेशानियों को भी झेला , गरीबी भी झेली...
मगर इसके पश्चात भी मुझे मेरे सभी जातियों के ,सभी धर्मीयों के अनेक मित्रों ने , मेरे बचपन में मुझे जो ईश्वरीय दिव्य प्रेम भी दिया , वह कैसे भूल सकता हूं ?
अनेक दोस्त , अनेक मित्र !
किसकिसके नाम लिखूं ?
मेरे गांव का वो ,हमारे महाजन परिवार का नारायण मंदिर , वह खंडोबा मंदिर ,राम मंदिर ,महादेव मंदिर , काळा मारुती , देवी मंदिर कैसे भूल सकता हू ? हमारे गांव के नजदिक ,भानसगांव का जागृत मारूती मंदिर , कैसे भूल सकता हूं ? वह यादें कैसे भूल सकता हूं ? मेरे बार्शी का भगवंत !
मेरे ग्रामदैवत खंडोबा ने तो मेरे दृष्टांत में मेरे गले में तुलसी की माला डाली है ! उसी क्षण से मेरा पूरा जीवन ही बदल गया !
मेरे गांव की वह खंडोबा की जत्रा ! उसीमें लगाने वाला मेला !
खंडोबा का लंगर !
खंडोबा के सामने की वह
" धाव धाव " की पूकार !
यह सुवर्ण अक्षरों में लिखने वाली यादें कैसे भूल सकता हूं ?
कुछ कारणवश गांव छूटा !
बाहरगाँव जाने के बाद , मेरे दादाजी अर्थात मेरे सद्गुरु आण्णा के आशीर्वाद से , अनेक सालों तक कठोर तपश्चर्या की !
अनेक देवीदेवताओं के ईश्वरी कार्य के लिए ,वरदान प्राप्त किए ! अनेक सिध्दीयाँ प्राप्त की !
वैश्विक कार्य का अभियान भी आरंभ हुआ है !
न जाने क्यों , फिर भी अंदर एक चाहत है ,
मेरा छोटासा गांव कारी का
चारों तरफ से , वायुगती से विकास हो , गांव में कोई भी दीन - दुखी - गरीब ना रहे !
सभी को आर्थिक संपन्नता प्राप्त हो ! गांव का हर सदस्य सुखी ,समाधानी ,आनंदी ,ऐश्वर्यसंपन्न हो !
कोई व्यसनाधीन ना रहे !
गांव का लडाई झगड़ा सदा के लिए समाप्त हो !
हिवरे बाजार की तरह मेरा गांव भी आदर्श , सुखी ,समाधानी हो !
ईश्वर से भी यही प्रार्थना है !
मुझे गांव में ना कोई राजनीति करनी है , ना ही कोई पार्टी खडी करनी है और नाही गांववालों से कुछ धन अर्जीत करना है !
सभी का कल्याण हो !
सभी का मंगल हो !
बचपन का मेरा गांव खुशहाल हो !
जय श्रीकृष्ण
हरी ओम्
( मेरे सद्गुरु आण्णा ने मुझे जिस कारी गांव में ज्ञानामृत दिया , मुझे स्वर्गीय अलौकिक ,ईश्वरी प्रेमामृत दिया ,और मुझे वैश्विक कार्य के लिए सक्षम बनाया , जिस गोजरमाय ने मुझे मेरे कारी गांव में ,प्रेम का दिव्य अमृत पिलाया, उसी मेरे परमवंदनीय आण्णा के और गोजरमाय के , पवित्र चरणकमलों पर मेरा यह छोटासा लेख समर्पित है ! )
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