दिदी को ( २ )

 दिदी ,

सभी आँडिओ सुने।
बहुत शांत लगा ।
लगभग तीन दिनों से आज्ञाचक्र में तेज हलचल महसूस हो रही है।
आपके आँडिओ सुनते समय में , थोडीबहुत सहस्त्राकार में भी हलचल महसूस हो गई।

मगर फिर भी...
जलबिन मछली क्यों तडप रही है ? यह समझ में नहीं आ रहा है !
उसे केवल और केवल जल ही चाहिए।
तभी वह मछली जिवीत रहेगी।और शांत भी होगी।

" जल " का मतलब आप जरूर समझ गई होगी।
मतलब शक्ति चाहिए।
चर्चा नहीं, कृति चाहिए।
वैश्विक कार्य का रास्ता चाहिए।

जलबिन तडपती मछली को ,ज्ञान नहीं जल चाहिए।
आप मेरी बात जरूर समझ गई होगी।

कृति चाहिए।
वैश्विक संगठन के लिए बल चाहिए।
सनातन संस्कृति को विश्व के कोने कोने में पहुंचाने के लिए तेज गति चाहिए।

गति ही जल है।

ईश्वरी तत्वों से , गुरु से ,गौमाता से ,जगदंबा से ,और उनके पवित्र चरणकमलों पर संपूर्ण शरणागत भाव से ,संपूर्ण आनंद ,प्रेम और समर्पण से ही अखंड साधना शुरू है।

तो भी..." जल " नहीं मिल रहा है ,इसीलिए मछली तडप रही है ।
बहुत ही मौलिक जानकारी देने के लिए धन्यवाद।

बहुत दिनों बाद मन थोड़ा शांत हुवा।

हरी ओम्

Comments

Popular posts from this blog

ऊँ कालभैरवाय नम :

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र