सत्य

 उल्टा न्याय ?

✍️ २३५४


विनोदकुमार महाजन

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क्या सचमुच में,

सैतान को ,

सुख ,यश ,धनदौलत , आरोग्य ,दिर्घायु ,सेवाधारी भरपूर होते है ?


और सज्जन को ....?

शायद ?

दुख , अपयश ,अपमान,आर्थिक परेशानियां ,अनारोग्य , कम उमर और लगभग अकेलेपन का शाप होता है ?


क्या यही नियती का उल्टा न्याय है ?


उदाहरण ?


एक तरफ ,

क्रूर सैतान,

अत्याचारी औरंगजेब ?


और ? दूसरी ओर ?


ईश्वरी सिध्दांतों पर चलनेवाले ,

हिंदवी स्वराज्य संस्थापक

राजे शिवछत्रपती !


उपरी दोनों का उदाहरण क्या दर्शाता है ?


इसका उत्तर एक ही है...

सत्य परेशान जरूर होता है !

मगर अजरामर ही होता है !


और असत्य का मुंह काला ही होता है !


इसीलिए,

औरंगजेब आजतक बदनामियां झेलता रहा !

और राजे शिवछत्रपती को ईशत्व प्राप्त हुवा !


और सबसे महत्वपूर्ण बात ,

औरंगजेब के पुतले जलाए जाते है !

और राजे शिवछत्रपती की पूजा की जाती है !


रावण के भी पुतले जलाए जाते है !

और राम की पूजा होती है !


और अंत में ...एक अंतिम सत्य ...?

राम के हाथों से ही रावण का वध भी होता है !!


युगों युगों से !

युगों युगों तक !

यही एकमात्र ईश्वरी सिध्दांत अजरामर भी रहता है !


हर हर महादेव !

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