त्रिवार सावधान !

 सावधान !!!

✍️👍 २३४१


विनोदकुमार महाजन


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आधे हल्दी से पिले होनेवाले बहुत लोग मिलेंगे इस देश में !

ऐसे लोग खुद को भयंकर होशियार ,सयाना ,विद्वान समझते है !

और दूसरों को हमेशा महामूर्ख ही समझते है !


ऐसे अतीमहाविद्वान ,अतीसयाने लोगों के साथ कभी भी बहस मत किजिए !

उल्टा , मैं ही मुर्ख हूं , पागल हूं ,अज्ञानी हूं ऐसा उसे कहकर ,उसको भी हाथ जोडकर ,सदा के लिए ,ऐसे महामूर्खों से दूर चले जाने में ही हमारी भलाई है !


अन्यथा ?

" असंग से संग और प्राणों 

से संकट " ऐसा भयंकर बिकट प्रसंग आता है !


ठीक इसी प्रकार से , दुष्टों से और कपटी लोगों से भी सदैव दूर और सावधान ही रहना चाहिए !

क्योंकि साँप से भी भयंकर जहरीले और हानिकारक दुष्ट और कपटी लोग होते है !

इसिलिए ,

" दुर्जनं प्रथमं वंदे " 

कहकर वहाँ से भी दूर चले जाईये !


और सबसे महत्वपूर्ण बात...

मुर्खों के साथ भी कभी भी बहस मत किजिए !

अन्यथा ?

पछताना ही पडता है !

इसिलिए मुर्खों के साथ भी कभी भी चर्चा ,बहस मत किजिए !

ऐसे लोगों से भी हमेशा दूर ही रहीए !


ज्ञानी और योग्य व्यक्ती के सामने ही हमारे ज्ञान की ,गुणों की , हमारे अंदर के क्षमता की , सद्गुणों की कीमत और प्रशंसा होती है !


अन्यथा ?

गधों के सामने ?

लाथों का सुकाळ !!

इसिलिए दुष्ट ,मुर्ख ,कपटी , व्यसनाधीन , स्वार्थी , विश्वासघातकी लोगों से चौबिसों घंटे सतर्क और सावधान ही रहिए !

ऐसे लोगों के संगत में जीवन केवल बर्बाद ही होता है !


जीवन में अगर यशस्वी होना है तो , संपूर्णतः प्रामाणिक , वचन और दिया गया शब्दों की पुर्ती के लिए , जान की भी पर्वा न करनेवाले , एकवचनी ,निस्वार्थी ,कर्तव्य दक्ष ,कर्तत्ववान , चतुर , चाणाक्ष लोगों के ही संपर्क में रहिए !

भले ही ऐसे लोग लाखों में एक ही मिलेंगे , मगर जीवनभर के लिए ,छोटे छोटे स्वार्थ के लिए,सुखदुखों में साथ भी नहीं छोडेंगे , और हमारे दिव्य मकसद पुर्ती के लिए ,सहायक ही बनेंगे !


अगर ऐसा कोई व्यक्ती ही नही मिला तो , एकांत में जाकर ,मौन रहकर , ईश्वर से नाता जोडिए !

और निरंतर साधना किजिए !


चाहे वह मंत्रसाधना हो योगसाधना हो अथवा भक्तियोग हो !

इसमें कम से कम आत्मकल्याण और आत्मोध्दार तो होगा ही !


और अगर विश्वोध्दार की इच्छा होगी तो , खुद ईश्वर ही हमारे हाथों से , अलौकिक कार्य सफल बनाकर ही देगा !

निश्चींत रहिए !!


हरी ओम्


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