जो चाहिए वह मिलेगा
जो चाहिए वह सबकुछ मिलेगा !
✍️ २३६४
विनोदकुमार महाजन
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तुम्हे जो भी कुछ चाहिए,
वह सबकुछ मिलेगा !
आरोग्य मिलेगा !
राजऐश्वर्य मिलेगा !
यश - किर्ती मिलेगी !
मान - संन्मान मिलेगा !
दिर्घायुष्य मिलेगा !
जो भी मेरे साथ आयेगा , उसे जो कुछ चाहिए ,वह सबकुछ मिलेगा !
मगर इसके लिए विश्वास चाहिए ,श्रद्धा चाहिए , प्रेम चाहिए ,आत्मीयता चाहिए ,समर्पण भी चाहिए !
और सबसे महत्वपूर्ण बात ,
ईश्वर के प्रती विश्वास चाहिए !
यह कोई दिशाभूल नहीं है !
कोई भूलभुलैया नहीं है !
समाज को संभ्रमित करके ,पैसा कमाने का कोई गुप्त एजेंडा नहीं है ! अथवा ना कोई बिझनेस टैक्ट है ! ना धनदौलत और पैसा कमाने की होड है !
यह वास्तव है !
यह हकीकत है !
यह एक ईश्वरी सिध्दांतों पर आधारित सभी के परम कल्याण की ,उच्च कोटी की जीवनप्रणाली है !
अनेक सालों की खडतर तपश्चर्या के बाद ,अनेक सालों की खडतर मेहनत के बाद , अनेक सालों का भयंकर और भयावह जीवन बिताने के बाद ,
अनेक सालों तक अग्नि में जलने के बाद ,मैंने यशस्वी जीवन के लिए श्रेष्ठतम सिध्दांत बनाये है !
मैंने मेरे जीवन में अनेक आदर्श सिध्दांत बनाये है !
सभी के कल्याण के लिए ,
समस्त मानवसमुह के कल्याण के लिए !
सभी सजीवों के कल्याण के लिए !
इसी कार्य में सफलता के लिए मैंने सिध्दांतों के लिए , अनेक सालों तक, अनेक प्रकार के भयंकर जालिम जहर हजम किए हुए है !
और अमृत हासिल किया हुवा है !
प्रत्यक्ष मृत्यु सामने दिखाई देने पर भी मैंने , मृत्यु को भी गले लगाने की मन की तैयारी की !
मगर सिध्दांत नहीं छोडे !
और आज प्रत्यक्ष काल हार गया !
ईश्वरी कार्य के लिए ,आज मुझे कडी मेहनत ,कडा संघर्ष के बाद , ईश्वरी वरदान प्राप्त हुवा है !
जो भी मेरे पिछे आना चाहता है ,जो भी मैंने बनाये हुए आदर्श रास्तों पर , सिध्दांतों पर चलना चाहता है ,
उसे मेरी केवल एक ही शर्त रहेगी.....
उसे सत्य का रास्ता स्विकारना पडेगा !
उसे ईश्वर निर्मित सत्य सनातन हिंदु धर्म का रास्ता स्विकारना ही पडेगा !
मेरी सबसे महत्वपूर्ण शर्त यही रहेगी !
और अगर मेरी यह शर्त मंजूर होगी तो ,
उस प्राणी को सचमुच में जो भी कुछ चाहिए ,वह सबकुछ मिलेगा ही मिलेगा !
आत्मा का ,ईश्वरीय और स्वर्गीय दिव्य प्रेम भी मिलेगा !
माँ की ममता ,वात्सल्य मिलेगा !
हर मुसीबतों के समय में संपूर्ण सहयोग मिलेगा !
अकेलेपन में , बिमारियों में हर प्रकार का निस्वार्थ सहयोग ,सहकार्य मिलेगा !
अपनापन मिलेगा !
इसके लिए अनेक वैश्विक योजनाएं बनाई जा रही है !
और सबसे महत्वपूर्ण बात यह रहेगी कि ,
हमसे जुडने के लिए आसुरीक सिध्दांतों का संपूर्णता त्याग करना पडेगा !
क्रौर्य ,दुष्टता ,ढोंग ,कपट ,
स्वार्थांधता , पैसों का लालच , मोहमाया ,व्यसनाधीनता त्यागनी पडेगी !
परम कृपालु ईश्वर के पवित्र चरणकमलों पर सश्रद्ध भाव से अपना सबकुछ समर्पित करना ही पडेगा !
फिर उसे जो भी चाहिए , वह सबकुछ मिलेगा ही मिलेगा !
वैश्विक शक्तीशाली संगठन बनने तक , और थोड़ा समय का इंतजार !
कर्मभोग जलने के बाद ही ,
दयालु ईश्वर की प्राप्ति होती है !
हरी ओम्
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