दुनियादारी तुम्हे पागल बना देगी !
दुनिया तुम्हे पागल बना देगी !!?
✍️ २३४५
विनोदकुमार महाजन
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सुख दुखों से भरा यह मनुष्य का यह जीवन हे !
जिसमें सुख कम और दुख जादा होता है !
अनेक बार , मनुष्य को अनेक मुसिबतों से गुजरना पडता है !
ऐसे समय में हमें आधार की जरूरत होती है !
हर बार केवल आर्थिक आधार की ही जरूरत होगी , ऐसा नही है ! अनेक बार हमें मानसिक आधार की भी नितांत आवश्यकता होती है !
भूलेभटके समय में !
मुसिबतों के समय में !
" चिंता मत कर , ईश्वर सबकुछ ठीक करेगा ! " ऐसे महत्वपूर्ण दो शब्द भी बहुत काम आते है !
मगर दुनियादारी में होता उल्टा ही है!
हमें आधार मिलने के बजाए ,आघात झेलने पडते है !
जिसपर दिव्य प्रेम किया वह भी नफरत करने लगते है !
और वह व्यक्ति सैरभर हो जाता है ! समाज भी, उसकी असलियत समझाकर, उसे आधार देने के बजाए, भयावह अफवाहें फैलाकर ,लगातार बदनामीयों का सिलसिला आरंभ कर देता है !
और यही क्षण जीवन में सबसे भयानक होता है !
ऐसे आघातों से सँवरना बहुत कठीण होता है !
और दुनिया ? और दुनियादारी ?
लगभग पागल ही बना देगी मुसिबतों के क्षणों में !?
ह्रदय पर इतने भयंकर कुठाराघात करेगी ,मानसिक उत्पीडन करेगी की पुछो मत !
भले भले भी ऐसे भयंकर आघात से पागल हो जायेंगे !
और दुनियावालों को अगर समझ में आयेगा की ,सचमुच में यह पागल हो गया है !?
तो उसे मानसिक आधार देकर ,उस मुसिबतों से उसे बाहर निकालने के बजाए , उसे ही उल्टा पत्थर मारमारकर घायाल भी करेगी यह दुनिया! और एक दिन मार भी डालेगी !
पत्थर मारमारकर....!!
हुश्श....!!!
अजब की दुनियादारी !
" ऐसी भयावह स्थिती में कौन हमदर्द मिलता है ? और अगर नशीब से हमदर्द मिलता भी है...तो...निश्चित वह देवदूत ही होता है ! "
मगर ऐसे क्षणों में हमदर्द शायद मिलेगा भी नही !
ऐसे क्षणों में ,ऐसा...? बेचारा...? ,
थकहारकर सहारा ढूंडता है ! कभी व्यसनाधीन बनकर ,नशे के अधीन होकर ,जीवन बरबाद भी कर सकता है ! अथवा आत्महत्या भी ??
अनिल कपूर की , " तेजाब " फिल्म आपने देखी है ना ?
वहीं... एक - दो - तीन - चार पांच - छे - सात गाणा वाली ?
माधुरी दीक्षित का सुपर हिट,लोकप्रिय गाणा ?
उसमें... निष्पाप ,निरागस ? अनिल कपूर कैसे क्रिमीनल बनता है ?
" लोटिया पठाण की " कैसे हत्या करता है ?
सुरेश ओबेरॉय , अनिल कपूर को बोट में बिठाकर ,दूर भेज देता है ?
एक , अच्छाखासा ,सुसंस्कारित ,सच्चे मन का ,सभी पर निष्पाप प्रेम करनेवाला ,उमंगभरा नौजवान...
मगर गलत दुनियादारी ने उसका सारा जीवन ही बरबाद कर दिया !
मतलब ?
एक निष्पाप नायक का संपूर्ण जीवन ही बरबाद हुवा ना ?
ऐसे कितने निष्पाप, निरागस अनिल कपूर जैसे नायक समाज में पिडित हुए है ?
सामाजिक विचित्र रचना के कारण , ऐसे कितने युवकों का जीवन संपूर्णतः बरबाद हुवा है ?
आखिर इसका कौन जिम्मेदार ??
ऐसे भयावह मुसिबतों में ,
हमारे रिश्ते नाते भी किसका साथ देते है ? यह भी महत्वपूर्ण प्रश्न है !
हमारा ? या फिर दुनियावालों का ?
शायद मुसिबतों के भयंकर क्षणों में , हर एक व्यक्ती अकेला ही होता है...यह मेरा निजी अनुमान है !
खैर...!!!
संपूर्ण देश में और वैश्विक स्तर पर हम एक अभियान आरंभ कर रहे है !
जिसमें हर अनाथ - निराधार - निराश्रीतों को सहारा मिले !
हर मुसिबतों में फँसानेवाले व्यक्तियों का आधार बनें !
पती पत्नी विवाद ,घरेलू विवाद ,झगडे , आर्थिक परेशानियों में फँसानेवाले व्यक्तियों के लिए ,अनेक योजनाओं द्वारा , आधार बन सके !
वैश्विक समाज जागृती अभियान तथा वैश्विक चेतना जागृती अभियान द्वारा हम ऐसे ईश्वरी कार्य को आरंभ कर रहे है !
इसके लिए वैश्विक टीम बनाने का प्रयास जारी है !
निरपेक्ष भाव से सेवाकार्य में योगदान देनेवाले समाजसेवियों की इसके लिए जरूरत है !
संपूर्ण विश्व में , वायुगती से ईश्वरी कार्य बढाने के लिए हम प्रयासरत है !
भगवान की इच्छा होगी तो कार्य निश्चित सफल होकर ही रहेगा !
आखिर उसी के कार्य की ,उसी को चिंता !
हम सभी तो केवल निमित्त मात्र !!
हरी ओम्
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