भगवान के लिए
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भगवान के लिए...!
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हम सभी खुद के लिए,बिवी बच्चों के लिए जीते है।
बचपन में पढाई,जवानी में उद्योग-ब्यापार में ,धन कमाने मेंऔर बुढापा दुख-दर्दो में बित गया।
ना भगवान का नाम लिया ना जाप किया ना फुरसत निकालकर धर्मकार्य किया।खाया-पिया-मौज किया-ऐशोआराम किया।चार पैसे कमाये,बिवी बच्चों में जीवन निकल गया।
और युंही देखते देखते जीवन हाथ से निकल गया।
तो भगवान के लिए,भगवत् कार्य के लिए, संस्कृती-संस्कारों के लिए क्या किया..???
जैसा आया वैसा चला गया।भगवान के लिए क्या किया ?
किडे मकौडे भी पैदा होते है और मर जाते है।ठीक इसी तरह से जीवन गँवायाँ,जीवन व्यर्थ गया।
दुर्लभ मानवी देह मिलनेपर भी भगवान को याद ना किया।
इसिलिए हे प्राणी,
रट ले प्रभु का नाम।
कर ले जीवन का उध्दार।
मनवा रे...!
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विनोदकुमार महाजन।
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