बाजीगर...

 बाजीगर ! ! !

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बाज की तरह उडना है,
दोस्ती का हाथ बढाना है,
शक्तिशाली बनना है,
नामुमकिन को मुमकिन में बदलना है।
विष्णुजी का वाहन भी बनना है।
जहरीले सांपों को भी कुचलना है।
नया आसमान बनाना है।
उंचा आसमान भी छुना है।
यारों,अब हमें बाज बनना है,
बाजीगर बनना है।
" विश्व में फैले जहरीले साँपों"को कुचलकर,
"विष्णु का अमृतकुंभ",
विश्व में फैलाना है।
अब हम को बाज बनना है।
अब हम सभी विष्णु भक्तों को,
"बाजीगर...",
बनना है।
बाजीगर बनना ही है।

हरी ओम।
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विनोदकुमार महाजन।

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