ऐसा क्यों हुं ?

 मैं ऐसा क्यों हुं ???

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( इस व्यंग का किसी से कोई संबंध नहीं है।अगर है तो यह एक केवल योगायोग ही समझना)

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ओ मेरी माँ,प्यारी प्यारी मेरी माँ...

मैं ऐसा क्यों हुं,मैं ऐसा क्यों हुं....???

लोग मुझे बार बार..

मंदबुद्धी कहकर 

चिढाते है..बुलाते है।

कभी कोई मुझे...

पप्पू भी कहता है।

ओ मेरी माँ....

कोशिश करनेवालों की

हार नही होती...

ऐसा कहते है...मगर..थ.

फिर भी...बार बार

कोशिश करनेपर भी..

लगातार हारता  ही 

क्यों हुं..ओ मेरी माँ।

मैं ऐसा क्यों हुं....???

बार बार बडा सपना...

देखकर भी मैं...

हारता ही क्यों हुं..?

ओ मेरी प्यारी माँ...।

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--  विनोदकुमार महाजन।

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