तीव्र इच्छा शक्ति

 तीव्र इच्छाशक्ति..! ! !

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तीव्र इच्छाशक्ति,
नामुमकिन को भी मुमकिन में बदल देने के अतुलनीय, अदृष्य शक्ति।
तीव्र इच्छशक्ति द्वारा अनेक असंभव कार्य भी संभव होते है।
प्रारब्धगती,कर्मगती, नशीब को भी बदलने की क्षमता ऐसी शक्ती में होती है।
इच्छीत कार्यसिद्धि के लिए अथवा विशिष्ट, उच्च ध्येयपुर्ती के लिए भी तीव्र इच्छाशक्ति की जरूरत होती है।
सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए कभी अदृष्य इश्वरी शक्ति की,अतिंद्रिय शक्ति की अथवा योगशक्ति की भी जरूरत होती है।और अगर आपके अंदर,सदैव उच्च कोटि की तिव्र इच्छाशक्ति जागृत रहती है,तो आप अनेक संकटों को,
अग्नीपरीक्षाओं को,खडतर इश्वरी सत्वपरीक्षाओं को,तथा अनेक संकट रूपी जहरिले सागर को पार करके,आप अंतिम मंझील तक पहुंचने में निश्चित रूप से कामयाब ही रहते है।
तिव्र,कठिन, कठोर अती भयानक, भयावह, भयंकर संकटों का अनेक साल सामना करके,तिव्र इच्छाशक्ति के बल पर मैंने भी अनेक नामुमकिन कार्यों में भी मैंने मुमकिन बना दिया है।
शांती से मैंने,बिल्कुल ठंडे दिमाग से,मैंने अनेक जटिल समस्याओं पर ,संकटों पर मात की है।
अगर यह सच्चाई या वास्तव मैं किताब के रूप में लिखुंगा तो मुझे..
जागतिक नोबल जैसे अनेक पुरस्कार भी मिल सकते है।
इस सभी घटनाओं के साक्षीदार मेरे परम मित्र, जो पेशे से वकील भी है,और
 विश्व विजेता हिंदु धर्म,
ग्रुपपर मौजूद भी है,
अभय वकील जिनका नाम है,जो मेरे अती भयंकर भूतकाल से भी परिचित थे और आज वर्तमान में भी साक्षीदार है।
तो भाईयों, तिव्र इच्छाशक्ति के बल पर अब हमें,
हिंदुराष्ट्र बनाना तो है ही,और हम सभी हमारे मकसद में निश्चित रूप से यशप्राप्ती करनेवाले भी है।
इसके साथ ही विश्व के कोने कोने में सत्य सनातन को,भगवान के भगवे को हमें पहुंचाना भी है।
आलंदी के संत ज्ञानेश्वर अपने पसायदान में लिखते है...
" विश्व स्वधर्म, सुर्ये पाहो।"
मतलब जहाँ भी सुर्य की किरणें जायेगी, वहाँ केवल और केवल सत्य सनातन ही होगा।
शायद भगवान की भी यही इच्छा होगी।
तो भाईयों, हमारे इस पवित्र ईश्वरी कार्य के लिए, हम सभी आज से और अभी से...
हमारी दिव्य चेतना जागृत करते है,और इसी माध्यम से हमारी तिव्र इच्छाशक्ति भी सदैव जागृत ही रखते है।

हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।

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