संपूर्ण लेखांक भाग ३०

 क्या आपका प्रेम पवित्र है।

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ऐसा कहते है की,प्रेम पवित्र होना चाहिए।चाहे यह प्रेम भगवान के प्रती हो या फिर अपनों के प्रती।
स्वार्थ, मोह,अहंकार से हटकर, सर्वस्व समर्पित प्रेम ही सच्चा होता है।
क्या आप सभी भी ऐसा पवित्र प्रेम करते हो?
अगर आपकी आँखों में दुख के आँसु आ जाते है...और आपको ऐसा लगता है की,मेरे आँसु देखकर, मेरा दुखदर्द देखकर खुद भगवान के आँखों में भी आँसु आते है।अगर...
आपका प्रेम पवित्र है,सही है,सच्चा है,निष्पाप है और...भगवान के लिए आपके मन में दृढ विश्वास है तो...
आपका दुखदर्द, आपके आँसु देखकर जरूर भगवान के आँखों में भी आँसु जरूर आयेंगे ही।
इसके लिए आपका प्रेम, विश्वास, सच्चाई, श्रध्दा पवित्र होना ही अनिवार्य है।
और इसको ही बोलते है...
भक्त और भगवान का आत्मशक्ति और परमात्म शक्ती से एकरूप होना।
देह दो आत्मा एक- दुखदर्द, सुखदुख एक।
जैसे...
राम-हनुमान, कृष्ण-अर्जुन, राधा-कृष्ण, मिरा-कृष्ण, भक्त-भगवंत।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[01/07, 6:11 AM] mahajanv326: ग्रुपपर मैं पत्रकारों के विषयों के अलावा कुछ सामाजिक या आध्यात्मिक लेख लिखना चाहता हुं।
क्या मुझे अनुमति मिलेगी?
उदाहरण के तौर पर एक आध्यात्मिक मेरा लेख दे रहा हुं।
मेरे लेख के द्वारा किसिके मन को ठेंस पहुंचती है तो क्षमा चाहता हुं।
मेरा लेख पसंद भी न आयें तो भी मुझे बता देना ताकि मैं दुबारा ग्रुपपर लेख न लिखूं।
हरी ओम।🙏🕉
--  विनोदकुमार महाजन।
[05/07, 9:54 AM] mahajanv326: ALL MEDIA PRESS
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भाईयों,
प्रणाम।🙏🕉
सचमुच में जब मुसिबत की घडी आती है तो कोई भी साथ नही देता है।अपने भी दूर भाग जाते है।जान हथेली पर रखकर जिसपर सच्चा ईश्वरी प्रेम किया वह भी दूर से मूक तमाशा देखते है।
और समाज...?
जीना भी मुश्किल कर देता है।मरणप्राय पिडा, यातनाएं देता रहता है।साक्षात नरकयातनाएं।
यह वास्तविकता है,जिसे मैंने नजदीक से देखा है,अनुभव किया है।
और अगर ऐसा व्यक्ति कोई पत्रकार हो,
"पेडन्यूज या पीतपत्रकारिता से",दूर रहकर करोंड़ों की माया को हाथ भी न लगाकर, केवल ईश्वर के लिए सच्चाई के मार्ग पर चलकर....
अनेक पापियों के मुखौटे फाड कर समाज में सामाजिक कार्य कर रहा है तो....???
तो,
ना समाज उस पत्रकार को डर के मारे साथ देता है.. ना ही सगे संबंधी।
और ऐसा पत्रकार अगर कोई आर्थिक मुसिबत में फँस जाता है,या बिमार हो जाता है तो...
उसे,ऐसे जिगरबाज पत्रकारों को एक सच्चाई की रक्षा करनेवाले ईश्वर के सिवाय कोई भी सहारा नही रहता है।

"All MEDIA PRESS ASSOCIATION"
के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा उनकी पुरी टीम ने जो यह राष्ट्रीय पत्रकारों का शक्तिशाली संगठन खडा किया है,और जिस महान उद्देश्य से ऐसे समाजसुधारक संगठन पर मुझे राष्ट्रीय सलाहकार के पद से बडे विश्वास से नियुक्त किया है...
यह हम सभी का पवित्र उद्देश्य साध्य होने के लिए,
राष्ट्रीय स्तर पर सभी सच्चाई के रास्तों से चलनेवाले पत्रकारों को तुरंत न्याय तथा सहायता दिलाने से ही हमारे संगठन का उद्देश्य साध्य भी होगा और यथोचित भी होगा।
सच्चाई के रास्तों से चलनेवालों की सहायता खूद ईश्वर करता है,ऐसा कहते है।

तो...इसीलिए यह पत्रकारों का संगठन तेजी से राष्ट्रीय स्तर पर बढे और न्याय की और सहायता की जिस पत्रकारों को जरूरत हो,उसे तुरंत सहायता मिले,ऐसी निती हमें बनानी होगी।
अन्याय पिडित पत्रकार चाहे हमारे संगठन का हो या ना हो,सभी को सहायता देनी होगी।और इसी से संगठन शक्ती तेजी से बढेगी।

दूसरा एक महत्वपूर्ण मुद्दा, हमारे संगठन का एक विशाल राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाकर सभी न्यूज चैनल तथा अखबारों में हमारे संगठन की विस्तृत जानकारी देने से संगठन और सक्रिय बनाने में सहायता होगी।
संगठन के सभी राष्ट्रीय तथा राज्यस्तरीय पदाधिकारी तथा सदस्यों का परिचय सभी को होने के लिए..
एक विस्तृत परिचय पुस्तिका निकालने से सभी मान्यवरों का परिचय भी बढेगा और स्नेह भी बढेगा।
बहुत अच्छे अच्छे मान्यवर हमारे संगठन से जुडे हुए है यह हमारा सौभाग्य है।
संगठन को भारत सरकार की मान्यता भी है,और एक अच्छी वेबसाइट भी संगठन ने बनाई है,यह संगठन के लिए बहुत गौरवशाली है।
हरी ओम।
---------------------------------  विनोदकुमार महाजन,
राष्ट्रीय सलाहकार,
ओल मिडिया प्रेस असोसिएशन।
( भारत सरकार द्वारा मान्यताप्राप्त राष्ट्रीय शक्तीशाली संगठन )
[05/07, 2:10 PM] mahajanv326: विश्व क्रांति हिंद फौज।
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कृष्ण निती,चाणक्य नीती,शिवाजी महाराज जी की जबरदस्त रणनीति, सुभाषचंद्र बोस जी की व्युहरचना, विवेकानंद जी का पावित्र्य... सभी एक जगह करके एक शक्तीशाली जागतीक योजना बनाके...
      " विश्व क्रांति..."
के लिए...
      " हिंद फौज...।"
का निर्माण आज समय की जरूरत बन चुकी है।
सभी धर्मों का मूल रूप क्या है???
सत्य सनातन ही है ना ?
मतलब सभी की आत्मा एक।
तो सभी का ईश्वर भी एक।और वह ईश्वर है...
सत्य सनातन ने बताया वाला....
सभी प्राणियों पर, सजीवों पर...
प्रेम करने को सिखाने वाला...
निराकार और साकार ब्रम्ह।
तो भटके हुए मेरे सभी भाईयों, विश्व के सभी धर्मों के माननेवालों...
आ जावो तुम्हारे मूल रुप में वापिस।
बन जावो सनातनी, सत्य सनातनी।
कर लो सत्य की स्वीकार।
आ जावो तुम्हारे पुराने पवित्र घर में वापिस।
कर लो सत्य की जीत।
तुम्हारे सभी पुर्वज भी तो सनातनी ही थे।
यह तो शत प्रतिशत सत्य बात है ना ?
तो फिर...?
कर लो सत्य की स्विकार।
सुन लो आत्मा की पुकार।
हरी ओम।
____________________ विनोदकुमार महाजन।
[06/07, 2:29 PM] mahajanv326: आँनलाइन वोटिंग की जरूरत है।
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मतदान बढाने के लिए आँनलाइन मतदान सख्त जरूरी हो गया है।
जैसे की मैं रहता पुणे में हुं,और मेरा और मेरे परिवार का मतदाता सुची में नाम है महाराष्ट्र, सोलापुर जिले में।
हर चुनाव में,हर बार मुझे और मेरे परिवार को मतदान के लिए सोलापुर जिले में जाना मुमकिन नही होता है।
जैसे की कोई व्यक्ति दिल्ली में कुछ कारणवश रहता है और उसका पुणे में मतदाता सुची में नाम है- तो-
उस व्यक्ति को भी हर बार मतदान के लिए पुणे जाना मुमकिन नही होता है।
इसीलिए मतदान आँनलाइन होना और तुरंत होना अती आवश्यक है।क्योंकि इसकी वजह से मतदान का प्रतिशत बढ सकता है।और चुनाव में ऐसा होना जरूरी है।
इसके सिवाय हर मतदाता का नाम आधार से लिंक होना अति आवश्यक है।इससे बोगस मतदान पर अंकुश लग सकता है।
मोदीजी के अनेक नजदीकी मित्र मेरे अनेक महत्वपूर्ण लेख हमेशा मोदीजी तक पहुंचाते है।यह लेख भी तुरंत मोदीजी को पढने को मिलेगा तो...
उन्नीस के चुनाव से पहले इसकी कार्रवाई होने से इसका फायदा भाजपा को काफी मात्रा में हो सकता है।
क्योंकि भाजपा की लोकप्रियता दिन-बदिन बहुत जोरों से बढ रही है।
मोदीजी के काम करने के अद्भुत तरीकों से भाजपा की लोकप्रियता प्रचंड बढ रही है।
अगर आँनलाइन वोटिंग का पर्याय लोगों को उपलब्ध होगा,तो लोगों में भी मतदान के लिए चैतन्य उभरकर आयेगा और मतदान का टक्का भी बढेगा।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[07/07, 10:19 AM] mahajanv326: जनसंख्या नियंत्रण कानून क्यों जरूरी है ?
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हिंदुभूषण शामजी महाराज जी ने मुझे,
सुदर्शन टिवी चैनल के प्रमुख श्री.सुरेश जी चव्हाण के ने संपूर्ण देश में एक प्रभावी अभियान चलाया था...
उसपर एक विस्तृत लेख लिखने को कहा था।
कुछ कारणवश मैं उससमय लेख लिख नही सका था।
आज मैं चव्हाण के जी ने जिस जनसंख्या नियंत्रण कानून का मुद्दा उठाया था...
उसपर विस्तृत लिख रहा हुं।
जनसंख्या नियंत्रण कानून हिंदुस्तान में लागू होना आज नितांत आवश्यक है।
इसके साथ ही यह समस्या संपूर्ण विश्व को भी भयभीत कर रही है।
क्योंकि इससे हमारे देश में और संपूर्ण विश्व में केवल मनुष्य समुह ही संकटों से घिरता नही जा रहा है,अपितु चौ-यांशी लक्ष योनी ,जंगल,पेड,कुदरत का ही अस्तित्व खतरे में आ रहा है।
जंगल पेड कटते जा रहे है,पर्यावरण की समस्याएं बढती जा रही है।जंगली जिवों का जीना मुश्किल हो रहा है।सृष्टी चक्र में अनेक जटिल समस्याएं उत्पन्न हो रही है।ग्लोबल वाँर्मिंग जैसी अनेक समस्याएं भयंकर रूप ले रही है।
ईश्वरी कानून और रचना का बढती मानव जाती द्वारा, भयंकर उल्लंघन हो रहा है।
ये हो गई जागतीक समस्या।
ठीक ऐसा ही माहौल हिंदुस्तान में दिखाई देता है।
मैं कोई जाति विषेश या धर्मविषेश पर टिप्पणी नही कर रहा हुं।
मगर जिस तरिके से,योजना बध्द तरिके से ,अगर कोई राक्षसी हवस पुरी करने के लिए-अगर जनसंख्या बढा रहा है,पशुपक्षी,जंगल पेडों की,और मानवता की हत्या कर रहा है- ईश्वरी सिध्दांतों के विपरीत चलकर, भयंकर हाहाकार ,तबाही मचा रहा है,सृष्टसंचालन में बाधाएँ उत्पन्न कर रहा है,खून के पाट बहा रहा है-पशु हत्या से माँस-हड्डी-खून द्वारा वातावरण का नरक बना रहा है...
और वह भी अती भयंकर स्वार्थ के तहत भयंकर क्रौर्य और खून खराबा कर रहा है...
तो.....?
इसपर त्वरित कठोर अती कठोर तुरंत कानून बनाकर...
ऐसी निती को बंद करना ही होगा।
ईश्वरी कानून, सृष्टिचक्र, कुदरत,पेड-जंगल,पशुपक्षी, समस्त मानव समुह,और केवल मानवता ही नही तो विश्व मानवता खतरें में पड रही है।
इसीलिए...
भयावह तरिके से बढती आबादी को कानुनन तुरंत रोकना ही समय की जरूरत है।
इसिलए सभी जाती-धर्म-सांप्रदायवालें,समस्त मानवता वादी,समस्त विश्व के कुदरत का कानून मानने वालों को तुरंत एक होकर कार्यशिल होना समय की जरूरत है।
हिंदुस्तान में भी आज,अभी,तुरंत
जनसंख्या नियंत्रण कानून लाना अती अनिवार्य है।नही तो..भयंकर अनर्थ हो जायेगा।भविष्य का अंधेरा बढता जा रहा है।
अतएव सावधान।
अगर सरकार के पास ऐसा विधेयक संम्मत करने में लोकसभा में बहुमत है-मगर राज्यसभा में बहुमत नही है तो
संविधान का संशोधन करके सन्माननीय राष्ट्रपति जी को इसके लिए अध्यादेश जारी करना होगा।
इसके साथ ही धारा 370,राममंदिर निर्माण, मतदाता सूची में आधार लिंक करना,जैसी अनेक जटिल समस्याओं पर हस्तक्षेप करना होगा और हल निकालना ही होगा।

जनसंख्या नियंत्रण कानून को तुरंत लागू करने के लिए...
सन्माननीय श्री.सुरेश जी चव्हाण के जी ने जो अथक प्रयास किये है...
इसकी नोंद इतिहास में भी हो जायेगी, इतना जबरदस्त माहौल इन्होंने संपूर्ण देश में बनाया है।
अब उनका केवल अभिनंदन करने से यह बात आगे नही बढेगी अपितु, सुरेश जी के कंधे को कंधा मिलाकर इस...
पवित्र ईश्वरी मिशन को सफल बनाना ही होगा।
यही समय की पुकार है।
सोचो,जागो,कार्य तत्पर बनो।
हरी ओम।
~~~~~~~~~~~~--  विनोदकुमार महाजन।
[10/07, 1:12 PM] mahajanv326: यारों का भी यार।
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दुख दर्द में साथ निभाएं
वही सच्चा साथी
होता है।
मुसिबतों में सच्चा
साथ दें
वही सच्चा दोस्त
होता है।
इस स्वार्थ के
मायावी बाजार में
क्या सचमुच में मिलेंगे
यार दिलदार
यार के भी यार
जिसके लिए कर सके
हम जान भी कुर्बान।
इसिलिए एक
पुरानी कहावत है...
"आँस का बाप...
निरास की माँ...
होते की बहन...
जोरू साथ...
पैंसा गाँठ...
और...
निदान का दोस्त।"
यारों का भी यार
दिलदार।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[10/07, 1:33 PM] mahajanv326: मंदिर को सोने का कलश चढायेंगे।
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भाईयों,
एक वास्तव लिख रहा हुं।जो मैंने देखा है,आजमाया है।शायद यह मेरा अंदाज आपकी नजरों से गलत भी हो सकता है।
हमारे ज्ञानेश्वर, तुकाराम जैसे महान संत हो,या महात्मा हो,या अवतारी पुरुष हो,या महायोगी-सिध्दयोगी हो।
उनके हयात में हमारे अपने ही ऐसे अनेक महापुरूषों को अनेक प्रकार की पिडाएं,नरक यातनाएं,दुख दर्द देते है।
कभी कभी उनका जिना भी हराम कर देते है।उन्हे भी रूलाते है।
और...
उनके मृत्यु के बाद...?
उनका भव्य दिव्य मंदिर बनाना,समाधी निर्माण करना,और कभी कभी 
उनके मंदिरों को सुवर्ण कलश भी चढाना।
जब देह तत्व में होते है तो...
खून के आँसु बहाना,
और मृत्यु के बाद..
नितदिन...
मंगलआरती करना...

सोचो दोस्तों,
क्या यही सच्चाई है?
यही वास्तव है?
यही दुनियादारी है?

अगर हाँ...तो...
क्यों ...???
 हरी ओम...🙏
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--  विनोदकुमार महाजन।
[15/07, 10:31 AM] mahajanv326: मस्त रहेंगे, खुश रहेंगे।
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मस्त रहेंगे, खुश रहेंगे।
हँसते रहेंगे, गाते रहेंगे।
हँसते गाते,
मंजील की ओर बढते रहेंगे।
दिव्य मंजील हासिल करके,
मानवदेह का सार्थक
करेंगे।
प्यार से दुनिया जितेंगे
हँसते खेलते
हम सभी एक होकर,
शक्तिशाली विश्व संगठन बनायेंगे।
अंदर का चैतन्य जगाएंगे।
विश्व में भी चैतन्य
लायेंगे।
"विश्व क्रांती"के लिए,
"हिंद फौज"बनाएंगे।
विश्व के सभी मानवतावादियों को,
सत्यवादियों को,
सत्य सनातन के सभी
विश्व के प्रेमियों को
एक धागे में
पिरोयेंगे।
सभी की अंतरात्मा 
की आवाज हम
जगायेंगे।
प्रेम से दुनिया हम
हिलाएंगे।
"विश्व विजेता हिंदु धर्म"
बनाकर 
विश्व पर ईश्वरी राज्य
लायेंगे।
कुदरत का कानून बनायेंगे।
सच्चाई की जीत,
हँसते खेलते हम सभी
मिलकर,
करके रहेंगे।
आज का संकल्प हम
सिध्दी तक
पहुचायेंगे।
हरी ओम,हरी ओम की गूँज अब हम
हँसते खेलते,
नाचते गाते,
दुनियाभर में पहुचायेंगे।
हमारी मंजील अब
हम सभी पाके रहेंगे।
प्रभू ने दिये हुवे
नरदेह का सार्थक
हम करके रहेंगे।
सभी के अंतरआत्मा की
ज्योत हम जगाके रहेंगे।
ज्योत से ज्योत
जगाके रहेंगे।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[15/07, 11:42 AM] mahajanv326: मैं हिंदु हुं।मैं हिंदु हुं।
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गर्व से कहता हुं,
मैं हिंदु हुं।
सीना तान के कहता हुं,
मैं हिंदु हुं।
सभी पर पवित्र प्रेम,
करनेवाला मैं हिंदु हुं।
मैं तेजस्वी ईश्वरपुत्र,
हिंदु हुं।
पशुपक्षियों पर भी
प्रेम करनेवाला,
मैं हिंदु हुं।
गाय को भी
माता मानकर,
पूजनेवाला,
मैं हिंदु हुं।
माँ भारती को,
माँ धरती को भी पूजनेवाला,
मैं हिंदु हुं।
मैं सत्य सनातनी
सत्य का रखवाला,
हिंदु हुं।
मानवता का पूजारी,
मैं हिंदु हुं।
वंन्दे मातरम् कहनेवाला
भगवान के भगवे को,
पूजनेवाला,
मैं हिंदु हुं।
सूर्य जैसा तेजस्वी,
मैं हिंदु हुं।
आत्मा परमात्मा को
जोडनेवाला,
नर का भी नारायण
बननेवाला,
मैं हिंदु हुं।
मैं सत्य सनातनी,
हिंदु हुं।
जोर से बोलो,
मैं हिंदु हुं।
गर्व से बोलो,
मैं हिंदु हुं।
मैं हिंदु हुं।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[17/07, 5:38 AM] mahajanv326: दुख क्यों आता है ???
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संचित कर्म या प्रारब्ध गतीअनुसार हर एक प्राणी को सुखदुख का सामना करना ही पडता है।
इसमें सुख हाथ में लगता ही नही है।कभी आता है और चला जाता है समझ में भी नही आता है।
और दुख ???
पिछा ही नही छोडता है।
हम आगे भागते रहते है,और दुख निरंतर हमारा पिछा करता रहता है।
कभी कभी दुख इतना भयंकर, अक्राल विक्राल होता है की हमारा अस्तित्व ही खतरे में पड जाता है।कभी कभी भयंकर दुख में तडपते तो रहते है -मगर दुख हलका करने के लिए,रोने के लिए भी किसिका कंधा भी नही मिलता है।
ऐसा ही होता है।मेरे साथ भी,आपके साथ  भी।जीसपर भरौसा था,वह भी रुलाते है।
यही तो जीवन है।
नशीब, प्रारब्ध, संचित कर्म से,दुखों से छुटकारा पाने का एक ही रास्ता है।
मौन-शांत-स्थिर-निश्चल होकर ईश्वरी चिंतन करना,आध्यात्मिक साधना बढाना, प्रभु के शरण में जाना।
या फिर सद्गुरू के चरणों में सब समर्पित कर देना।
इससे केवल दुखों से ही छुटकारा नही मिलता है तो...नामुमकीन को भी मुमकीन में बदलने की क्षमता आती है।
और हम हमारा...नशीब भी बदल सकते है।और अनेक लोगों का सहारा भी बन सकते है।
आजमाके तो देखो।दुख में अकेले में रोने से यही बेहतर है।
सभी दुखों को मात देने का एक ही रास्ता है-
प्रभू नाम रट ले प्राणी...होगा तेरा बेडा पार।
हरी हरी:ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[17/07, 2:19 PM] mahajanv326: ठंडा दिमाग, कू...ल माईंड।
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हर समस्या का एक ही जबरदस्त उत्तर है।जी हाँ मेरे प्यारे सभी दोस्तों।सभी प्रश्नों का एक ही इलाज... रामबाण औषधी....
"ठंडा दिमाग... कू...ल...बिल्कुल ही कू...ल माइंड।"
चाहे अपयशों से जूंझ रहे हो, या भयंकर बिमाँरीयाँ अती पिडा से परेशान कर रही है,शत्रू भी भयंकर तडपा रहा है ,भयंकर अपमान का सामना करना पड रहा है,नरकयातनाओं से जीना भी मुश्कील हुवा है,अनेक आर्थिक समस्याएं भी तडपा रही है,या फिर अन्य कोई भी समस्या हो....बस्स...एक ही जबरदस्त उत्तर है....ठंडा दिमाग।
अगर शत्रू भयंकर पिडा दे रहा तो...उसको जवाब मत देना...उफ्फ् भी मत करना।उल्टा उसके सामने मस्त होकर हँसते खेलते रहना।शत्रू तडप तडप कर मरेगा।
और अगर उसके साथ झगडा करोगे तो और परेशान करेगा।
शत्रुपिडा से त्रस्त मेरे सभी मित्रों को मेरी एक ही सलाह है की,एक छोटीशी चिंटी को भी किमत दो...मगर शत्रू को य:किंचित भी किमत मत देना।
देखो तुम्हारा शत्रू जलजलकर खाक होगा।
अपमान, अपयशों में भी दिमाग को इतना ठंडा रखो की...मन की धारणा ऐसी बनाओ की...
"चाहे आने दो कितने भी तूफान, आने दो कितनी भी मुश्किलें...मैं ना डरूंगा,मैं ना हारूंगा,ना मैं पिछे हटुंगा।मुश्किलों का सामना करते करते मेरी मंजील तक मैं एक दिन पहुंचकर ही रहुंगा।"
बस्स...यही मन की धारणा बनाओ।
ठंडे दिमाग से हर मुश्किलों का सामना करके,हर समस्याओं पर धिरे धिरे मात करते जाव।
जीवन में हमें कभी भी हारना नही है,और नाही कभी हार माननी है।
पलायन का रास्ता चुनेंगे तो समस्याएं भयंकर रूप से बढती जायेगी।अक्राल विक्राल होगी।
और हिम्मत से संकटों का सामना करेंगे तो....
आत्मबल बढेगा... और उच्च आत्मबल से हम हमारी दिव्य मंजील तक जरूर पहुचेंगे ही।
इसके लिए आत्मविश्वास, दृढ निर्धार,दृढ संकल्प और अथक प्रयत्न वाद तो चाहिए ही।
तो मेरे प्यारे भाईयों, क्या सचमुच में तुम्हें जीवन की लडाई जीतनी ही है...?
तो हार मत मानना।कभी भी हारना नही।लडते रहना,संघर्ष करते रहना।आत्मबल-आत्मविश्वास निरंतर बढाते रहना।
"ठंडे दिमाग",से जीवन का सफर चलते रहना।
संपूर्ण पृथ्वी पर जो ईश्वरी राज्य की कल्पना साकार करना चाहते है,और इसके पुर्ती के लिए प्रकट या गुप्त रूप से कार्य कर रहे है,आध्यात्मिक जप-तप-साधना कर रहे है,और सद्गुरु कृपा से जिसे ईश्वरी कृपा प्राप्त हो गई है ...ऐसे मेरे अनेक ज्ञात-अज्ञात भाईयों का दिमाग... इसी ईश्वरी कार्य के लिए ठंडा हो गया है-इसका मुझे पूर्ण विश्वास है।
तो चलो धिरे धिरे मंजिल की ओर...।
"ठंडे दिमाग से।"
"बिल्कुल ही ठंडे दिमाग से।"
"कूल...कूल...माईंड।"
हरी ओम।🙏🕉
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--  विनोदकुमार महाजन।
[17/07, 8:29 PM] mahajanv326: एक भयंकर समस्या।
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सभी पत्रकार मित्रों,
सादर प्रणाम।
एक भयंकर समस्या समाज में दिखाई दे रही है।
स्त्री उत्पीडन के मामले दिनबदिन बढ रहे है।जिसपर तुरंत कानूनी कारवाई की जाती है।मगर इससे विपरीत एक भयंकर समस्या चल रही है।
पुरुष उत्पीड़न।
जब झूटी, बुरी,खराब औरते सज्जन पुरुषों पर झूटे आरोप लगाती है,उस पुरूष को फँसाने की कोशिश की जाती है,झूटे इल्जाम लगाती है और समाज भी
ऐसी औरतों के ही पिछे खडा हो जाता है
उस निष्पाप पुरूष को या फिर....
पत्रकारों को भी...
ऐसे झूटे मामलों में फँसाया जाता है।
कभी कभी ऐसे झूटे आरोपों की वजह से उस पुरूष का जीवन ही खराब होने की स्थिति पैदा होती है...
भयंकर विनावजह की बदनामी सहना भी मुश्किल हो जाता है...
तब उस...
बेचारे....
निष्पाप पुरूष ने क्या करना चाहिए ???
समाज में ऐसी अनेक घटनाएं हो रही है।मैं किसी पर झूटे इल्जाम नही लगा रहा हुं।मेरे आँखों के सामने की अनेक ऐसी घटनाएं है।
इसका उत्तर क्या है ? हल क्या है ?
ऐसी भयंकर समस्या का उपाय क्या है ?
मुझे अपेक्षित उत्तर मिलेगा ऐसी आशा करता हुं।आखिर सभी को न्याय तो मिलना ही चाहिए।
वास्तव लिख दिया,जो मैंने देखा है।
चुकभूल क्षमस्व।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[18/07, 7:56 PM] mahajanv326: महाराष्ट्र, जिला सोलापुर, तहसील बार्शी में मेरी सव्वातीन एकड बागाईती खेती योग्य किमत मिलनेपर मुझे तुरंत बेचैनी है।
इसमें दो कुवें तथा एक बोअरवेल है।मैंने अंगुर की खेती इसमें की है।अंगुर एक्सपोर्ट करनेयोग्य उपजाऊ जमीन है।
खरेदीदार को खेती करने,या मोबाइल टावर लगवाने, या सौरएनर्जी प्लांट लगवाने, या मठ-मंदिर बनाने, फार्महाउस के लिए अथवा किसी व्यावसाय के लिए  जमीन किफायती है।
संपर्क:- 
श्री.विनोदकुमार महाजन,पत्रकार,
(टि.वी.रिपोर्टर)
पुणे।
मोबाइल नंबर:- 
09890349751
[19/07, 12:06 PM] mahajanv326: ...  अपमान  ...
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अगर किसीने हमारा जानबूझकर अपमान किया तो हमारे अंदर आग सी लग जाती है।अपमान सहा नही जाता है।इसीलिए अपमान का भयंकर जहर हजम करने के लिए अपनी आत्मा में जबरदस्त शक्ती चाहिए।
जिसका अपमान किया गया है वह व्यक्ति प्रतिशोध की आग में धधकती रहती है,और वक्त मिलते ही अपमान करनेवालों.का प्रतिशोध लेकर मन को ठंडक दी जाती है।
अपमान का प्रतिशोध लेना यह केवल मनुष्यों में ही नही तो अन्य अनेक सजीव प्राणियों में भी देखा जाता है।
मगर... जिसे जीवन की लडाई जीतनी ही है,उसे ठंडे दिमाग से अपमान का जहर हजम करके आगे जाना पडता है।
नही तो मंजिल तक पहुंचने में अनेक बाधाएं उत्पन्न हो सकती है।और प्रतिशोध की अग्नि में तडपते हुए हमारी मंजिल भी हाथों से छूट सकती है।
अगर अपमान करनेवाले का प्रतिशोध लेना ही है तो बहुत बडा नाम कमाकर भी ले सकते हो।और हमारी श्रेष्ठता, योग्यता तथा अपमान करनेवाले की औकात,झिरो लायकी भी दिखा सकते हो।
अपमान यह एक भयंकर जहर के समान होता है।
विषेषतः यह जहर कलियुग में दुष्टों के कंठों में सदैव रहता है।कोई सज्जन सामने आये,या किसिकी प्रगति हो रही हो तो दुष्ट हमेशा जलते रहते है और अपने मुख से,कंठ से दुसरों का अपमान करने का जहर सदैव उगालते रहते है।
दुष्टों को उनका विरोध करनेपर भी और प्रोत्साहन मिलता है और ऐसे महापातकी सज्जनों का और अपमान करते रहते है।
और सत्पुरुष अगर गृहदशा में फँसा है तो दुर्जनों को और मजा आती है और बडे आनंद से ऐसे दुष्टात्माएँ सज्जनों को तडपाती रहती है।
और भगवान भी ऐसे कठिन समय में बहुत कठोर सत्वपरिक्षाएं लेता रहता है।
योग्यता तथा श्रेष्ठत्व होनेपर भी उनका कहना ना समाज में माना जाता है,और नाही घरवाले भी उसके शब्द को किमत देते है।
ऐसे कठिन समय में शांती से,मौन होकर गृहदशा का समय काटना और ...समय का इंतजार करते रहकर अपेक्षित यश खिंचकर लाना ही सही पुरूषार्थ होता है।
शांती,संयम,मौन ही मंजिल की ओर बढने के जबरदस्त शक्तीशाली शस्त्र होते है।
मौन होकर दुर्जनों को दुर्लक्षित करते ही मंजिल की ओर बढते रहने से ही आत्मबल तथा बुलंद हौसले बढते जाते है।संयम से अनेक असाध्य कार्य भी सफल किये जाते है।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[26/07, 1:42 PM] mahajanv326: गर्वित ने मचाई धूम..
चारों ओर गर्वित का नाम....
लोगों को भी मिल रहा है अच्छा काम...
चलो चले गर्वित के संग....
जीवन में खुशहाली के
अनेक रंग भरेंगे
हम ....
गर्वित के संग।
पत्रकार,
विनोदकुमार महाजन का है वादा...
गर्वित के संग रहेंगे
हम सभी खुशहाल
सदा....
वादा करनेवाले आये अनेक...
निभानेवाला है एक...
हमारा, आपका,
सभीका 
"गर्वित...
गर्वित...
गर्वित...।"
मुझे भी बनायेगा
गर्वित...
"" ---   करोडपती   --- ""
---
रचना,
ईश्वरी कृपाप्राप्त,
महाजन पत्रकार।
[29/07, 9:31 PM] mahajanv326: निगेटिव एनर्जी को पोझिटिव एनर्जी में ....
कैसे बदले...???
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निगेटिव एनर्जी !!!
बहुत ही भयंकर और खतरनाक समस्या।
ऐसे भयंकर बिमारी से,भयंकर शक्ती से जो भी ग्रस्त है...
उसी घर में या फिर समाज में भी भयंकर यातनाएं तथा पिडाएं पैदा होती है।
इसिसे ही उसी घर में,समाज में नैराश्य फैल जाता है...
और नैराश्य का हल युं ही नही मिलता है।
बिमारी, कर्जा,झगडा,आपसी कलह,कौटुंबिक कलह,गलतफहमीयाँ,व्यसनाधीनता ऐसे अनेक प्रकारों से निगेटिव एनर्जी उत्पन्न होती है।
तो....ऐसे निगेटिव एनर्जी को क्या सचमुच में पोझिटिव एनर्जी में बदला जाता है?
जी हाँ,बिल्कुल।
कैसे...???
(१)निगेटिव सोच रखनेवालों से दूरी रखे।
(२)ईश्वरी चिंतन करे।
(३)पोझिटिव सोच रखने वालों से दोस्ती बढायें।
(४)जप जाप्य,गुरूमंत्र का जाप करें।
(६)मठ-मंदिरों में,जंगलों में जाने से भी निगेटिव शक्तीकम होती है,और पोझिटिव शक्ती बढ जाती है।
(७)हमेशा विनावजह के झगड़े करनेवालों से सदा दूर रहे।
(८)देवी देवताओं पर विश्वास न करनेवालों से दूर रहे।
(९)धर्म ग्रंथों का पारायण करें।धार्मिक किताबों का पठन करें।
(१०)शौर्यकथाओं का पठन करें।
(११)योगासन,प्राणायाम करें।ओंकार साधना करें।
(१२)आत्मविश्वास, दुर्दम्य इच्छाशक्ति, प्रयत्नवाद,आशावादी रहें।
(१३)पशुपक्षी सहित सभी से सदैव शुध्द, पवित्र, निरपेक्ष, दिव्य प्रेम करते रहे।
(१४)निगेटिव एनर्जी पैदा करनेवाला भी मिले,या घर में-समाज में हमारे संपर्क में है ही तो उसको बारबार समझा कर,उसको जबरदस्त पोझिटिव एनर्जी में लाकर उसका जीवन सुकर बनाने का अथक प्रयत्न करते रहे।
(१५)सभी को सुखी करने की ईश्वर को सदैव प्रार्थना करते रहें।
(१६)गीत-संगीत गाते रहे,गुनगुनाते रहे,हँसते खेलते रहे।
(१७)दुसरों को भी हँसते खेलते देखने का आनंद लेते रहिए।दुसरों के दुखदर्द में सहभागी होकर उसको आनंदी करने का,उसको हँसाने का प्रयत्न करते रहिए
(१८)दुसरों के चेहरेपर आनंद देखने के लिए, हँसी देखने के लिए सदैव तत्पर रहें।
(१९)आत्मशक्ति, आत्मबल बढाते रहिए।
(२०)ईश्वरी चैतन्य जगाने की हमेशा कोशिश किजिए।
(२१)घर में ,समाज में सभी को सुखी, खुश, आनंदी देखने की निरंतर कोशिश में लगे रहिए।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[03/08, 12:50 AM] mahajanv326: पेड लगाओ,धरती बचाओ।
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सृष्टि संतुलन के लिए, प्राणीयों की रक्षा के लिए, आँस्किजन की मात्रा बढाने के लिए देश में ही नही तो संपूर्ण विश्व में अब पेड,जंगल बढने की और प्रयत्नपूर्वक बढाने की अती आवश्यकता आ गई है।
इसी ईश्वरी उद्देश्य से प्रेरित होकर मैंने तथा मेरे कुछ मित्रोंने नियोजन पूर्वक पेड जंगल बढाने का अभियान आरंभ करने का संकल्प किया है।
मेरा सभी राज्य सरकारें तथा केंद्र सरकार को आवाहन है की हमारे इस अभियान को बढाने के लिए सरकार की तरफ से पुरी सहायता की जायेगी।
आम,इमली जैसे बडे तथा फल देनेवाले पेड कोई लगायेगा और पेडों की पूरी जिम्मेदारी से पालन पोषण करेगा,उसे हमारे संगठन द्वारा उचित मेहनताना दिया जायेगा... ऐसा हमारा संकल्प है।
इस विषय में कोई अधिक सुचना करना चाहता है अथवा व्हाट्सएप ग्रुप पर आना चाहता है ,ऐसे मान्यवर कृपया मेरे व्हाट्सएप नंबर पर संपर्क करें।

पत्रकार श्री.विनोदकुमार महाजन,
व्हाट्सएप नंबर...
+ 91 98903 49751
(हिंदुस्तान, भारत,इंडिया)
नोट:- इसी कार्य को तेजी से बढाने के लिए राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाने की जरूरत है।जो भी व्यक्ति इस ईश्वरी कार्य में तन-मन-धन से समर्पित भाव से संगठन से जुडना चाहते है कृपया संपर्क करें।
विश्व अभियान के तहत कार्य बढाना है।
[03/08, 7:23 AM] mahajanv326: धरती पर खुशहाली हो।
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प्रभु ने बनाई हुई इस धरती का स्वर्ग जैसा माहौल बने,और सभी प्राणीमात्र, सजीव, पशुपक्षी सभी सुखी हो,आनंदित हो,सबका कल्याण हो,मंगल हो...
ऐसी हम सभी विधाता के चरणों में नम्रतापूर्वक प्रार्थना करते है।
इसके साथ ही पृथ्वी पर हाहा:कार मचाने वाले,सभी का जीना हराम करनेवाले उन्मत्त, उन्मादी,पापी सभी राक्षसों का नाश हो,ऐसी भी प्रभुचरणों में प्रार्थना करते है।
धरती पर निसर्ग चक्र संतुलित करनेवाला ईश्वर का का कानून हो,ऐसी मंगल कामना करते है।
"विश्व-स्वधर्म-सुर्ये-पाहो।"
"विश्व पर...भगवान का,ईश्वर का,स्वधर्म का राज आयें....
और.....
हम सभी मिलकर ऐसा राज....
निर्माण करके ही रहेंगे..।"
ऐसा आज,अभी शुभसंकल्प करते है।इसके लिए...
कार्य-आरंभ भी करते है।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[07/08, 5:20 AM] mahajanv326: ---   चक्रव्यूह भेदन   ---
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भगवान ने हमें जन्म तो दिया है।जन्म मृत्यु तो भगवान के हाथ में है।चाहे मनुष्य हो या अन्य सजीव।
मनुष्य जन्म मिलने पर हमें इच्छा आकांक्षाएं होती है।
जैसे की,किसी को ऐश्वर्य कमाना है,तो कोई धन के लिए दिन रात दौड रहा है।किसिको नाम,इज्जत कमानी है तो किसिको यश चाहिए।तो अनेकों को इज्जत-प्रतिष्ठा चाहिए।
किसिको संकटों से तुरंत छुटकारा, तो किसिको बिमारियों से मुक्ति चाहिए।तो किसिको नौकरी-धंदा-काम चाहिए।
अनेक समस्या और समस्याओं से समाधान चाहिए।
वह भी तुरंत।
मगर प्रारब्ध, नशीब, संचित कर्म यह बात हमें छुटकारा नही देती।और अपेक्षित यश नही मिलता,हाथ में नही लगता।और हम नाराज हो जाते है।
लगातार कोशिश करनेपर भी यश कोसों दूर रहता है तो आदमी हताश-निराश होकर नशीब को कोसता है और दुखों से तडपता रहता है।
यह हकीकत है-मेरी आपकी, हम सभीकी।
और अगर किसिका सपना बडा होता है...और सपना पूरा करने में अनेक रूकावटें आती है तो वह जीव थक हारकर, काफी हताश उदास हो जाता है।
इंन्सान जब मुसिबतों के घोर चक्रव्यूह में पूरा फँस जाता है...और बाहर निकलने के लिए, दुखों से छुटकारा पाने के लिए दिन रात तडपता रहता है..और कोई साथ भी नही देता है बाहर निकलने के लिए... सभी तडपाते रहते है,मजे देखते है,यातनाएं देते है या फिर भाग जाते है तो और भी दुख बढता है।
जब अभिमन्यु चक्रव्यूह में अकेला फँसा था,अकेला लड रहा था तो भगवान श्रीकृष्ण देहरुप से प्रत्यक्ष अभिमन्यु के साथ होकर भी,प्रारब्ध गति अनुसार प्रत्यक्ष परमात्मा भी अभिमन्यु को नही बचा सका था।अर्जुन का बेटा होकर भी-और अर्जुन पर निस्सीम प्रेम होकर भी।
यही तो प्रारब्ध है यारों।
हम सभी भी ठीक इसी तरह हर दिन,हर पल चक्रव्यूह भेदन करने की,दुखों से मुक्ति मिलने कि कोशिश में लगातार रहते है।दिव्य मंजिल की ओर निरंतर बढने कि लगातार कोशिश में रहते है....।
मगर उफ्फ....
संकटों से,दुखों से,मुसीबतों से छुटकारा ही नही मिलता।
और...हमारे ही प्रारब्ध गति अनुसार अगर प्रत्यक्ष परमात्मा श्रीकृष्ण भी हमारे साथ है और वो भी हमें,अभिमन्यु कि तरह सहायता नही करता है तो...दुख,भयंकर दुख तो होता ही है।भयंकर आत्मक्लेश तथा यातनाएं तो होती ही है।
है ना मेरे प्यारे सभी दोस्तों,मित्रों...???
कोई बात नही।
ऐसा होने के बावजूद भी,लगातार कोशिश मेन रहने के बावजूद भी हमें निराशा आ रही है,यश नही मिल रहा तो भी...!!!
यारों......
हिंदुराष्ट्र निर्माण के लिए, अखंड हिंदुराष्ट्र निर्माण का हमारा संकल्प और ध्यास पूरा करने के लिए... ईश्वरी राज्य लाने के लिए,विश्व मानवता की जीत के लिए, भयंकर हैवानियत कि हार के लिए,
हमें...
सभी को...
एक होकर...
लगातार...
निरंतर....
अथक....
लडते ही रहना है।
चाहे हमारा प्रारब्ध कुछ भी हो....
चक्रव्यूह भेदन के लिए हमें सदैव...
अखंड सावधान होकर
तत्पर होकर...
प्रयत्नरत तो रहना ही है।
न जाने भगवान भी हमारे अथक प्रयत्न, लगातार कोशिशों से प्रसन्न होकर हमारा प्रारब्ध ही बदल दे...
और हमारे झोली में जो हम चाहते है..वही अपेक्षित यश भी दें..।
तो...???
चलो दिव्य मंजिल की ओर।बिना हारके।
(लेख लंबा होने के बाद भी आपने पूरा पढ लिया इसीलिए धन्यवाद।
हरी ओम।
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 --  विनोदकुमार महाजन।
[15/08, 1:42 PM] mahajanv326: [15/08, 1:00 PM] mahajanv326: पूजनीय, वंदनीय,प्रयागेश्वरजी तो आप ही पूरा किजिए ना अखंड हिंदुस्तान का सपना पूरा।
हम आपके साथ है।
और इसे बकवास, दिवास्वप्न नही कहते साहब...इसे हकीकत कहते है।
चलो हम ना सही..आप तो तैय्यार हो गए नथुराम जी का अधुरा सपना पूरा करने के लिए।
अब आपके ही हाथों से अस्थिकलश विसर्जन जरूर करेंगे।
हरी ओम।
🙏🕉💐
आपपर,
जी जान से प्रेम करनेवाला,
आपका,
एक सच्चा देशप्रेमी,
--विनोदकुमार महाजन।
👍🙏
[15/08, 1:09 PM] Prayageshwar: आप नाथुराम जी की बात करके गुमराह मत कीजिए, एक तरफ आपके परम श्रध्देय मोदी जी स्वयं गांधी भक्ति करते है, इनमें नोटबंदी करने की तो हिम्मत थी पर नए नोटों में से किसी एक में से गांधी की फोटो नहीं हटा सके। आप हिंदुओं को बेवकूफ कब तक बनाए रख सकोगे। खैर अभी व्यस्त ,बाद में चर्चा जारी रखेंगें
[15/08, 1:10 PM] ‪+91 88558 68766‬: सत्य
[15/08, 1:28 PM] mahajanv326: आप जैसे महापुण्यपुरूष ,पुण्यात्मा को कोटि प्रणाम।
शायद अब आपके हाथों से अखंड हिंदुस्तान का सपना जरूर पूरा होगा।और आप करके ही रहेंगे।
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास।
अब बहस नही,कृती होगी।
हरी ओम।
🙏🕉💐👍
[15/08, 1:30 PM] mahajanv326: एडमिनजी,क्या ग्रुप फिजुल झगडे के लिए बनाया है,या फिर उद्दीष्ट पूर्ती के लिए..?
झगडने से ही हिंदुराष्ट्र नही बन रहा है।
कृपया हमें रिमुव्ह किजिए।🙏
[15/08, 1:33 PM] Prayageshwar: वर्तमान परिस्थितियों में अखण्ड हिंदुस्तान की बात करना महामुर्खता है , आप लोग सोचते हो हिंदु महामुर्ख लोग है और आपकी इन बातों से बहक जाऐंगें और बीजेपी की मुस्लिम भक्ति को उचित समझेंगें ,अरे भाई ,फिर तो कांग्रेसी तुष्टीकरण भी सही ही मानी जाऐगी।वैसे बीजेपी वालों ने गांधी को अपनाकर उस गांधी को भी महान ठहराने की ही कोशिश की है।अखंड हिंदुस्तान तभी सम्भव है जहाँ मुस्लिमों का कोई अस्तित्व नहीं हो ,यदि आज की तारीख में पाकिस्तान ,अफगानिस्तान ,बांग्लादेश को जोड़ा तो हिंदु मुस्लिम अनुपात 50-50 का होगा।अच्छा फिर एक बात बताओं कि संघ
[15/08, 1:36 PM] mahajanv326: तो आप भी काँग्रेस प्रेमी ही हो..?
जय हो आपकी।
[15/08, 1:36 PM] Prayageshwar: ......शेष... संघ एक तरफ अखंड हिंदुस्तान की बात करता है तो दूसरी ओर बीजेपी NCR की बात । अब बताओ अखंड हिंदुस्तान में तो बांग्लादेशी घुसपैठियों को तो रहने का हक मिल जाऐगा या नहीं।यह तो संघ और बीजेपी हमसे ही कोई गेम तो नहीं खेल रहे!
[15/08, 1:37 PM] mahajanv326: आप साक्षात प्रभु अवतारी हो..मैं आपके श्रेष्ठत्व से बहस कैसे कर सकता हुं।
[15/08, 1:37 PM] Prayageshwar: 👏🏻👏🏻👏🏻😀🔱🔱🔱🚩🚩🚩
[15/08, 1:39 PM] Prayageshwar: खैर,शायद राजनेताओं और दलों की अंधभक्ति से हिंदुराष्ट्र अवश्य बन जाऐगा!😀
[15/08, 1:40 PM] mahajanv326: हरी ओम..आप साक्षात भगवान से मैं अंधभक्त अब बहस बंद करना चाहता हुं।🙏
[15/08, 1:45 PM] mahajanv326: [15/08, 1:42 PM] ‪+91 88558 68766‬: महाजन जी किसी की बुद्धि कुए तक सीमित होती है तो कोई तालाब तक तो कोई समुद्र तक इनसे विरले होते है जो असीम बुद्धि के धनी होते है उन्हें स्वछंद विचारधारा वाले व्यक्ति कह सकते है, वे समझौता नही करते चाहे बीजेपी से हो या कांग्रेस से,
तो मैं चाहता हु आप हर किसी को कांग्रेसी कहकर गाली न दे
[15/08, 1:44 PM] mahajanv326: आप भी तो मुझे गाली ही दे रहे हो प्रभुजी।
[15/08, 1:47 PM] mahajanv326: [15/08, 1:45 PM] ‪+91 88558 68766‬: ऐसा नही है मित्र,
हम सभी कट्टर हिंदूवादी है इस समूह में पर कोई बीजेपी से खुश है तो कोई नाराज, पर जो नाराज है वो कांग्रेसी है यह कहना थोड़ा सा गलत है
[15/08, 1:46 PM] mahajanv326: कट्टर हिंदुत्ववादी वह होता है जो विनावजह झगडे से दूर रहकर हल निकलता है..और आप..?
[15/08, 2:06 PM] mahajanv326: [15/08, 1:55 PM] mahajanv326: खंड में बंटती रही माँ भारती,
लडते रहे हम।
[15/08, 1:59 PM] ‪+91 88558 68766‬: उन्ही का भाई हु मैं भी
[15/08, 2:00 PM] mahajanv326: बहुत खुब..तो झगडा खतम करके हिंदुराष्ट्र बनाने की योजना बनाओ
[15/08, 2:01 PM] ‪+91 88558 68766‬: गलत को गलत कहो सही को सही, चाणक्य बनो न कि चाटुकार, यही मेरी नीति है मित्र🙏🌸
[15/08, 2:01 PM] mahajanv326: चाहे तो अखंड हिंदुराष्ट्र का प्रधानमंत्री भी आप ही बनो।हम आपके साथ है।👍💐
[19/08, 1:16 PM] mahajanv326: संगठन हमारा,
आल मिडिया प्रेस,
देश के सभी पत्रकारों के लिए,
बना है खास।
देश के...
"आल मिडिया"वालों का
संरक्षण करता रहेगा
सदा के लिए,
चौबीस घंटो के लिए,
यही है मेरे दिल में आंस
अध्यक्षजी कुशवाहा सरजी का,
है इसमें विषेश प्रयास।
देश के कोने कोने से
हर सदस्य,
जुडे है..जुडते जा रहे है
इस संगठन के लिए,
खांसम खास।
ऐसे शक्तिशाली संगठन को उंचाई तक
आगे बढाने के लिए,
आल मिडिया प्रेस के
राष्ट्रीय सलाहकार,
श्री.विनोदकुमार महाजन का,
सदैव रहेगा प्रयास।
प्रभुचरणों में आज
ऐसी प्रार्थना करता हुं
और मेरी लेखनी को
अब मैं देता हुं
विराम।
हरी ओम।
--  विनोदकुमार महाजन।
[20/08, 2:14 PM] mahajanv326: शक्तीशाली योजना चाहिए।
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अपनी मंजील तक पहुंचने के लिए,उत्तुंग ध्येयपुर्ती के लिए, दृढ निश्चय और अथक प्रयत्नवाद तो चाहिए ही मगर इसके साथ भी मंजील तक पहुंचा देनेवाली सशक्त योजना भी तैयार होनी जरूरी होती है।
जैसे की राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाना और उसमें कामयाबी हासिल करना हो,
या फिर कोई उद्योग व्यावसाय बनाना हो,
या फिर देश जब मुसीबत की घडी से गुजर रहा होता है तब...
बिल्कुल ठंडे दिमाग से,शांती से क्रांति के मार्ग पर चलकर,
धिरे धिरे योजना के तहत मंजिल तक पहुंचने के सदैव प्रयासों की शिकस्त करना।
क्या आज भी देश को और संपूर्ण विश्व को शांती से क्रांति की जरूरत आ गई है?
अहिंसा के मार्ग से,शक्तिशाली मार्ग से ...
"विश्वपरीवर्तन",
करना मुमकिन हो जायेगा?
कंधे से कंधा मिलाकर, कदम कदम आगे बढेंगे तो...?
सभी असंभव भी संभव होगा।
हरी ओम।
-------------------------------
--  विनोदकुमार महाजन।
[23/08, 1:49 PM] mahajanv326: जय जय माता भुवनेश्वरी की।
मेरी और जगत् की माँ,
विश्व विजेता,
हिंदुधर्म....
बनाने के....
सभी रास्ते तुरंत ....
खोल दे।
विश्वोध्दार तथा विश्वपरीवर्तन और हिंदुमय विश्व...
बनाने के रास्ते खोल दे जगदंबे।
अब कठोर अग्निपरिक्षा एवं सत्वपरिक्षाएं लेना बंद कर दे।
विजयादशमी के नवमी,सिध्दीदात्री का मेरा जनम है...माँ भुवनेश्वरी कृपा कर।तेरे द्वार कोई कभी खाली हाथ लौटा नही है।यह तेरी महिमा है।
जय माता की।
हरी ओम।
[24/08, 2:56 PM] mahajanv326: हम सहिष्णु है।
-------------------------------
जी हाँ, भाईयों...
हम सहिष्णु है।
हम सभी पर...
पशु पक्षियों पर भी,
पेड जंगलों पर भी,
ईश्वर और सृष्टि पर भी
पवित्र, सच्चा,आत्मा से
प्रेम ही करते है।
हम मानवता के
पूजारी भी है।
इसीलिए हमें सभी से
यही अपेक्षा है,
हमें प्रेम के बदलें,
नफरत नही चाहिए।
इसिलए...
जो हमपर,हमारे संस्कृति पर,
सच्चाई, अच्छाई और
मानवता पर ,
प्रेम करते है।
वह सभी हमारे
रामजी को,
काल्पनिक पात्र...
नही बोलेंगे।
हमारे आदर्श
और मर्यादा पुरूषोत्तम
रामजी से
जो सच्चा प्रेम करेगा,
हमारे राम मंदिर,
निर्माण के लिए,
तन-मन-धन से,
आत्मा से,
जो भी सहयोग करेगा..
केवल और केवल,
हम उसिसे ही
सहिष्णु बनकर,
मित्रता का नाता
निभायेंगे, निभाते रहेंगे।
जो हमारे मंदिर निर्माण में,
बाधाएं उत्पन्न करेगा,
उससे हमारी,
दोस्ती खतम,नाता खतम।
जो हमें सहयोग करेगा,
उसीको ही हम,
सहयोग करेंगे।
जो प्रेम का...
"ड्रामा करके",
हमें फँसाता रहेगा,
उसपर हमारा,
पूरा बहिष्कार रहेगा।
शांती से क्रांति के,
मार्ग पर चलकर
हम सभी का साथ लेकर,
अब हमारे...
मर्यादा पुरुषोत्तम का,
मंदिर वहीं बनायेंगे।
देखते है...
कौन है असली और
कौन है नकली ???
जो मंदिर निर्माण का
सहयोग करेगा..
वह असली और विरोध करेगा वह नकली।
भाईयों,
ईश्वरी तथा मानवता के
राज्य के लिए,
असली नकली पहचानो।
और केवल असली पर ही सच्चा प्रेम करो।
सहिष्णु बनो।
नकली चेहरों से,
नाता तोडो।
हरी ओम।
--------------------------------  विनोदकुमार महाजन।
[24/08, 8:37 PM] mahajanv326: दुष्टों से सदैव सावधान रहे।
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ऐसा कहते है की दुष्ट आदमी भयंकर होता है।ऐसे दुष्टात्मा सदैव अच्छे और सच्चे इंन्सानों पर सदैव, दिनरात-विनावजह जलते रहते है।और हमेशा सज्जनों को ऐसे दुष्ट लोग पिडाएं देते रहते है।परपिडा ही इनका जीवन का असली उद्दीष्ट होता है,और परपिडा देने में ऐसे दुष्ट लोगों को हमेशा आनंद ही मिलता है।
इनके कंठों में भयंकर जहर भरा होता है और परनिंदा करने में ऐसे पापात्माओं को सदैव विशेष आनंद मिलता रहता है।
असुरी वृत्ति के ऐसे भयंकर लोगों से हमें हमेशा बचकर ही रहना चाहिए, तथा सावधान रहना चाहिए।
क्योंकि ऐसे भयंकर लोग हमेशा सज्जनों को पिडा देने के लिए, मौके की तलाश में रहते है और मौका मिलते ही मुंह से जहरीली, बुरी तथा कडवाहट भरी बातें मुख से भडाक से बोल देते है।
ऐसे जहरीले शब्दों से सत्पुरुषों का ह्रदय घायल हो जाता है।क्योंकि ऐसे जहरीले शब्दों को हजम करने के लिए, बहुत शक्ति कि जरूरत होती है।दुसरों के आत्मसन्मान को ठेंस पहुंचाने में ही ऐसे जहरीले दुष्ट साँपों को भयंकर आनंद मिलता है।
दुसरों का दुख आनंद से देखने में ही ऐसे असुरी शक्तियों को राक्षसी समाधान हमेशा देता रहता है।और ऐसे विनावजह के जहरीले शब्दों से सत्पुरुष परेशान होते है।
आत्मशक्ति बढाने से ही,ऐसे जहर से मुक्ति देती है।
रावण,कंस,हिरण्यकशिपु, दुर्योधन जैसे भयंकर दुष्टों से भगवान भी पिडित हो गए थे।
ऐसे भयंकर दुष्टों से बचने के लिए, उनसे संपर्क से सदैव दूर रहना ही बेहतर होता है।
परपिडा देखकर जो दुखी होता है वह पुण्यात्मा होता है,तथा परपिडा देखकर जो आनंदित होता है,वह पापात्मा होता है।
और आज घोर कलियुग में तो हर जगह पर,जगह जगह पर ऐसे भयंकर हैवान हमें देखने को मिलते है।
अतएव भाईयों,
ऐसे भयंकर, पापात्माओं से,दुष्टों से ,असुरों से,राक्षसों से हमेशा बचके ही रहना चाहिए।
दुसरों का जीवन उध्वस्त करना,दुसरों की संस्कृति तबाह करने का हमेशा सपना देखने वाले भी,ऐसे ही भयंकर खतरनाक होते है।
इसिलए....
बचके रहना रे बाबा,दुष्टों से बचके रहना रे।
सामुहिक, संगठित ईश्वरी शक्तीसंपन्न समाजनिर्मिति द्वारा ही ऐसे पापियों के विनाशकारी, भयंकर जहरीले, विध्वंसक दुष्टात्माओं से हम बच सकते है।
और इसके लिए एक शक्तीसंपन्न योजना बनाकर,शक्तीशाली संगठन द्वारा ही दुष्टात्माओं पर विजय प्राप्त करना मुमकिन है।
और आज...संपूर्ण विश्व को ऐसे...विनाशकारी, पैशाचिक वृत्तियों से बचने के लिए...
ऐसा...
"विश्व-संगठन",बनना या बनाना अनिवार्य है,समय की जरूरत है और समय की पुकार भी है।
क्योंकि दुष्ट शक्तीयों ने,और दुष्टात्माओं ने हर जगहपर ईश्वर प्रेमियों का जिना हराम कर दिया है।
उठिये, सावधान हो जाईये, जागृत हो जाईये, कार्यरत बन जाईये।
समय कठिन है।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[25/08, 7:08 AM] mahajanv326: प्रखर तेजस्वी, ओजस्वी,रणचंडी जैसी ,विश्वपरीवर्तन में नारीशक्ति को एक करने की क्षमता रखने वाली,ईश्वरी शक्तीसंपन्न-धधगती आग जैसी, सहयोगी स्त्री चाहिए।
मेरे व्हाट्सएप नंबर पर संपर्क किजिए।

विनोदकुमार महाजन,
व्हाट्सएप नंबर
09890349751
(हिंदुस्तान)
[27/08, 5:27 AM] mahajanv326: मेरे सभी,
व्हाट्सएप और फेसबुक
दोस्तों।
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मित्रों,दोस्ती एक ऐसी मस्त चिज होती है की पुछो मत।सुखदुख में साथ देनेवाली।
मगर जब से व्हाट्सएप और फेसबुक के दोस्त बन रहे है दोस्ती भी लिमिटेड होती जा रही जा रही है।गहरी दोस्ती नाम की कोई चिज ही नही दिखाई देती है।
व्हाट्सएप, फेसबुक पर तो कोई दोस्त ऐसे होते है की कोई पोष्ट ही नही करते है इसिलए परिचय भी नही होता है,और दोस्ताना भी नही बढता है।
तो सुखदुख कैसे बाँटेंगे?दोस्ताना कैसे बढेगा?
और कुछ दोस्त तो व्हाट्सएप, फेसबुक पर दे दणादण मेसेज करते रहते है।
और ग्रुप बढ गए तो मेसेज पढने में भी इंटरेस्ट नही रहता।
इससे बेहतर है की,लिमिटेड ग्रुपपर ही रहे,और लिमिटेड पोष्ट ही करें।
दोस्ती करनी ही है तो,लिमिटेड मत करो।खुलकर दोस्ती करों।
और जबतक खुलकर दोस्ती नही होती,परिचय नही बढता है।और तब तक सुखदुख के भागीदार हम दोस्त कभी भी नही बन सकते।
हर दिन अनेक ग्रुप जाँईन होते है,और एक फटके में डिलीट भी होते है।
और कभी कभी कोई ग्रुपपर गलत टिप्पणी की वजह से मनस्ताप भी होता है।तो किसी के पोष्ट से आनंद भी मिलता है।(जैसे की मेरा यह लेख आप सभी बडे ही आनंद से,खुश होकर,हँसते हँसते पढ रहे हो।😀🤔😜👍)
तो दोस्तों,
दोस्ती करनी ही है तो दिल खोलकर करों।
अन्यथा....
दूर से ही ...
रामराम।🙏😀
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[28/08, 12:36 PM] mahajanv326: सब्र का फल मिठा होता है।
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भाईयों,
बिजेपी और मोदिजी को कोई लोग बदनाम करने की कोशिश में और उसमें लगातार षड्यंत्र करने में दिन रात डुबे हुए है।
मोदिजी तो सभी जाती-धर्म-पथ-पंथ को साथ लेकर, सभी भारतीयों का विकास का सपना लेकर आगे बढ रहे है...
"सबका साथ सबका विकास",करने में और देश विदेश में भारतीयों का संन्मान बढाने में दिन रात मेहनत कर रहे है।
और हम...
मोदी विरोधी और भाजपा विरोधी मोदिजी औल भाजपा को ही बदनाम करने में जूटे है,इसका बहुत दुख दर्द होता है।
विषेशत: हमारे कुछ हिंदु भाई भी उनकी टाँग अडाने की कोशिश में दिनरात लगे है,
तो.....?
दुखदर्द तो होगा ही ना?
मन ही नही तो आत्मा भी तडप उठती है।
सोचो भाईयों सोचो।जिसे ना घर है ना दार,वह इंन्सान न होकर समस्त भारतीयों को संन्मान का जीना देने के लिए,
देवदूत जैसा दिनरात काम कर रहा है..
उसी महात्मा को कोसने में ही कुछ लोग धन्यता मान रहे है...
यह बात हम देशवासियों के लिए और देश के लिए भयंकर है।
अनेक सालों बाद हमें ऐसा योग्यतापूर्ण युगपुरूष मिला है,
भाईयों, उसपर कीचड़ उछाल कर उस महात्मा को दुखी मत करो।
उनको आत्मक्लेश, आत्मपिडा मत दो।
एक प्रतिशत भी स्वार्थ की बु उस महात्मा में नही है।
असलियत जानो पहचानो।जागो।और सत्य का साथ दो।
नवराष्ट्र निर्माण में सभी भारतीय कंधे से कंधा मिलाकर मोदिजी का और भाजपा का साथ दो।
हमारे और हमारी अगली पिढी के स्वर्णिम भविष्य के लिए यह अनिवार्य भी है।
कोई कितना भी बरगलाने की कोशिश में लगा रहे,उसकी तरफ ध्यान मत दो।
भाईयों,
सब्र का फल मिठा होता है।
सब्र करो,और मोदिजी पर पूरा भरौसा रखो।
वह पवित्र आत्मा हम सभी भारतीयों का कल्याण ही करके दिखायेगा।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन,
पत्रकार।
[30/08, 11:27 PM] mahajanv326: हिंदुओं के देश में...!!!
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हिंदुओं के देश में
बहुसंख्यक होकर भी
हिंदु ही न्याय के लिए
तरस रहा है,तडप रहा है।
ऐसा क्या गुनाह किया
संस्कृति पूजक होकर भी
हिंदु आतंकवादी
भगवा आतंकवादी
जानबूझकर कहला जारहा है।
भाईयों, आखिर ऐसा
क्यों हो रहा है।
पशु पक्षियों को भी
पूजनेवाले
गाय को भी माता
और नाग को भी देवता
मानकर पूजनेवाले को ही
क्यों आखिर बदनाम
किया जा रहा है???
हमारे ही देश में हमें आखिर क्यों
विनावजह तडपाया
जा रहा है???
मानवतावादी होकर भी 
क्यों हमें तडपाया 
जा रहा है???
हमारे ही देश में रहकर
हमारे ही थालिमें खाकर
हमारे ही खिलाफ
कोई क्यों जहर
उगला रहा है???
ईश्वर निर्मित हमारी संस्कृति को
तबाह करने का
क्यों कोई सपना देख रहा है???
हमें बर्बाद करने के लिए
हमेंही आपस में
लडा झगडाने के लिए
और हमारे खिलाफ भयंकर षड्यंत्र
करने के लिए
कौन योजना बना रहा है???
और षड्यंत्रकारी जहरीले साँपों...
क्या तुम्हारे भयंकर षड्यंत्र से
सचमुच में हिंदु
नामशेष होनेवाला है??
परदे के पिछे से 
हमें बर्बाद करने का
सपना देखने वालों
तुम क्या हमें
बर्बाद करोगे???
हमारा धर्म तो
खुद ईश्वर नेही बनाया है।
निराकार रूप से
वह परमात्मा तुम्हारे
पापों के खेल
देख रहा है।
युगों युगों से ऐसे
उन्मत्त पापीयों का
नाश करने के लिए
"यदा यदा ही धर्मस्य",
कहकर वह प्रभु
अवतरित ही हुवा है।
जितने तुम पापीयों
पाप करोगे
हिंदुओं के बर्बादी का सपना देखोगे
उतना ही तुम सभी 
विनाश की ओर
जलद गती से 
बढते ही जायेंगे।
तब ना तुम्हें कोई
बचायेगा।
और नाही हमारी
ईश्वर निर्मित संस्कृति
कोई बर्बाद करने का
सपना देखेगा।
अतएव सावधान रहना 
पापीयों,हैवानों।
सत्य पर आघात मत करना।
ईश्वरी सिध्दांतों के
विनाश का सपना
कभी भी मत देखना।
अन्यथा तुम सभी
उन्मादी पापीयों का
विनाश और सर्वनाश
जल्दी ही अटल है।
संपूर्ण पृथ्वी से
असत्य वादियों
तुम्हारा सर्वनाश हो जायेगा।
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--  विनोदकुमार महाजन।

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