हिंदुओं का धन हिंदुओं के ही काम आना चाहिए

 हिंदुओं का धन,

हिंदुओं के ही काम आये...।

-------------------------------

हिंदु समाज हमेशा सहिष्णू और भाईचारे में विश्वास रखनेवाला होता है।इसिलिए सदैव हमेशा सभी पर शुध्द एवं निरपेक्ष प्रेम तथा सहयोग करता आया है।

मगर अब बहुसंख्यक हिंदु देश में हिंदु समाज सच्चाई के बारे में सोच रहा है।

जैसे की हम सरकार को टैक्स देते है।उसी टैक्स के धन का उपयोग केवल और केवल समाजहित तथा देशहित के लिए ही किया जाना चाहिए।

जैसे की,

अगर यह धन किसी अन्य समाज के विकास के लिए जाता है तो ठीक है।

मगर,अगर यह धन अगर विकास के नाम पर पाकिस्तान प्रेमियों के जेब में जाता है तो हम इसका जमकर विरोध करेंगे।क्योंकी आखिर यह धन पाकिस्तान हमारे ही खिलाफ बम-बारूद खरिदने के लिए ही प्रयोग करेगा।

जैसे की कुछ ( 1 )पाकिस्तान प्रेमी फिल्म स्टार हमारे पैसों के बल पर बडे होते है,और पाकिस्तान की सहायता करते है,और उपर से सहिष्णू हिंदु समाज को ही , "हिंदु आतंकवादी ",कहते है तो यह बात अती भयंकर भी है और संतापजनक भी है।

( 2 )हमारा धन उनको सभी सुविधा देने के लिए तथा उनकी जनसंख्या बढाने के लिए और उनकी आबादी प्रचंड गती से बढाने के लिए जाता है,और इसिसे हमारे अस्तित्व को,हमारे भविष्य को,हमारी अगली पिढी के लिए खतरा बन जाता है तो...

हमारे पसिने की कमाई का और जो टैक्स के रुप में जाता है उसी धन का हमारे ही विनाश के लिए हम कतई प्रयोग में लाने नही देंगे।इसका हम संगठीत शक्ती बढाकर जमकर विरोध ही करेंगे।और हम सभी का यह नैतिक अधिकार भी है।

( 3 )अगर हमारे मंदिरों में जमा होनेवाला धन विकास कार्यों के नाम पर अगर पाकिस्तान प्रेमियों के जेब में विकास काम के नाम पर  जाता है तो क्या हम यह तमाशा खुले आँखों से देखते रहेंगे?

इसिलिए या तो हमारे मंदिरों के,धार्मिक संस्थानों का धन एक तो केवल हमारे ही विकास कार्यों के लिए होना जरूरी है।या फिर हिंदु धार्मिक स्थलों का नियंत्रण सरकार मुक्त होना चाहिए।

या फिर सभी धार्मिक स्थानों का नियंत्रण सरकार के हाथ में होना चाहिए।और सभी जमा होनेवाला धन देश के विकास कार्यों में आना चाहिए।

केवल हिंदु मंदिरों के धन पर सरकार का नियंत्रण, और दुसरों को उनका धन उनके ही विकास कार्यों के लिए करने का पूरा अधिकार,

यह दोहरी निती तुरंत बंद होनी चाहिए।

जैसे ,हमारे धन पर सभी का अधिकार।और उनके धन पर केवल उन्हीका ही अधिकार। यह कैसे चलेगा ?

हम सहिष्णू भी बन गए,अती सहिष्णू भी बन गए।मगर अगर हमारी सहिष्णुता हमारे ही विनाश पर तुली हो रही हो ,जैसे की हमारे धन से पाकिस्तान प्रेमियों को प्रोत्साहन मिलता है..या मिलता रहेगा तो...

हमें इसपर गौर से सोचना होगा,चिंतन करना होगा,हल निकालना होगा।और तुरंत कार्यान्वित भी करना होगा।

हरी ओम।

-------------------------------

विनोदकुमार महाजन।

Comments

Popular posts from this blog

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र

साप आणी माणूस