संपूर्ण लेखांक भाग ३२

 mahajanv326: महालक्ष्मी मंदीर ही क्यों?

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मेरे गाँव में,मेरी खेती में मैं शक्तीदाईनी माता महालक्ष्मी जी का मंदीर बनवाना चाहता हुं।
इसकी वजह यह है की,वैश्विक कार्य के लिए जब सन्मार्ग के धन की जरूरत होती है।इसलिए मैंने माता महालक्ष्मी की साधना की थी।
दृष्टांत में मुझे महालक्ष्मी माता ने हाथ में हाथ देकर मेरे घर रहने को आने का वचन दिया था।
और माता मुझे बोली थी,"मैं तेरे घर रहने आई हुं।"
फिर भी मुझे फलप्राप्ति नही मिल रही थी।तो हरिद्वार के श्री. दिवाकर श्री.जी ने मुझे बताया की,माता का मंदीर बनावो।
इसिलए ट्रस्ट का संकल्प हुवा।
देहली के मेरे एक तपस्वी मित्र तथा भैरवनाथ के उपासक श्री.देवेन्द्र जी ने मुझे इस विषय पर आश्वस्त किया।
विश्व क्रांति के लिए,"महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती"के शक्ति की जरूरत है।
क्योंकी संगठन चलाने के लिए, और संगठन के सभी सदस्यों को चैतन्य, शक्ति, बल,आरोग्य, धन,दिर्घायुता और ईश्वरी वरदान तो चाहिए ही और शक्तीदाईनी माता सभी असंभव भी संभव बनाएगी।
संयोग वश मेरा जन्म भी,विजया दशमी की नववी रात्री, सिध्दीदात्री के दिन हुवा है।इसिलए कार्य सफलता के लिए माता ही बुध्दि, शक्ती ,यश और चैतन्य तो देगी ही।
खैर....।
महालक्ष्मी के बिना सभी कार्य अधुरे ही है।
विश्व में सत्य विचारों की जीत करने के लिए, टिवी, अखबार, फिल्म जैसे प्रभावी तथा प्रमुख प्रसार माध्यमों की जरूरत होती है।
और माध्यम चलाने के लिए, सन्मार्ग के धन की भी जरूरत तो होती ही है।
कार्य सफल बनाने में सद्गुरु, ईश्वर और माता समर्थ है।
संकल्प तो किया है।अब संकल्प पुर्ती खुद,"सिध्दीदात्री",ही करेगी।
सभी मित्रों को इसी माध्यम से वैश्विक कार्य में सहयोग करने का भी आवाहन करता हुं।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[05/02, 6:09 AM] mahajanv326: एक सुंदर काल्पनिक कथा।
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मित्रों,मैं आपको आज एक बहुत ही सुंदर कथा बताने जा रहा हुं।वैसे तो कथा काल्पनिक है।कोई व्यक्ति विषेश से कथा का संबंध नहीं है।
अगर है तो वह केवल एक योगायोग ही है।और कानून के अनुसार कथा लिखना, यह एक अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य का अविभाज्य भाग है।
इसिलिए कृपया कथा सुनकर कोई विरोधी हो तो बुरा मत मानना।
तो....एक आटपाट नगर था।वहाँ पर सब कुशल मंगल था।सभी लोग बडे आनंद से ईश्वरी कानून के अनुसार मस्त-स्वस्थ-आनंद से-चैतन्य से जी रहे थे।हर घर में सोने का,समृध्दि का धुआं निकलता था।सोने की चिडिया वाला समृध्द-संपन्न अखंडित सुंदर देश था एक।
और.....समय के अनुसार गृहण लग गया।उन्मत्त कली का उन्माद शुरू हुवा।
और इस देश पर परकीय आक्रमण कारी राक्षसों ने -धिरे धिरे कब्जा करना आरंभ कर दिया।
एक आया,फिर दुसरा आया।यहाँ की संस्कृति-सभ्यता-शालीनता जमीन में दफनाकर, असुरी साम्राज्य निर्माण करने का पुरजोर से प्रयत्न आरंभ हुवा।
और भगवान?
हँस रहा था भगवान ऐसे असुरीक संपत्ति पर।क्योंकि सब उसी के माया का खेला।
भगवान को पुरा पता था की,यह असुरीक संपत्ति का भी खेला थोडे दिनों का ही है।
धिरे धिरे समय बितता गया।
फिर मोहन और पंडित नाम के दो ईश्वरी सिध्दांतो के खिलाफ चलने वाले दो बच्चों ने फिर से संस्कृति तबाह करने की चाल चली।बहुत सी गुप्त योजनाएं इसके लिए बनाई गई।मगर भगवान तो सब देखता था।और मन ही मन हँसता भी था।चार दिन का बेटों का मायावी खेला।बच्चे है।संस्कृति समाप्त करने के लिए योजना बना रहे है।खेलने दो।
योग्य समय पर इनका भंडाफोड हो जायेगा।
और,"जनता जनार्दन",के सामने खुद भगवान इनका असली मुखौटा सामने लायेगा।
और....इस पवित्र धरती पर फिरसे"ईश्वरी राज्य",आयेगा।उन्मत्त और उन्मादी कली का नाश होकर फिरसे सोने के चिडिया वाला अखंडित राष्ट्र कहलायेगा।असुरों का नाश हो जायेगा।
"पाप का कलंक मिट जायेगा।"
काल्पनिक कथा आप सभी को कैसी लगी दोस्तों?पसंद आई या नही?
हरि ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[05/02, 11:29 PM] mahajanv326: क्या तूफान आनेवाला है?
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भाईयों, विश्व पटल पर क्या कोई सचमुच में तूफान आनेवाला है?
क्या ईश्वरी इच्छा से कोई अदृष्य रूप से कोई विषेश हो रहा है?
"मानवतावादी हिंदुत्व" द्वारा ,क्या कोई,"विश्व क्रांति जन आंदोलन",की कोई बडी तैय्यारी कोई कर रहा है?
क्या ईश्वरी योजना अनुसार अधर्म तथा असुरी वृत्तियों का नाश करके,ईश्वरी राज्य की पुनर्स्थापना की कोई तैय्यारी कर रहा है।
क्या यह सामर्थ्य संपन्न और शक्तिशाली तूफान सभी प्रकार के पापों का नाश कर देनेवाला है?
क्या नियती और निराकार ब्रम्ह इसकी योजना बना रहा है?
आपको क्या लगता है?
सचमुच में भविष्य में तूफान आनेवाला ही है???
भविष्य वाणी या दूरद्रष्टीत्व या अंतींद्रीय शक्ती या आत्मा की स्पंदन या तर्कशास्त्र क्या कहते है?
?   ?   ?
[06/02, 12:16 AM] mahajanv326: भगवान का भगवा।
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🚩🚩🚩🚩🚩🚩
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भगवा हमारी शान है,
आन और बान है।
भगवा हमारा भगवान है।
यह सूरज की लालीमा है।
भगवे से हमारा खून का
रीश्ता है।
कुछ गद्दारों ने इसे...
भगवा आतंकवाद से
जोड दिया...
भगवे को विनावजह 
बदनाम किया।
मगर भगवा आतंकवाद
कहनेवाले हरामियों को
मैं कहता हुं....
भगवा तो वैराग्य का
प्रतीक है...शांती का भी भगवा प्रतीक है।
और हैवानियत के विरुद्ध क्रांति करने के लिए भी भगवा हमारा
समर्थ है।
इसिलए ऐ गद्दारों...
मेरे भगवे को अगर
किसीने विनावजह
भगवा आतंकवाद कहके बदनाम किया
तो.....याद रखना।
सूरज के लालीमा पर
सूरज के तेज पर
और सूरज की तेजस्वी
आग पर थुकने का कभी भी प्रयास मत करना... वर्ना...
वही थूक तुम्हारे ही
मुंहपर आकर...
उल्टी गिरेगी।
इसिलए सत्य को
बदनाम मत करो।
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🚩🚩🚩🚩🚩🚩
विनोदकुमार महाजन।
[07/02, 1:08 PM] mahajanv326: ❤ दील......❤
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दील.....बडा ही विचित्र विषय है ना दोस्तों?हरेक को दील तो होता ही है।किसीका बडा तो किसीका छोटा।
और दोस्तों क्या दील में ही निराकार आत्मा का भी वास होता है?जो पंचमहाभूतों के देहतत्व को,इंद्रियों को और श्वास द्वारा निराकार ब्रम्ह से जूडा होता है।और यही तो परमात्म तत्व भी होता है।
खैर......
तो अब मेरे,तुम्हारे सभी के दिलों की बात।यह धडकता भी बहुत है।
मगर दिल के बजाय दिमाग जादा काम करता है तो वह वास्तविकता के बारें में सोचता है।
और अगर दील की बात मान ले तो???
आदमी शायद अटक भटक भी जाता है।
दील मतलब प्रेम।पवित्र प्रेम, ईश्वरी प्रेम, निष्पाप-निरागस-निष्कपट प्रेम।स्वार्थ विहीन प्रेम।सच्चा प्रेम।
ऐसा प्रेम सच में कलियुग में मिलेगा भाईयों?क्योंकि दील देकर पछताना ना पडे।
दील देना मतलब सरस्व समर्पित प्रेम।
इस स्वार्थ, मोह,अहंकार के बाजार में,ऐसी मोहमई दुनिया में-यारों मैंने तो सभी पर सच्चा, पवित्र, ईश्वरी प्रेम किया।अपनो पर भी और पराये पर भी।
मगर...इस रास्ते में धोके भी बहुत होते है।अपना सबकुछ समर्पित करके प्रेम करने पर-मतलब दील देने पर,हथेली पर जान लेकर भी किसीको अगर प्रेम करेंगे, तो धोके ही मिलेंगे।और वह भी इंन्सानों से।जो मुझे भी बार बार मिले है।
हाँ एक बात तो सच्ची है की अगर आप गाय-बैल-कुत्ते-पक्षियों पर सच्चा प्रेम करते है तो आपको उनसे कभी भी धोके नही मिलेंगे।वह निष्पाप जीव तो हमसे जी-जान से प्रेम करेंगे ही।और...केवल प्रेम ही करेंगे।उनके पास छल-कपट-ढोंग-नाटक कभी भी नही मिलेगा।इंन्सानों में शायद सौ मे से नब्बे प्रतीशत धोके ही देंगे।मगर पशुपक्षी सौ मे से सौ प्रतीशत केवल शुध्द और पवित्र प्रेम ही करेंगे।
मेरा तो यही अनुभव है।आप सभी का शायद अलग भी हो सकता है।
इसिलए भाईयों... आखिर में दील की एक सच्ची बात करता हुं,क्या आप भी किसीको दील दे रहे हो?तो सोचकर-संभलकर दिजिए।
एक गाना आपको याद है ना?
"बाबुजी धिरे चलीए-बडे धोके है इस राह में।"
हरी ओम।
🙏🌹❤❤❤
आपका,
दिलवाला(😀👍)
श्री.विनोदकुमार महाजन।
[10/02, 2:16 PM] mahajanv326: दिव्य प्रेम।
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जिसे दिव्यत्व होता है,स्वर्ग जैसा पवित्र, निर्मल,सुंदर, स्वच्छ होता है संपूर्ण निस्वार्थी एवं समर्पीत होता है इसेही दिव्य प्रेम कहते है।
भक्त भगवान का,गुरु शिष्य का,माँ बेटे का प्रेम ऐसाही उच्च कोटी का होता है।ऐसा दिव्य प्रेम जिसे भी मिला,सचमुच में वही भाग्यवान होता है।
जैसे राम-हनुमान का,कृष्ण-अर्जुन का,राधा-कृष्ण का,रामदास स्वामी-कल्याण स्वामी का दिव्य,अद्वितीय, निस्वार्थ, निरंअहंकार,समर्पित प्रेम ही चिरंतन हो सकता है।युगों युगों से अमर रहने वाला।
धन-वैभव-यश-किर्ती-मान-सन्मान से हटकर।
देह दो मगर आत्मा एक।सचमुच में ऐसे कलीयुगी माहौल में मिलेगा ऐसा दिव्य प्रेम?
देह का नही,आत्मा का पवित्र प्रेम।
जिसमें संपूर्ण शांती, आनंद,सुख, समाधान मिलता है।
स्वर्गीय अमृत भी इस दिव्य प्रेम के सामने शायद कुछ किमत नही रखता होगा।
इसिलए तो स्वयं भगवान भी ऐसे निस्वार्थ प्रेम के भूके होते है।मेरा-तेरा के इस स्वर्थमय बाजार में सचमुच में मिलेगा ऐसा दिव्य प्रेम?
कलीयुग में तो भगवान को सभी सबकुछ माँगते है।मगर दिव्यत्व देनेवाले भगवान को कौन माँगता है?
गुरु को भी स्वार्थी शिष्य मिलते होंगे।निस्वार्थ शिष्य कहाँ मिलेगा?
इसिलए भाईयों, हमें माँगनेवाले नही देनेवाला समाज निर्माण करना है।सभी राजा जैसे दिलदार और भगवान जैसे निस्वार्थ।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[11/02, 12:20 AM] mahajanv326: आसाराम बापू।
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भाईयों, हमारे साधुसंतों को बदनाम करके हिंदू धर्म को बदनाम करने का भयंकर पातकी षड्यंत्र अनेक सालों से कोई दुष्ट शक्तीयाँ,इस देश में जानबूझकर कर रहे है।करपात्री महाराज जी जैसे अनेक साधुपुरुषों को यहाँ किसने और क्यों तडपाया?हिंदू धर्म को शक्तीहीन बनाने की यह एक भयंकर, भयानक साजिश है।
अब आसाराम बापू का ही उदाहरण ले लो।बापूजी की वजह से अनेक लोग शराब, तमाकू, गुटखा, सिगारेट, माँसाहार बंद कर रहे थे।धर्म और ईश्वर के प्रति लोगों में जागरूकता आ रही थी।जो अज्ञानता वश धर्म छोडकर चले गए थे,वह सभी फिर से बापूजी की वजह से हिंदू धर्म में वापिस आ रहे थे।राष्ट्र्प्रेम बढ रहा था।समाज अच्छाई और सच्चाई की ओर बढ रहा था।
और अचानक इस सभी पवित्र ईश्वरी कार्य को ब्रेक लग गया और धर्म जागरूकता के बारे में धर्म की भयंकर हानि हो गई।
सलमान खान, संजय दत्त को जमानत मिल सकती है,तो हमारे परमपूज्य बापूजी को क्यों नही?अनेक सालों से क्यों साधुसंतों को ही क्यों बदनाम, अपमानित और प्रताडित किया जा रहा है?सन्मार्ग से समाज को जोडऩे वाले महापुरुषों के साथ ही ऐसा अनेक सालों से क्यों हो रहा है?
जनता उत्तर चाहती है।कौन देगा उत्तर???
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[11/02, 9:33 AM] mahajanv326: रहस्य।!!!!!
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जि हाँ भाईयों, रहस्य।आजादी के बाद का रहस्य।
आजादी के पहले हमारे साथ अनेक अत्याचारी आक्रमणकारियों ने हमारे संस्कृति के साथ अत्यंत क्रुर अन्याय, अत्याचार किए।और ऐसा लगा की आजादी के बाद हमें, हमारी संस्कृति को यथोचित न्याय मिलेगा।
मगर....न्याय मिलना तो दूर अनेक भयंकर रहस्यमयी घटनाएं हमारे देश में हो गई।आईये जानते है।
(1)योग्यता अनुसार, मतदान अनुसार, लोकप्रियता अनुसार सरदार वल्लभभाई पटेल प्रधानमंत्री बनने के बजाय भी क्यों नही बने?
(2)सुभाषचंद्र बोसजी की अत्यंत श्रेष्ठ योग्यता होने के बाद भी उनके साथ अन्याय क्यों हुवा?उनके रहस्यमयी मृत्यु की अभितक सच्चाई बाहर क्यों नही आई?
(3)लालबहादुर शास्र्तीजी के साथ अनेक रहस्यमयी घटनाएं कैसे हो गई?
(4)सावरकरजी को जानबूझकर बदनाम क्यों और किसने किया?
(5)करपात्री महाराजजी को किसने और क्यों धोका दिया?
(6)जानबूझकर संस्कृति, संस्कारों को,ईश्वरी सिध्दांतों को बदनाम करने की मुहीम किसने चलाई?
(7)शिवाजी महाराज जैसे महापुरुषों को,हमारे आदर्श युगपुरुषों को जानबूझकर किसने षड्यंत्र के तहत बदनाम किया?
(8)हमारे देवी देवताओं को बदनाम करने का षड्यंत्र अविरत किसने चलाया?
(9)हमारे आदर्शों को बदनाम करनेवालों का कानुनन त्वरित दंडित क्यों नही किया गया?
(10)हमारे साधुसंतों को हमेशा बदनाम करने का,उन्हे जेल भेजने का षड्यंत्र किसने चलया?
(11)हिंदू धर्म को अपमानित, प्रताड़ित करनेवाले गुनहगारों को बारबार संरक्षण क्यों मिलता रहा?कौन देता रहा?
(12)परदे के पिछे से यह भयंकर, भयानक षड्यंत्र किसने चलाया?
(13)हमारे ही कुछ जयचंद इसमें रुचि क्यों लेते थे?
(14)और भी अनेक रहस्य शायद हो सकते है।जिन्होंने सत्य को दबाने की बारबार कोशिश ही नही कि, बल्कि सभी बुरे मार्गों का अवलम्बन किया।
जनता, देश,भारतीय सच्चाई जानना चाहते है।कौन उत्तर देगा?
कौन देगा उत्तर???
जिसनें भी सत्य को बदनाम करने का,सत्य को दबाने का षड्यंत्र किया, उन्हें समय,भविष्य और भारतीय समाज और सत्यवादी, मानवतावादी,विश्व मानव कभी भी क्षमा नही करेगा।
भगवान के घर देर जरूर है,अंधेर नही है।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[12/02, 7:09 AM] mahajanv326: प्यारे,ये भी दिन जायेंगे।
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दोस्तों,जीवन क्या है?आस निराश का खेल है।सुख दुख का बडा ही अजब मेल है।
कैसे.....?
देखो,हम हरदीन, हर समय बडे ही आशा से जीवन जिते है।जैसे की,एक दिन हमारा भि दुख भाग जायेगा।हमारे भी एक दिन सचमुच में सुख के दिन आ जायेंगे।है ना दोस्तों?
और.....?
सुख का ईंतजार करते करते जिंदगी यों ही गुजर जाती है।यही तो आस निरास यह खेला जिवनभर चलता ही रहता है।धुपछाँव जैसा।
सुख आता भी है कभी कभी।और तुरंत निकल भी जाता है हातसे।देखते देखते।और दुख...?पिछे हटता ही नही है।
इसिलीए मन भी कभी कभी चिंता में रहता है।बडा विचित्र होता है यह मन भी।दिखता तो नही है।मगर सताता तो रहता ही है।मन का नियमन करने के लिए,उसे नियंत्रण में रखने के लिए आध्यात्मिक साधना ही एक शुध्द रास्ता है दोस्तों।
और अगर मन ही नियंत्रण में आ गया तो सभी समस्याएं खत्म।दुनिया हिलाने की शक्ती रखता है यह मन।नामुमकीन को भी मुमकीन में बदलने की क्षमता रखता है यह मन।
तो मेरे प्यारे प्रिय मित्र,क्यों व्यर्थ की चिंता करता है?मुसीबत के दिन भी गुजर जायेंगे।यह भी दिन जायेंगे।हँसते हँसते कट जायेंगे रस्ते।
क्या यह मेरा छोटासा मनोगत पढकर मन थोडासा हल्का हल्का हुवा या नही?थोडासा "फ्रेश मुड",बना या नही।
अगर हाँ तो ठिक है।और अगर ना तो....?
जरूर होगा।
क्योंकी,
प्यारे, ये भी दिन जायेंगे।दुख के दिन भी गुजर जायेंगे।सुख के दिन भी एक दिन जरुर आयेंगे।
इसिलीए हरी नाम रट ले प्राणी।
हरी बोल।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[14/02, 4:37 AM] mahajanv326: स्वर्ग।!!!!!!!🕉
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जहाँ पावित्र्य होता है,मांगल्य होता है,श्रेष्ठत्व होता है,भव्यत्व-दिव्यत्व होता है,जहाँ दिव्य प्रेम होता है,जहाँ ऐश्वर्य होता है,जहाँ हमेशा शुभ ही होता है ,जहाँ अमृत होता है,और जहाँ शुध्द आत्माओं का विचरण होता है,जहाँ जन्म-मृत्यु का भय नही होता है,जहाँ देवत्व होता है,जहाँ सच्चाई-अच्छाई, नेकी ही सदा के लिए श्रेष्ठ होती है-वही स्वर्ग होता है।
कुछ ज्ञानेश्वर, तुकाराम, रामदास स्वामी, शंकराचार्य, अक्कलकोट स्वामी, गजानन बाबा जैसे पवित्र आत्मे जब स्वर्ग से सिधे पृथ्वी पर अवतीर्ण होते है,पंचमहाभूतों का देह धारण कर लेते है,विश्वोध्दार,समाजोध्दार,मानवता की जीत,ईश्वरी कानून की पुनर्स्थापना करने को,पृथ्वी का स्वर्ग बनाने के लिए अवतरित होते है.....
तब......
यहाँ का स्वार्थ, मोह,अहंकार, अधर्म का अंधियारा, पैसों का बाजार, मेरा तेरा जैसा कनिष्ठ नारकीय जीवन देखकर बहुत दुखी होते है।पछताते है।साक्षात अमृतसागर में नहाने वाले ईश्वरी आत्मे जब मनुष्यों के अंदर की गंदगी की वजह से जब परेशान होते है-परोपकारी जीवन की बजाए यहाँ का अत्यंत भयंकर और भयानक स्वार्थी इंन्सानों को देखकर पछताते है,दुखी होते है।
और मन में सोचते है-
अरे क्या यही इंन्सान है जो मैंने पैदा किया था,और नर का नारायण बनाने के लिए... इसे...
मनुष्य जन्म दिया था?
श्रेष्ठ मनुष्यों की बुध्दिमान योनी में भेजा था?पशुपक्षी भी इससे तो बेहतर है।उन्हे तो स्वार्थ, मोह,अहंकार, पाप का उन्माद कुछ भी नही है।
सिदासादा ईश्वरी कानून का जीवन जिते है यह जीव।कभी धोका देना भी सोचते नही।
और इंन्सान?
पैसों के बाजार में,स्वार्थ के बाजार में क्या कर रहा है इंन्सान???
अति अहंकार से उन्मत्त होकर, पाप का उन्माद फैलाकर पुण्यवंतो का जीना भी मुश्किल कर रहा है।मेरा पैसा-मेरा सोना-मेरा धन-मेरी जायदाद-मेरी प्राँपर्टी- मैं कमाता हुं।
अरेरेरे...सत्यानाश हो गया इंन्सानियत का,मानवता का।प्रेम-भाईचारे का।रिश्ते नातों का।
कहाँ दिव्य स्वर्ग और कहाँ यह नरक और नारकीय गंदा जीवन?
( शेष:- अगले लेख में)
हरी ओम।🕉🚩
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--  विनोदकुमार महाजन।
[14/02, 11:25 PM] mahajanv326: नारसिंव्हा अब जाग भी जा।
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हे विष्णु अवतारी तेजस्वी नारसिंव्हा, कहाँ है तेरा तेज?कहाँ है तेरी आग?कहाँ है तेरी ज्वाला?
धर्म संकट में है।अधर्म की आग चारो ओर से बढ रही है।इंन्सानियत खतरे में है।ईश्वरी कानून को पापीयों ने घेर दिया है।
हे नारसिंव्हा, पापी हिरण्यकश्यपु जैसे उन्मादी सैतान,हैवान हैवानियत बढा रहे है।
हे मेरे भगवन्, कहाँ है तेरा तेज?कहाँ है तेरी आग?
अब धर्म रक्षा के लिए, अधर्म के नाश के लिए, पापीयों के नाश के लिए संपूर्ण विश्व को तेरी जरूरत है।
हे ज्वाला नारसिंव्हा अब देर मत कर।फिरसे लौटकर आ जा।
पाप का कहर,पाप का आतंक, पाप का उन्माद बढ रहा है।
हे मेरे भगवान, अब तेरा ही सहारा।
अब तुही पापी उन्मादीयों का तुरंत और संपूर्ण नाश कर।नामोनिशान मिटा दे तु पाप का।
और अब तो तुझे आना ही पडेगा।वचन गीता वाला तुझे निभाना पडेगा।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[15/02, 12:05 AM] mahajanv326: हनुमंता।
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हे हनुमान, तु तो चिरंजीव है।तेरा अद्रश्य जागृत चैतन्य आज भी शक्ति बनकर नभोमंडल में घुमताहै।तेरा चैतन्य, तेरा तेज आज भी जागृत है।
जनमते ही तु तो सूर्य को फल समझकर खाने को गया था।रावण की लंका को भी तुने आग लगाई थी।
फिर आज ही तेरा तेज,तेरी आग कहाँ है।हे मेरे प्रभु, तु तो भक्तों के साथ आज भी बोलता है,बाते करता है,चमत्कार करता है।
कभी कभार मुझे भी तु चमत्कार दिखाता है।
इतना होने के बावजूद भी तेरे प्यारे रामलला का मंदीर शिघ्र बनाने में तु सहायता क्यों नही कर रहा है?अधर्मी,पापीयों को सजा क्यों नही दिला रहा है।उनके पाप की लंका जलाकर खाक क्यों नही कर रहा है?
कहाँ है तेरा चैतन्य, तेरी आग,तेरा तेज?
हे हनुमान, अब अधर्म का अंधेरा मिटाने के लिए, दौडके चला आ जा।उन्मत्त पापीयों का नाश करने के लिए, पृथ्वी का पाप का बोझ हल्का करने के लिए, तेरी शक्ति दिखा।
तेरे रामजी के सिध्दांतों की जीत के लिए, भगवन्, सामर्थ्य दिखा।
लक्ष्मण को बचाने के लिए तुने,संजीवनी बूटी के लिए, द्रोणागिरी पर्बत ही उठा लाया था।
आज फिर से वही शक्ति दिखा महाबली।
ओम हं हनुमते नम:।
जय श्रीराम।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[15/02, 5:15 AM] mahajanv326: मेरे हिंदू भाईयों।
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देश के मेरे प्यारे सभी हिंदू भाईयों, हमारी संस्कृति, इतिहास, अस्मिता,ईश्वरी सिध्दांत बचाने और बढाने के लिए, सच्चाई कि जीत के लिए, सारे मतभेद, जाती पाती का भेद भुलकर तन-मन-धन से एक हो जावो,संगठित हो जावो।समय कठिन है।हमारे ही देश में हम बहुसंख्यक होकर भी अत्याचार सह रहे है।हमारे देवी देवताओं का अपमान सह रहे है।
मगर...अब...यह...
नही चलेगा।और हम न ही चलने देंगे।
इसीलिए हमें अब हिंदुत्व के झंडे के निचे एक होना ही है।
अगले लोकसभा चुनाव के लिए अब हमें,हमारे हर हिंदुत्ववादी संगठन को सुसज्ज होना है।
सबसे पहले हमें अती शिघ्र सभी सज्ञान हिंदू मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज कराने ही है।इसके बाद सभी को अस्तित्व के लिए, हर एक को प्रेमसे मतदान के लिए, बाध्य बनाना ही है।और मतदान भी हमें मतभेद भुलकर केवल और केवल हिंदुत्ववादी राष्ट्रीय पार्टी को ही करना है।
विशेषत:ग्रामीण इलाके और कम शिक्षीत या अध शिक्षीत इलाकों में जाकर, उन्हे मतदान का महत्व अभी से बताना है।और मतदान के लिए मतदान चिन्ह को भी बारबार रिपीट करना है।
इसके लिए सभी हिंदुत्ववादी संगठन तुरंत एक और सक्रिय होने की जरूरत है।इसके लिए सच्चे कार्यकर्ताओं की फौज भी संपूर्ण देश में हमारे पास है।अब हमें शांती से क्रांति करनी है।और हमें केवल और केवल जीतना ही है।
मुझे पता है,मेरा यह महत्वपूर्ण संदेश वायुगती से संपूर्ण देश में आठ दिन के अंदर ही,सोशल मिडिया द्वारा जन जनतक,मन मन में जानेवाला ही है।
जागृत हो जावो।संगठित हो जावो।मतभेद भुलकर एक हो जावो।संयम की शक्ति दिखावो।और संगठित शक्ती बढाओ।
एक नया इतीहास बनाओ।
आज से,अभी से कार्यारंभ करो।
मेरा यह संदेश किसी ने अपना नाम लिखकर भी आगे भेजा तो भी मुझे कोई आपत्ति नही है।मुझे ना मान चाहिए, ना सन्मान चाहिए।ना धन चाहिए, ना पद चाहिए।बस्स...हिंदू हित चाहिए।हिंदू धर्म कि जीत चाहिए।और सत्य कि जीत चाहिए।
और...जीत अब होकर रहेगी।
फिर देखते है हम,हमपर कौन अत्याचार करता है?कौन हमारे देवी देवताओं के मजाक उडाता है।
यह अति आवश्यक संदेश हर एक वाचक सौ सौ सदस्यों को आगे भेजकर ही रहेगा।
हमारी सच्चाई के लिए, सच्चाई कि जीत के लिए, हमारी अगली पिढी सुरक्षित रहने के लिए।और...।हमारे ईश्वर के लिए।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[15/02, 12:55 PM] mahajanv326: खबरदार किसीने हिंदू धर्म और देवी देवताओं को बदनाम किया तो।।
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भाईयों, हम हिंदू धर्म प्रेमी,सभी देवताओं से प्रेम करते है।सभी धर्मों से प्रेम आदर ही करते है।हम इंन्सानियत, मानवता प्रेमी भी है।हम निसर्ग प्रेमी भी है।हम धरती माता और माँ भारती पर भी प्रेम करते है।हम सभी पशुपक्षियों पर भी जी-जान से प्रेम करते है।इसीलिए गाय हमारी माता है,और नाग भी हमारी देवता है।
हम सहिष्णु है।सभी धर्मों का आदर भी जी-जान से करते है।
और यह सत्य भी है।
अगर इतना होने के बाद भी हमसे अगर कोई बैर करता है,हमारी संस्कृति-सभ्यता-मंदिरों को नष्ट करने का सपना देखता है-तो यह भयंकर ही नही तो,अती भयंकर है।
हमारे प्रेम अमृत के बदले अगर विनावजह हमें कोई नफरत का जहर देता है,हमारे धर्म को-देवी देवताओं को बदनाम करता है तो???
तो यह अन्याय अत्याचार ही है।और हम अब अन्याय अत्याचार नही सहेंगे।बस्स...बहुत हो चुका।
इसिलिए मैं सभी को नम्र निवेदन एवं आवाहन करता हुं की,अब कोई हमारे धर्म को और देवी देवताओं को बदनाम मत करों।
यह एक कानुनन अपराध भी है।और हिन्दू अब जाग भी चुका है।
हरी ओम।
-------------------------------
--  विनोदकुमार महाजन।
[16/02, 11:36 AM] mahajanv326: मैं विनोदकुमार महाजन,
पुणे जिला ब्यूरो चिफ,
24 आवर्स लाईव्ह महाराष्ट्र।
मैं पत्रकार, लेखक, कवी,एकपात्री कथा लेखक,स्फुट लेखक, समाजसेवक,तर्कशास्त्री राजनितीज्ञ,आध्यात्मिक, ईश्वरप्रेमी,मानवता वादी,तथा सत्यताप्रिय हिंदुत्ववादी हुं।
मनोजी ने मुझे इस ग्रुपपर एड किया है,इसीलिए उनका दिल से ही नही,आत्मा से आभार।
एक नया समाज एवं नवराष्ट्र निर्मीती तथा ईश्वरी कानून की जीत के लिए, संपूर्ण विश्व पर मानवता की ध्वजा लहराने के लिए, मैं आप सभी ग्रुप सदस्यों का सहभाग एवं सहायता चाहता हुं।
इसी विषय में संबंधित मैं विश्व संगठन बना रहा हुं।
अनेक किताबें लिखना समाज प्रबोधन पर सामाजिक जागतीक फिल्मे निकालना और अज्ञान,भयभीत समाज को एक छत्र के निचे ले आना मेरा उद्देश्य है।
संगठन में जो भी तन-मन-धन से समर्पित होना चाहता है कृपया मेरे व्हाट्सएप नंबर पर संपर्क करें।
हरी ओम।
--  विनोदकुमार महाजन।
[16/02, 11:40 PM] mahajanv326: माय मंदीर के लिए मेरा विशेष मनोगत।
-----------------------------
हरी ओम सभी माय मंदीर मित्रों।आप सभी भक्तों का यह,"माय मंदीर",विशेष लोकप्रिय है।क्योंकी सात्विक, शुध्द विचार जिसमें अध्यात्म द्वारा रजोगुण और तमोगुण त्यागके विशेष सत्वगुणप्रधानता की वृध्दि होती है।और समाज को संयम,त्याग, सहिष्णुता, सच्चाई, ईमानदारी, संस्कृति, संस्कार, शांती, अच्छाई, मानवता, शालीनता की उच्च कोटि की शिक्षा मिलती है।
इसिलए दोस्तों, यह माय मंदीर मेरा विशेष फेवरेट है।इसके द्वारा मेरे पवित्र आध्यात्मिक विचार, विश्व के कोने कोने में,हर घर में,घर घर में,मन मन में पहुंचाना चाहता हुं।और मुझे आत्मविश्वास है की,यह माय मंदीर, मुझे एक दिन जरूर विश्व का लोकप्रिय व्यक्ति बनाएगा।
तो....मेरा थोडासा आध्यात्मिक परिचय।
मेरा जीवन बचपन से ही अनेक चमत्कारी घटनाओं से भरा है।आध्यात्म,धार्मिक विचार, सच्चाई ,आत्मा इससे मुझे बचपन से ही विशेष रुचि है।
जो आद्य आत्मा का ज्ञान देता है वही आध्यात्म होता है।
बचपन से मुझे सपनों में अनेक देवी देवता दर्शन देते है।आज भी वही सिलसिला चालू है।
मेरी माँ बचपन में ही स्वर्ग चली गई।मगर उसके मृत्यु के बाद भी उसनें मुझे प्रत्यक्ष देह धारण करके दर्शन दिये थे।
अब विज्ञान इसको सबुत माँगेगा।इसका उत्तर यही है की,जब तक विज्ञान आत्मा की खोज करने में यशस्वी नही होती, तब तक विज्ञान को अनेक आश्चर्यजनक प्रश्नों के उत्तर देना संभव नही है।और आध्यात्म आत्मा का प्रमाण देता है।
लेख थोड़ा लंबा हो रहा है।क्षमस्व।
मेरे घर में एक गौमाता थी।उसके मृत्यु के बाद उसने मुझे सपनों में आकर, मनुष्य की भाषा में उसकी मृत्यु की वार्ता मुझे दि थी।जब मैं बाहर गाँव में था।बाद में सपनों की वार्ता सही निकली।
मेरी गौमाता वास्तव में मर चुकी थी।
अनेक आत्माएं भी मुझे सपनों में न जाने क्यों दर्शन, दृष्टांत देते है।
मृत्यु के बाद भी, मेरे सद्गुरु अर्थात मेरे दादाजी ने मुझे गायत्री मंत्र दिया।जिसका मैं अभी तक छह करोड जाप कर चुका हुं।
सोनारी, परांडा की मेरी कुलदेवता श्री.कालभैरव नाथ,मेरी ग्रामदेवता खंडोबा आदि देवताओं ने मुझे साक्षात्कार दिखाए है।
सज्जनगढ़ के रामदास स्वामी-कल्याण स्वामी जी ने मुझे वरदहस्त दिया है।शेगांव के महान संत श्री. गजानन बाबा ने मेरे सर पर हाथ रखकर, मुझे,
तु विश्व में बहुत बडा ना कमाएगा,
ऐसा आशीर्वाद दिया है।
कोल्हापुर निवासी माता महालक्ष्मी जी ने मुझे अत्यंत अमृत वाणी में मुझे घर रहने को आने का,हाथ में हाथ देकर, वचन दिया है।
ऐसे न जाने कितने असंख्य अनुभव मुझे मिले है।
कही देवता मुझे पहले सपनों में दर्शन देते है,जो मैंने कभी देखे भी नही होते है।और..संयोगवश वही देवताओं के मुझे प्रत्यक्ष दर्शन होते है।और मैं ऐसी घटनाओं से खुद आश्चर्यचकित होता हुं।ज्वाला नारसिंह, जागृत हनुमान ऐसे देवता मुझे न जाने क्यों, पहले ही सपनों में दर्शन देते है।ऐसी अनेक अद्भुत घटनाएं होती रहती है।
और अब मैं....सद्गुरु कृपा, एवं ईश्वरी कृपा से मैं जल्दी ही विश्व स्तर पर शक्तिशाली मानवता बचाव आंदोलन आरंभ कर रहा हुं।
इसके लिए जबरदस्त विश्व स्तरीय संगठन बना रहा हुं।आप सभी को सादर निमंत्रण,आमंत्रण।
माय मंदीर टीम को भी।
हरी हरी:ओम।
-------------------------------
--  विनोदकुमार महाजन।
[18/02, 1:46 PM] mahajanv326: मोदीजी भी कमाल के है यारों।
-----------------------------
मोदीजी भी देखो,
कितने कमाल के है।
बडे बडे चोर,
अरबों खरबों की
चोरी करने वाले
गद्दार, लुटेरे,देशद्रोही
भ्रष्टाचारीयों के
मोदीजी अब
टरटरा मुखौटे 
फाड रहे है।
चोर,बदमाश, हरामी
साले...
गरीबों का खून चुसनेवालों के अब
असली मुखौटे बाहर
आ रहे है।
मुर्दों के सर का भी
मख्खन खानेवालों का
मोदीजी अब
भारतीय जनता को
देखो देखो कैसे
असली रुप अब
दिखा रहे है।
इसिलीए भाईयों अब
आगे भी हर चुनाव में
मोदीजी को ही चुनना।
क्योंकी असली 
चोर लुटेरों को
मोदीजी जेल भेजकर ही रहेंगे।
अरबों खरबों के चोर
डाकू और लुटेरे।
मेरा तुम्हारा सभी का
खून चुसनवाले,
अब जेल जायेंगे।
और अपनी भारतमाता को मोदीजी
सुजलाम सुफलाम
जरूर जरूर बनायेंगे।
और बनाकर ही रखेंगे।
------------------------------
--  विनोदकुमार महाजन।
[18/02, 1:48 PM] mahajanv326: मोदीजी भी कमाल के है यारों।
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मोदीजी भी देखो,
कितने कमाल के है।
बडे बडे चोर,
अरबों खरबों की
चोरी करने वाले
गद्दार, लुटेरे,देशद्रोही
भ्रष्टाचारीयों के
मोदीजी अब
टरटरा मुखौटे 
फाड रहे है।
चोर,बदमाश, हरामी
साले...
गरीबों का खून चुसनेवालों के अब
असली मुखौटे बाहर
आ रहे है।
मुर्दों के सर का भी
मख्खन खानेवालों का
मोदीजी अब
भारतीय जनता को
देखो देखो कैसे
असली रुप अब
दिखा रहे है।
इसिलीए भाईयों अब
आगे भी हर चुनाव में
मोदीजी को ही चुनना।
क्योंकी असली 
चोर लुटेरों को
मोदीजी जेल भेजकर ही रहेंगे।
अरबों खरबों के चोर
डाकू और लुटेरे।
मेरा तुम्हारा सभी का
खून चुसनवाले,
अब जेल जायेंगे।
और अपनी भारतमाता को मोदीजी
सुजलाम सुफलाम
जरूर जरूर बनायेंगे।
और बनाकर ही रखेंगे।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[19/02, 1:07 PM] mahajanv326: मेरे आध्यात्मिक, मानवतावादी, हिंदुत्ववादी सामाजिक राजकीय पोष्ट से अगर मुझसे कोई नाराज है तो मैं क्षमा माँगता हुं।
इसके लिए ग्रुप भी छोडने को तैयार हुं।
मगर फिरसे और एक बार सुचीत करता हुं,
केवल और शुद्ध आध्यात्मिक हिंदुत्ववादी राजनिती ही विश्व को और हिंदुस्थान को,हिंदुत्व को,आध्यात्म को,मंदीरों को बचा सकती है।
नही तो???
पाकिस्तान बनने में और वहाँ जैसी हालात बनने में मंदीरों का और आध्यात्म का नाश होने में...
देर नही लगेगी।
जागो...जागो...जागो...जिसने भी यह सुचीत किया है की,
केवल आध्यात्मिक ग्रुप ही बनाओ।उसके लिए यह पोष्ट है।बुध्दीमानी से आप सही और सच्चा विष्लेषण किजीए।
कृपया आधे ज्ञान के आधार पर समाज में अज्ञान मत फैलाईये।
ऐसी गलतविचार धारा की वजह से हमने आज तक बहुत खोया है।अब अस्तीत्व की लडाई आ गई है।
अभी भी समय हाथ में है।
जागो।!!!!
अन्यथा अनर्थ अटल है।
आँखे खोलो।सच्चाई के जड तक पहुंचो।आद्य आत्मा और आत्म ज्ञान से,तर्क शास्त्र से जानो पहचानो।
श्री कृष्ण,श्री राम जैसे आध्यात्मिक युगपुरुषों ने आध्यात्म-समाजकारण और राजनीति को जोडकर ही अवतार कार्य किया है।
हम उनके आदर्श सिध्दांतो पर चलेंगे तो इसमें गैर क्या है।
वाद नही,सं वाद चाहिए।प्रश्न नहीं, उत्तर चाहिए।
हरी ओम।
--  विनोदकुमार महाजन।🙏🕉🚩
[20/02, 1:11 PM] mahajanv326: जीवन!!!!!
-------------------------------
आज मनुष्य जीवन बहुत ही संघर्ष मय हो चुका है।कुछ पाने के लिए, जीवन में अनेक उंचाईयों तक पहुंचने के लिए, संघर्ष तो करना ही पडता है।
मगर सभी को एक संघर्ष हरदिन, नितदिन तो करना ही पडता है।
पेट के लिए संघर्ष।जीवन जीने के लिए संघर्ष।पैसा कमाने के लिए, घर खरीदने के लिए आज हर एक को भयंकर संघर्ष करना पड रहा है।
भाईयों, सचमुच में यह पेट ही नही होता तो क्या इतना संघर्ष करना पडता?
भगवान भी कमाल का है।एक पेट क्या इंन्सानों को दिया, सजीवों को दिया और उसमें ही सभी को अटकाया।
मनुष्य छोडकर तो बाकी जीव सचमुच में सुखी ही है।
कैसे?
देखो,ना उन्हे पैसा कमाना पडता है।ना घर बांधना पडता है।ना सोना चांदी।ना गाडी माडी।ना मान ना अपमान।
ना उन्हें बिडी लगती है,ना सिगारेट, ना दारू,मटका, जुगाड़, ना मावा गुटखा।ना तमाकू ना चरस गांजा।
भगवान ने जैसा दिया वैसा मस्त,आनंद से,मस्ती से जीना।जमीन पर ही सोना।
फिर भी भुके पेट के लिए उन्हे भी संघर्ष तो करना ही पडता है।
और इंन्सान?
मान-अपमान, लोभ-मोह,स्वार्थ-माया, मेरा-तेरा,मद-अहंकार।न जाने कितने प्रलोभन।
और बदले कि आग!!!
हुश्य.....!!!!!!
इज्जत,मान,सन्मान, धन,वैभव,ऐशोआराम कमाना।
और मेरा तेरा करते करते एक दिन सबकुछ यही पर छोड देना।
दोस्तों, चौ-यांशी लक्ष योनियों में सिर्फ इंन्सान ही भगवान ने नही पैदा किया होता तो कितना मजा आता ना?
कल्पना किजिए ऐसी।क्या होगा?
संपूर्ण पृथ्वी पर शांत,आनंदी,मस्त कलंदर जीवन पशुपक्षियों का।
इसीलिए भगवान भी कमाल का है।सब मोह माया बाजार और अद्भुत खेल उसका।सभी अद्भुत रचना उसकी।
कौन,कहाँ,किस योनी में जन्म लेने वाला है।किसकी उमर कितनी है।किसका मृत्यु और जन्म कहाँपर है इसका अद्भुत हिसाब किताब।
कैसा सुपर काँप्युटर भगवान ने बनाया होगा ना, सृष्टी का संतुलन और हिसाब किताब रखने के लिए?
और फिर भी अहंकारी इंन्सान कहता है...कहाँ है भगवान???
अज्ञान और क्या?और अहंकार भी।कभी कभी उन्मत्तता, पाप का उन्माद और पाप का आतंक।आतंक और हाहा:कार।और आक्रमण।पशुपक्षियों सहित सभी का जीना भी मुश्किल करना।
तोबा तोबा... हाय राम......।
हे भगवान, अब तुही सद्बुध्दि दे और बचा ऐसे उन्मादीयों को।
हरी ओम।
----------------------------
--  विनोदकुमार महाजन।
[20/02, 1:17 PM] mahajanv326: जीवन!!!!!
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आज मनुष्य जीवन बहुत ही संघर्ष मय हो चुका है।कुछ पाने के लिए, जीवन में अनेक उंचाईयों तक पहुंचने के लिए, संघर्ष तो करना ही पडता है।
मगर सभी को एक संघर्ष हरदिन, नितदिन तो करना ही पडता है।
पेट के लिए संघर्ष।जीवन जीने के लिए संघर्ष।पैसा कमाने के लिए, घर खरीदने के लिए आज हर एक को भयंकर संघर्ष करना पड रहा है।
भाईयों, सचमुच में यह पेट ही नही होता तो क्या इतना संघर्ष करना पडता?
भगवान भी कमाल का है।एक पेट क्या इंन्सानों को दिया, सजीवों को दिया और उसमें ही सभी को अटकाया।
मनुष्य छोडकर तो बाकी जीव सचमुच में सुखी ही है।
कैसे?
देखो,ना उन्हे पैसा कमाना पडता है।ना घर बांधना पडता है।ना सोना चांदी।ना गाडी माडी।ना मान ना अपमान।
ना उन्हें बिडी लगती है,ना सिगारेट, ना दारू,मटका, जुगाड़, ना मावा गुटखा।ना तमाकू ना चरस गांजा।
भगवान ने जैसा दिया वैसा मस्त,आनंद से,मस्ती से जीना।जमीन पर ही सोना।
फिर भी भुके पेट के लिए उन्हे भी संघर्ष तो करना ही पडता है।
और इंन्सान?
मान-अपमान, लोभ-मोह,स्वार्थ-माया, मेरा-तेरा,मद-अहंकार।न जाने कितने प्रलोभन।
और बदले कि आग!!!
हुश्य.....!!!!!!
इज्जत,मान,सन्मान, धन,वैभव,ऐशोआराम कमाना।
और मेरा तेरा करते करते एक दिन सबकुछ यही पर छोड देना।
दोस्तों, चौ-यांशी लक्ष योनियों में सिर्फ इंन्सान ही भगवान ने नही पैदा किया होता तो कितना मजा आता ना?
कल्पना किजिए ऐसी।क्या होगा?
संपूर्ण पृथ्वी पर शांत,आनंदी,मस्त कलंदर जीवन पशुपक्षियों का।
इसीलिए भगवान भी कमाल का है।सब मोह माया बाजार और अद्भुत खेल उसका।सभी अद्भुत रचना उसकी।
कौन,कहाँ,किस योनी में जन्म लेने वाला है।किसकी उमर कितनी है।किसका मृत्यु और जन्म कहाँपर है इसका अद्भुत हिसाब किताब।
कैसा सुपर काँप्युटर भगवान ने बनाया होगा ना, सृष्टी का संतुलन और हिसाब किताब रखने के लिए?
और फिर भी अहंकारी इंन्सान कहता है...कहाँ है भगवान???
अज्ञान और क्या?और अहंकार भी।कभी कभी उन्मत्तता, पाप का उन्माद और पाप का आतंक।आतंक और हाहा:कार।और आक्रमण।पशुपक्षियों सहित सभी का जीना भी मुश्किल करना।
तोबा तोबा... हाय राम......।
हे भगवान, अब तुही सद्बुध्दि दे और बचा ऐसे उन्मादीयों को।
हरी ओम।
----------------------------
--  विनोदकुमार महाजन।
[20/02, 3:22 PM] mahajanv326: मैं बैरागी हुं।
-------------------------------
अपने ही धुन में
रहनेवाला,
गिरी कंदरों में
भटकने वाला,
मनुष्य बस्तियों से
दूर रहनेवाला,
षडरिपुओं पर
विजय प्राप्त करनेवाला,
मैं बैरागी हुं।
भगवान के प्यारे
भगवे को
धारण करनेवाला,
मोहमाया से सदैव,
दूर रहनेवाला
मैं बैरागी हुं।
पाप की छांव से
दूर रहनेवाला,
इंन्सानियत का रखवाला,
ईश्वरी कानून का प्यारा,
मैं बैरागी हुं।
अपने ही धुन में
रहनेवाला,
कभी किसीको कुछ भी
नही माँगनेवाला,
मैं बैरागी हुं।
मस्त होकर आनंद से
प्रभु का गुणगान करनेवाला,
मैं बैरागी हुं।
मैं बैरागी हुं।
---------------------------
--  विनोदकुमार महाजन।
[22/02, 6:50 AM] mahajanv326: भगवान की प्राप्ति आसान नहीं है, कठिन है।
-------------------------------
सृष्टि रचियते भगवान को पहचानना आसान नहीं है।और उसे प्राप्त करना तो बहुत ही कठिन होता है।जनम जनम तक खडतर तपश्चर्या तो करनी पडती ही है।और उसके प्राप्ति के लिए सर्वस्व त्यागना भी पडता है।सर्वस्व समर्पित प्रेम ही भगवत् प्राप्ति की ओर ले जाता है।सर्वस्व समर्पित प्रेम होकर भी,भगवान किसीको युंही अपने नजदीक नही आने देता है।अनेक कठोर अग्नीपरिक्षाएं,सत्वपरिक्षिएं देनी होती है।
इसीलिए यह कोई बच्चों का खेल नहीं है।
और आज इंन्स्टंट जमाने में तो तुरंत फलप्राप्ति चाहिए लोगों को।
आग में जलना पडता है ईश्वर प्राप्ति के लिए।
मगर जो सद्गुरु के चरणों में समर्पित हो जाते है तो सद्गुरु, भक्त और भगवान को जोडते है।और भवसागर पार कराके ही देते है।
इसके लिए सद्गुरु भी पहुंचे हुए चाहिए और चेला भी हार नही मानने वाला चाहिए।तभी आज्ञाचक्र में शिव-शक्ति का सुंदर मिलन हो जाता है।और सद्गुरु कृपा से चेला भी एकदिन ईश्वर स्वरूप हो जाता है।
सो अहम्..सो अहम्..
मगर हर जिव मोह माया, धन वैभव,यश किर्ती, मान सन्मान, अपमान अहंकार में,माया के मोहमई बाजार में इतना अटक जाता है की,भगवान का  अस्तित्व भी है यही बात  भूल जाता है।
तो भगवत् प्राप्ति कैसी?
अगर इससे भी मुक्त हुवा, तो अत्यंत भयंकर संकटों की मालिकाएं शुरू हो जाती है।और इंन्सान भगवान को ही कोसने लगता है।
फिर भगवत् प्राप्ति कैसी?
फिर भगवान कुछ सिध्दीयाँ,ब्रम्हज्ञान जैसे प्रलोभन भेजता है।इसमें भी अनेक महात्माएं फँसकर रह जाते है।चक्रव्यूह भेदकर आगे नही जा सकते।अटक जाते है।
फिर भगवत् प्राप्ति कैसी?
मगर सच्चा भक्त इसका भी त्याग कर देता है।सिर्फ भगवान को ही चुनता है।तब... धिरे धिरे भगवान भी भक्तों के प्रेम, दृढनिश्चय से आनंदित होने लगता है।
और अपने बच्चे को सही मार्ग दिखाकर दर्शन देते है।और उसे भी नर का नारायण अर्थात ईश्वर स्वरूप बना देते है।
नाना नाटक सुत्रधारीया है मेरा भगवान।नर का नारायण युंही नही बनने देते।जब नर का नारायण बनेगा....
और तभी से ही उसका, विश्वोध्दार का अवतार कार्य आरंभ कर देते है।
क्या केवल एक जनम में ही यह सब मुश्किल हो जायेगा?
हरि ओम।
---------------------------------  विनोदकुमार महाजन।
[24/02, 2:53 PM] mahajanv326: प्रेम के अनेक रंग।
-------------------------------
दोस्तों,प्रेम शब्द में बहुत शक्ती होती है।है ना?
और प्रेम के अनेक रंग होते है।देखो....
ममता...वात्सल्य... पवित्रता... निरामयता...आनंद...विश्वास... श्रद्धा... श्रेष्ठत्व... निरअहंकारीता...दया...क्षमा...शालिनता...निरागसता...सुंदरता... स्वच्छ मन...स्वर्गीय दिव्य आनंद और अनुभूती... प्रामाणिकता...
और कितने शब्द... कितने रंग...
जिसने भी प्रेम का रंग पाया वह जीता।
ईश्वर से प्रेम, सद्गुरू से प्रेम, मित्र से प्रेम, माँ का प्रेम।
राधाकृष्ण का दिव्य प्रेम, कृष्ण अर्जुन का प्रेम, राम हनुमान, भक्त भगवान, गुरु शिष्य।
कितने अनगिनत प्रेम के अवर्णनीय रंग।मिरा का भी शुध्द, पवित्र, निरपेक्ष, दिव्य प्रेम।
दोस्तों....
क्या आप भी प्रेम, दिव्य प्रेम, निरपेक्ष प्रेम करते हो?जरूर करते ही होंगे।
और मुझसे...?मुझसे भी मित्रप्रेम तो करते ही हो ना?
हरी ओम।
-----------------------------
--  विनोदकुमार महाजन।
[25/02, 5:36 AM] mahajanv326: सद्गुरु!!!!!
------------------------------
खुद भगवान ने मेरी
सच्चाई, अच्छाई, नेकी
ईमानदारी, सत्य,
ईश्वरप्रेम की,
इतनी कठोर सत्वपरिक्षिएं, अग्नीपरिक्षाएं ली की,
तोबा-तोबा.....।
हर राह पर संकट,रुकावट
जालीम जहर,अनेक जहरीले साँप,धधकती
अग्नी का सामना।
चारों तरफ ही नही...
दस दिशाओं में
आग ही आग...
और लडाई के लिए?
अकेला... ना संगी...
ना साथी....
अकेले सद्गुरु पिछे खडे...पहाड जैसे...
कभी साकार, कभी निराकार....
मनोबल बढाते रहे,
आत्मबल बढाते रहे..
रास्ता दिखाते रहे।
होश और जोश,चैतन्य
जगाते रहे।
और आज....?
सद्गुरु जीत गए...
भगवान भी स्तिमीत
और दंग रह गया
मेरे सद्गुरु के सामने।
आज समय हार गया
काल हार गया
प्रारब्ध हार गया
नशीब भी हार गया।
और मैं जीत गया।
मेरे सद्गुरु जीत गए।
इसिलिए मुझे
भगवान से भी प्यारे है
मेरे सद्गुरु...
मेरे आण्णा......।
आज मैं जीवन की लडाई....
मेरे सद्गुरु की वजह से
मैं जीत गया।
मुझे जलाने को आनेवाला अग्नि भी
आज मेरी सद्गुरु कि
कृपा से जल गया।
ऐसी महीमा होती है,
सद्गुरु कृपा की।
-------------------------------
--  विनोदकुमार महाजन।
[01/03, 5:10 AM] mahajanv326: कल ,आज और कल।
------------------------------- कुछ दिन सफर में था इसिलीए लेख नही लिख सका।आज फिरसे एक नया विषय लेकर आया हुं।
कल,आज और कल।
कल यानी की भूतकाल में,कुछ सालों पहले इंन्सानियत-रिश्ते-नाते सबकुछ थे।दुसरों का दुख-दर्द देखकर हर एक इंन्सान बेचैन होता था।दुसरों के दुखों में रोता भी था।
धिरे धिरे समय बितता गया।और आज...ने एक भयंकर विचित्र रुप धारण कर लिया।इंन्सानियत-रिश्ते-नातों की किमत कम होती गई।और आज पैसा ही सबकुछ बन गया।पैसा ही भगवान बन गया।
जो चाहे वह पैसों से खरीद लो,ऐसी समाज की धारणा बनती गई।
जिसके पास पैसा ,वह चाहे कितना भी दुर्गुणी हो- वही सबसे बडा,ऐसी विदारक स्थिती आज पैदा हो गई।और...
जिसके पास पैसा नही वह चाहे कितना भी सद्गुण संपन्न हो,विचारी हो,बुध्दीमान हो,ईमानदार हो,सुसंस्कृत हो,सच्चाई-अच्छाई के रास्ते पर चलने वाला हो-उसकी समाज में झिरो व्याल्युएशन होती है।
क्या यही वास्तव हो गया है?क्या पैसों के बाजार में सचमुच में इंन्सानियत मर सि गई है?
आज ऐसा समय चल रहा है।तो कल,मतलब भविष्य में क्या होगा?
क्या इंन्सानियत कोई जगायेगा?इंन्सान को कोई इंन्सानियत की किमत बताएगा?
और पैसों के बाजार में इंन्सानियत न मर रही  है,बल्की हैवानियत भी बढ रही है।
क्या यही वास्तव है?और अगर हाँ,तो इसका इलाज क्या?फिर से मानवता,संस्कृती की जीत के लिए क्या करना होगा?मनुष्य ह्रदयशुन्य,या पाषाणह्रदई बनता जा रहा है।पैसों के बाजार में तत्व,सत्व,सिध्दांत को भी तिलांजली दे रहा है।
ईश्वरी कानुन की फिरसे रचना, यही सभी प्रश्नों का,सभी समस्याओं का उत्तर है?
कौन करेगा ईश्वरी कानुन की पुनर्स्थापना???

हरि ओम।
-----------------------------
--  विनोदकुमार महाजन।
[02/03, 12:51 PM] mahajanv326: सुख और आनंद के,
अनेक रंग।
---------------------–--------
आप सभी के जीवन में आनंद, सुख,समृध्दि, चैतन्य, ऐश्वर्य, आरोग्य, यश,किर्ती,दिर्घायुता जैसे जीवन के सभी अच्छे रंगों की बौछार हो।अनेक, विविध रंगो की आपके जीवन में बहार आयें।
आप सभी मेरे प्यारे प्यारे, अच्छे अच्छे दोस्त-मित्र-यार सदा खुश रहे।आनंदी रहे,चैतन्य मई बने।उर्जावान बने।आप सभी की खुशीयाँ, सुख,आनंद बढे।आनंद प्रेम से बाँटे।
सभी को खुश करेंगे, आनंदित करेंगे।
सभी की पीडा दूर करने का हम शुभ संकल्प करें।
होली का त्यौहार,
आनंद की बहार,
उत्सव मनाएंगे 
हम सब मिलकर,
हमारे वृत वैकल्यों का,
हमारे आदर्श संस्कारों का और संस्कृति का,
करेंगे हम सभी अब,
दुनिया भर में संचार।
हरी ओम।
-------------------------------
--  विनोदकुमार महाजन।
[04/03, 5:18 AM] mahajanv326: आ गया रे आ गया,
भगवा तूफान आ गया।
-------------------------------
देखो देखो प्यारे यारों
भगवा तूफान आ गया।
मोदीजी का जादू
पूरे देश में चल गया।
हर हर मोदी
घर घर भी मोदी,
ऐसा करीश्मा हो गया।
आ गया रे यारों अब
भगवा तूफान आ गया।
पूरब से पश्चिम तक
उत्तर से दक्षिण तक,
भगवे का राज्य हो गया।
भगवा तूफान आ गया।
ईश्वरपुत्रों पर भयानक
भयंकर अत्याचार
करनेवाले लाल बंदरों का 
सारा खेल खतम हो गया।
देखो रे देखो यारों अब
भगवा राज आ गया।
संपूर्ण विश्व में भी अब
मोदीजी का जादू चल
गया।
देखो देखो यारों नया जमाना अब आ गया।
अब हिंदुस्तान में 
हिंदुत्व का और मानवता का जयजयकार हो गया।
देखो देखो यारों अब
भगवा राज आ गया।
उन्मादी, उन्मत्त, अत्याचारीयों का अब
पाप का घडा भर गया।
भगवान के भगवे का दोस्तों अब,
राज आ गया।
अनेक लेखों में मैंने जो
हिंदुओं के उज्वल भविष्य का वर्णन किया था,ईश्वरी राज्य का
जिक्र किया था,
वह समय आरंभ हो गया।
देखो देखो यारों अब
हिंदुओं का भगवा
राज्य आ गया।
अब ना कोई पिछे हटायेगा, ना कोई हमें
मिटायेगा।
षड्यंत्र कारीयों का
असली मुखौटा अब 
जनता जनार्दन के सामने आयेगा।और..
देश में अब 
रामराज्य आ जायेगा।
पूरे विश्व में भी अब
भगवान का भगवा
लहरायेगा।
जल्दी ही धरती पर
ईश्वरपुत्रों का ईश्वरी राज्य अब आयेगा।
ईश्वरी राज्य आयेगा।
विनोदकुमार कि यह सिध्दबाणी और सिध्दलेखनी का अनुभव सभी को आयेगा।
विश्व पर भी एक दिन
फिर से 
भगवान का भगवा
लहरायैगा।
भगवा एक दिन लहरायैगा।
हरि हरी: ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[06/03, 1:10 PM] mahajanv326: और क्या चाहिए ?
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सुख,संपत्ति, आरोग्य, ऐश्वर्य, यश,किर्ती, मान,सन्मान सभी को चाहिए ही चाहिए।इसिलए तो जीवन का संघर्ष, भागदौड़ चल रही है।हर एक को कुछ न कुछ चाहिए ही।
मगर अगर किसीको भगवान ही मिल गया,या फिर वह महात्मा भगवत् स्वरूप ही बन गया तो?तो और क्या चाहिए?
उसे तो सबकुछ मिल गया।स्वर्ग भी मिल गया,स्वर्गीय आनंद भी मिल गया।मोक्ष और मुक्ति भी मिल गई।
तो इससे बढकर क्या होता है?सभी सुख-संपत्ति-आरोग्य-ऐश्वर्य-यश-किर्ती-मान-सन्मान-अपमान-दुख-दर्द भी इस आनंद के सामने य:कश्चीत् हो जाते है।
सभी सुखदूख,बैराग्य, सभी सिध्दीयाँ ऐसे महान सुख के सामने कुछ भी मायने नही रखते।
आत्मानंद का अवर्णनीय, अगाध, अत्यानंददाई,अमृतमई अखंड ध्यान और समाधि सोहळा,उत्सव।
सद्गुरू  कृपा से जिसने ऐसी अवस्था साध्य की,उसे और क्या चाहिए?
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[07/03, 12:13 AM] mahajanv326: आत्मे संपर्क कैसे करते है?
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कठोर तपश्चर्या के बाद आत्मा की अनुभूती मिलने लगती है।जागृत अतिंद्रिय शक्ती,आज्ञाचक्र जागृती द्वारा ब्रम्हज्ञान प्राप्ती से भी आत्मानुभूति मिल सकती है।इसीलिए साधक संवेदनशील तथा सदैव जागरूक होना जरूरी है।
अपने भी इस पंचमहाभूतों के देहतत्व में भी खुद की आत्मा और इसी प्रकार से सभी सजीवों में भी आत्मतत्व की पहचान हो जाती है।
सभी सजीवों में पंचमहाभूतों के देहतत्व का संचलन आत्मतत्व ही करती है।प्राण याने की आत्मा देह से अलग होती है तो,पंचमहाभूतों का देह मृत हो जाता है।
सभी सजीवों में आत्मतत्व, पंचमहाभूतों का देह,जन्म-मृत्यु, आहार-निद्रा-भय-मैथून-पुर्नउत्पादन का तत्व एक ही होता है।
इसी प्रकार से सभी देहतत्व का संबंध आत्मतत्व से और आत्मतत्व का संबंध परमात्म तत्व से निरंतर होता है।मगर प्रारब्ध गतीअनुसार जीव मोहमाया में फँसकर, अज्ञान बन जाता है।और खुद का चैतन्य मई,तेजस्वी, ईश्वरस्वरुप रुप भूल जाता है।
तो देह त्यागने के बाद अदृष्य आत्माएं हमसे संपर्क कैसे करते है?
देहत्याग के बाद आत्मा को खुद की असली पहचान होती है।और भूत-वर्तमान-भविष्य का सही ज्ञान हो जाता है।साकार देह यही संपर्क का माध्यम समाप्त होने के कारण,अनेक आत्माएं अपने प्रियजनों को आश्चर्यकारक स्वप्न दृष्टांत देते है।और सांकेतिक भाषा में मनोगत व्यक्त करते है।कई बार हमें ऐसी गूढ भाषा समझ में नही आती है।तो कोई आत्माएं अनेक दृष्टांत भी देते है।
रामदास स्वामी,गजानन बाबा,अक्कलकोट स्वामी जैसे महासिद्ध योगी तो देह त्यागने के बाद भी, कुछ समय के लिए, फिरसे वही पंचमहाभूतों का देह धारण करके दर्शन देते है।चमत्कार करते है।
ऐसे सिध्द पुरुषों का पंचमहाभूतों पर हमेशा अंकुश रहता है।और पंचमहाभूत ऐसे दिव्य आत्माओं के आज्ञा में ही रहते है।इसलिए राम-कृष्ण-हनुमान जैसे ईश्वर बारबार अपने योग्यता के भक्तों को दर्शन देते रहते है।जिसका आत्मतत्व परमात्म शक्ति से एकरुप हो जाता है,ऐसे दिव्यात्माओं को ऐसी दिव्य अनुभुतीयाँ मिलती रहती है।
आत्मा परमात्मा तो अदृष्य होते है।इसिलिए यह गूढ विषय है।मगर यही आत्मा परमात्मा तत्व अपने अदृष्य श्वासों द्वारा ही अखंडित जुडा रहता है।
और कठोर तपश्चर्या द्वारा ऐसे अनेक गूढ विषयों के मूल तक जाना संभव होता है।
अपने सभी धर्मग्रंथों में इसका सही प्रमाण और विवेचन किया है।इसलिए हमें प्रगति के लिए, धर्मग्रंथ ही सहायक होते है।या फिर गुरुकृपा द्वारा सही ब्रम्हज्ञान प्राप्ती से भी अनेक अदृष्य भेद तथा रहस्य खुल जाते है।
और ऐसे रहस्य का पता
लगाकर अंतिम सत्य तक पहुंचने के लिए ही,ईश्वर द्वारा मनुष्य जन्म का प्रायोजन है।
खुद को जानो,पहचानो।अनेक देह बदलने वाली अपनी चिरंतन, अमर्त्य आत्मा को पहचानो।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[08/03, 3:08 PM] mahajanv326: मुझे उत्तर चाहीए।
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इंन्सानियत पर,मानवता पर प्रेम करनेवाले देश के और विश्व के सभी धर्मीयों को मैं एक नम्र सवाल करना चाहता हुं।अपेक्षा करता हुं की मुझे योग्य उत्तर जरूर मिलेगा।
सवाल अन्याय, अत्याचार संबंधित है।
जब कश्मीर में हिंदु पंडितों के साथ बर्बतापुर्वक अन्याय, अत्याचार हो रहा था,तब ...
(1)सबसे पुरानी काँग्रेस पार्टी हाथ पर हाथ रखकर मौन और शांत क्यों थी?
(2)काँग्रेसने हिंदु पंडितों का रक्षण क्यों नही किया?
(3)तब सभी समाजवादी, कम्युनिस्ट कहाँ थे?
(4)तब टिव्ही चैनलवाले कहाँ थे?
(5)तब कोर्ट की एक्शन क्या थी?
(6)तब कानून पंडितों की रक्षा क्यों नही कर रहा था?
(7)तब सभी मानवतावादी कहाँ थे?
(8)सचमुच में यह हिंदुमुक्त कश्मीर बनाने का प्लान था,तो यह किसका प्लान था?
(9)अगर कश्मीर हिंदुमुक्त करने का प्लान था,तो क्या धिरे धिरे हिंदुस्थान भी हिंदुमुक्त करने का प्लान था?
(10)अगर हाँ तो किसका प्लान था?
(11)आज भी कश्मीरी पंडितों को न्याय क्यों नही मिल रहा है?
(12)विस्थापित होकर कश्मीरी पंडित आज भी दरदर की ढोकरे खा रहे है,उन्हे कब न्याय मिलेगा?कौन न्याय देगा?
(13)अत्याचार करनेवालों को कब और कैसे कठोर दंड मिलेगा?कौन करेगा?
(14)कश्मीरी पंडित कब अपने घर वापीस सन्मानपूर्वक जायेंगे?
(15)कौन योग्य उत्तर देगा?
(16)कानून?काँग्रेस?समाजवादी?मिडिया वाले?मानवतावादी?
उत्तर की अपेक्षा।
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पत्रकार विनोदकुमार महाजन।
[08/03, 3:28 PM] mahajanv326: अखंड भारत की कहानी.......

आज तक किसी भी इतिहास की पुस्तक में इस बात का उल्लेख नहीं मिलता की बीते 2500 सालों में हिंदुस्तान पर जो आक्रमण हुए उनमें किसी भी आक्रमणकारी ने अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया हो। अब यहां एक प्रश्न खड़ा होता है कि यह देश कैसे गुलाम और आजाद हुए। पाकिस्तान व बांग्लादेश निर्माण का इतिहास तो सभी जानते हैं। बाकी देशों के इतिहास की चर्चा नहीं होती। हकीकत में अंखड भारत की सीमाएं विश्व के बहुत बड़े भू-भाग तक फैली हुई थीं।

एवरेस्ट का नाम था सागरमाथा, गौरीशंकर चोटी

पृथ्वी का जब जल और थल इन दो तत्वों में वर्गीकरण करते हैं, तब सात द्वीप एवं सात महासमुद्र माने जाते हैं। हम इसमें से प्राचीन नाम जम्बूद्वीप जिसे आज एशिया द्वीप कहते हैं तथा इन्दू सरोवरम् जिसे आज हिन्दू महासागर कहते हैं, के निवासी हैं। इस जम्बूद्वीप (एशिया) के लगभग मध्य में हिमालय पर्वत स्थित है। हिमालय पर्वत में विश्व की सर्वाधिक ऊंची चोटी सागरमाथा, गौरीशंकर हैं, जिसे 1835 में अंग्रेज शासकों ने एवरेस्ट नाम देकर इसकी प्राचीनता व पहचान को बदल दिया।

ये थीं अखंड भारत की सीमाएं

अखंड भारत इतिहास की किताबों में हिंदुस्तान की सीमाओं का उत्तर में हिमालय व दक्षिण में हिंद महासागर का वर्णन है, परंतु पूर्व व पश्चिम का वर्णन नहीं है। परंतु जब श्लोकों की गहराई में जाएं और भूगोल की पुस्तकों और एटलस का अध्ययन करें तभी ध्यान में आ जाता है कि श्लोक में पूर्व व पश्चिम दिशा का वर्णन है। कैलाश मानसरोवर‘ से पूर्व की ओर जाएं तो वर्तमान का इंडोनेशिया और पश्चिम की ओर जाएं तो वर्तमान में ईरान देश या आर्यान प्रदेश हिमालय के अंतिम छोर पर हैं।

एटलस के अनुसार जब हम श्रीलंका या कन्याकुमारी से पूर्व व पश्चिम की ओर देखेंगे तो हिंद महासागर इंडोनेशिया व आर्यान (ईरान) तक ही है। इन मिलन बिंदुओं के बाद ही दोनों ओर महासागर का नाम बदलता है। इस प्रकार से हिमालय, हिंद महासागर, आर्यान (ईरान) व इंडोनेशिया के बीच का पूरे भू-भाग को आर्यावर्त अथवा भारतवर्ष या हिंदुस्तान कहा जाता है।

अब तक 24 विभाजन

सन 1947 में भारतवर्ष का पिछले 2500 सालों में 24वां विभाजन है। अंग्रेज का 350 वर्ष पूर्व के लगभग ईस्ट इण्डिया कम्पनी के रूप में व्यापारी बनकर भारत आना, फिर धीरे-धीरे शासक बनना और उसके बाद 1857 से 1947 तक उनके द्वारा किया गया भारत का 7वां विभाजन है। 1857 में भारत का क्षेत्रफल 83 लाख वर्ग किमी था। वर्तमान भारत का क्षेत्रफल 33 लाख वर्ग किमी है। पड़ोसी 9 देशों का क्षेत्रफल 50 लाख वर्ग किमी बनता है।

क्या थी अखंड भारत की स्थिति

सन 1800 से पहले विश्व के देशों की सूची में वर्तमान भारत के चारों ओर जो आज देश माने जाते हैं उस समय ये देश थे ही नहीं। यहां राजाओं का शासन था। इन सभी राज्यों की भाषा अधिकांश शब्द संस्कृत के ही हैं। मान्यताएं व परंपराएं बाकी भारत जैसी ही हैं। खान-पान, भाषा-बोली, वेशभूषा, संगीत-नृत्य, पूजापाठ, पंथ के तरीके सब एकसे थे। जैसे-जैसे इनमें से कुछ राज्यों में भारत के इतर यानि विदेशी मजहब आए तब यहां की संस्कृति बदलने लगी।

2500 सालों के इतिहास में सिर्फ हिंदुस्तान पर हुए हमले

इतिहास की पुस्तकों में पिछले 2500 वर्ष में जो भी आक्रमण हुए (यूनानी, यवन, हूण, शक, कुषाण, सिरयन, पुर्तगाली, फेंच, डच, अरब, तुर्क, तातार, मुगल व अंग्रेज) इन सभी ने हिंदुस्तान पर आक्रमण किया ऐसा इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में कहा है। किसी ने भी अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण का उल्लेख नहीं किया है।

रूस और ब्रिटिश शासकों ने बनाया अफगानिस्तान

1834 में प्रकिया शुरु हुई और 26 मई 1876 को रूसी व ब्रिटिश शासकों (भारत) के बीच गंडामक संधि के रूप में निर्णय हुआ और अफगानिस्तान नाम से एक बफर स्टेट अर्थात् राजनैतिक देश को दोनों ताकतों के बीच स्थापित किया गया। इससे अफगानिस्तान अर्थात पठान भारतीय स्वतंत्रतता संग्राम से अलग हो गए। दोनों ताकतों ने एक-दूसरे से अपनी रक्षा का मार्ग भी खोज लिया। परंतु इन दोनों पूंजीवादी व मार्क्सवादी ताकतों में अंदरूनी संघर्ष सदैव बना रहा कि अफगानिस्तान पर नियंत्रण किसका हो? अफगानिस्तान शैव व प्रकृति पूजक मत से बौद्ध मतावलम्बी और फिर विदेशी पंथ इस्लाम मतावलम्बी हो चुका था। बादशाह शाहजहां, शेरशाह सूरी व महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल में उनके राज्य में कंधार (गंधार) आदि का स्पष्ट वर्णन मिलता है।

1904 में दिया आजाद रेजीडेंट का दर्जा

मध्य हिमालय के 46 से अधिक छोटे-बडे राज्यों को संगठित कर पृथ्वी नारायण शाह नेपाल नाम से एक राज्य बना चुके थे। स्वतंत्रतता संग्राम के सेनानियों ने इस क्षेत्र में अंग्रेजों के विरुद्ध लडते समय-समय पर शरण ली थी। अंग्रेज ने विचारपूर्वक 1904 में वर्तमान के बिहार स्थित सुगौली नामक स्थान पर उस समय के पहाड़ी राजाओं के नरेश से संधी कर नेपाल को एक आजाद देश का दर्जा प्रदान कर अपना रेजीडेंट बैठा दिया। इस प्रकार से नेपाल स्वतन्त्र राज्य होने पर भी अंग्रेज के अप्रत्यक्ष अधीन ही था। रेजीडेंट के बिना महाराजा को कुछ भी खरीदने तक की अनुमति नहीं थी। इस कारण राजा-महाराजाओं में यहां तनाव था। नेपाल 1947 में ही अंग्रेजी रेजीडेंसी से मुक्त हुआ।

भूटान के लिए ये चाल चली गई

1906 में सिक्किम व भूटान जो कि वैदिक-बौद्ध मान्यताओं के मिले-जुले समाज के छोटे भू-भाग थे इन्हें स्वतन्त्रता संग्राम से लगकर अपने प्रत्यक्ष नियंत्रण से रेजीडेंट के माध्यम से रखकर चीन के विस्तारवाद पर अंग्रेज ने नजर रखना शुरु किया। यहां के लोग ज्ञान (सत्य, अहिंसा, करुणा) के उपासक थे। यहां खनिज व वनस्पति प्रचुर मात्रा में थी। यहां के जातीय जीवन को धीरे-धीरे मुख्य भारतीय धारा से अलग कर मतांतरित किया गया। 1836 में उत्तर भारत में चर्च ने अत्यधिक विस्तार कर नए आयामों की रचना कर डाली। फिर एक नए टेश का निर्माण हो गया।

चीन ने किया कब्जा

1914 में तिब्बत को केवल एक पार्टी मानते हुए चीन भारत की ब्रिटिश सरकार के बीच एक समझौता हुआ। भारत और चीन के बीच तिब्बत को एक बफर स्टेट के रूप में मान्यता देते हुए हिमालय को विभाजित करने के लिए मैकमोहन रेखा निर्माण करने का निर्णय हुआ। हिमालय को बांटना और तिब्बत व भारतीय को अलग करना यह षड्यंत्र रचा गया। चीनी और अंग्रेज शासकों ने एक-दूसरों के विस्तारवादी, साम्राज्यवादी मनसूबों को लगाम लगाने के लिए कूटनीतिक खेल खेला।

अंग्रेजों ने अपने लिए बनाया रास्ता

1935 व 1937 में ईसाई ताकतों को लगा कि उन्हें कभी भी भारत व एशिया से जाना पड़ सकता है। समुद्र में अपना नौसैनिक बेड़ा बैठाने, उसके समर्थक राज्य स्थापित करने तथा स्वतंत्रता संग्राम से उन भू-भागों व समाजों को अलग करने हेतु सन 1935 में श्रीलंका व सन 1937 में म्यांमार को अलग राजनीतिक देश की मान्यता दी। म्यांमार व श्रीलंका का अलग अस्तित्व प्रदान करते ही मतान्तरण का पूरा ताना-बाना जो पहले तैयार था उसे अधिक विस्तार व सुदृढ़ता भी इन देशों में प्रदान की गई। ये दोनों देश वैदिक, बौद्ध धार्मिक परम्पराओं को मानने वाले हैं। म्यांमार के अनेक स्थान विशेष रूप से रंगून का अंग्रेज द्वारा देशभक्त भारतीयों को कालेपानी की सजा देने के लिए जेल के रूप में भी उपयोग होता रहा है।

दो देश से हुए तीन

1947 में भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ। इसकी पटकथा अंग्रेजों ने पहले ही लिख दी थी। सबसे ज्यादा खराब स्थिति भौगोलिक रूप से पाकिस्तान की थी। ये देश दो भागों में बंटा हुआ था और दोनों के बीच की दूरी थी 2500 किलो मीटर। 16 दिसंबर 1971 को भारत के सहयोग से एक अलग देश बांग्लादेश अस्तित्व में आया।

तथाकथित इतिहासकार भी दोषी

यह कैसी विडंबना है कि जिस लंका पर पुरुषोत्तम श्री राम ने विजय प्राप्त की ,उसी लंका को विदेशी बना दिया। रचते हैं हर वर्ष रामलीला। वास्तव में दोषी है हमारा इतिहासकार समाज ,जिसने वोट-बैंक के भूखे नेताओं से मालपुए खाने के लालच में भारत के वास्तविक इतिहास को इतना धूमिल कर दिया है, उसकी धूल साफ करने में इन इतिहासकारों और इनके आकाओं को साम्प्रदायिकता दिखने लगती है। यदि इन तथाकथित इतिहासकारों ने अपने आकाओं ने वोट-बैंक राजनीति खेलने वालों का साथ नही छोड़ा, देश को पुनः विभाजन की ओर धकेल दिया जायेगा। इन तथाकथित इतिहासकारो ने कभी वास्तविक भूगोल एवं इतिहास से देशवासिओं को अवगत करवाने का साहस नही किया।
[09/04, 1:10 PM] mahajanv326: भेडिये।
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भेडिये, जी हाँ भाईयों भेडिये।ईंन्सानरूपी भयंकर क्रुर भेडिये।समाज में अशांती निर्माण करना,खून खराबा करना,खून बहाना,लूटपाट करना,रक्तपात करन,संयमी और शांतीपूर्ण समाज में विनावजह विद्रोही स्थिति पैदा करना,एकसंघ ,शांतिप्रिय, शिस्तप्रिय समाज में भय,चिंता, अस्थिरता निर्माण करना।ऐसा ही ऐसे भेडियों का मकसद होता है।
विकास कार्यों में विनावजह बाधाएँ उत्पन्न करके समाज का और खुद का भी घात करना,ऐसे दुष्ट प्रवृत्ती के दुष्टात्में इसमें सामील होते है और असुरी आनंद में रहते है।
ईश्वर का डर,कानून का डर,समाज का डर इन्हे नही रहता है।
ऐसे पापात्माएं सचमुच में पृथ्वी पर बोझ ही होते है।
हमेशा खून के प्यासे,ईंन्सानियत के दुष्मन इनका सभी समाज को संगठित होकर, शक्तिशाली होकर इन भेडियों के खिलाफ कानुनन कार्रवाई करनी ही चाहिए।नही तो ये भेडिये और खूंखार हो जाते है और इन्हे रक्त की लत लग जाती है।
इसिलए देश के और विदेश के सभी मानवतावादियों, समय से पहले जागरुक होकर,ऐसे उन्मत्त, उन्मादी, भयंकर पातकी भेडियों का बंदोबस्त सभी को करना ही होगा।
नही तो ये मानवता के दुष्मन संपूर्ण विश्व से ही मानवता का नाश कर देंगे।
अतएव सावधान।सावधान।
ऐसे भेडिए समाज में खूलेआम घुमते फिरते है।
जानो पहचानो।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[16/04, 5:58 AM] mahajanv326: क्या चल रहा है?

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भाईयों, सचमुच में क्या चल रहा है आज देश में?

अराजक?

जी हाँ भाईयों, अराजक।और यह अराजक ऐसा तैसा नही है।अती भयंकर षडयंत्र द्वारा प्रायोजित अराजक।

मोदीजी और उनकी पूरी टीम जीस तरीके से देश और देशवासियों के लिए विकास कार्य कर रही है,शायद लबाड, ढोंगी घबरा गए है।

और....

मोदीजी को 2019 में हराने का भयंकर अती भयंकर षडयंत्र।

कुछ भी करो बदनाम करो,विकास कार्यों में बाधाएं उत्पन्न करो,षडयंत्र भयंकर षडयंत्र करो और मोदीजी को बदनाम करो।

किसी भी तरीके से,किसी भी बहाने से।बदनामी और बदनामी।

ऐसा ही माहौल खडा किया जा रहा है ना देश में?

मगर भाईयों, हमें राष्ट्र प्रेमीयों को यह लडाई बहुत ही हिम्मत से लडनी है।ठंडे दिमाग से लडनी है।और मोदीजी को राष्ट्रीय तथा आंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत ही शक्तीशाली बनाना ही है।

अब उन्नीस में केवल जीत नही महाजीत हासिल करनी है।

और जनता...?

सब जानती है,पहचानती है।देश के लुटेरे कितनी भी नौटंकी करे,ड्रामेगिरी करे,

जनता जनार्दन केवल और केवल,सिर्फ और सिर्फ मोदीजी को ही भारी बहुमतों से जीताएगी।

क्योंकी कुछ असामाजिक तत्व,कुछ बिकाऊ मिडियावाले,गद्दार, नमकहराम,राष्टद्रोहियों को हमें सोशल मिडिया द्वारा ठिकाणे पे लाना है।उनकी असलिएत समाज को दिखानी है।उनके नाटकी मुखौटे देशवासियों को दिखाने है।

और मोदीजी को जीताना है।सभी जात-धर्म-पंथ-पथवालों को,सही मायने से....

"सबका साथ-सबका विकास"चाहिए तो...देश का अराजक समाप्त करना चाहिए तो...राष्ट्रीय विकास चाहिए तो...सुख-शांती बनानी है तो...

पापियों के मुंह पर तमाचा मारना है तो...

तो केवल और केवल मोदीजी को ही चुनना है।

जी हाँ भाईयों।किसी के बहकावे में आकर,किसी के चंगुल में फँसकर,किसीके नौटंकी में आकर अब हमें फँसना नही है।

केवल और केवल मोदीजी और मोदीजी।

फैला दो यह मेसेज दशदिशाओं में।करलो सत्य की,इंन्सानियत की जीत।

जय श्रीराम।

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--  विनोदकुमार महाजन।
[17/04, 11:20 AM] mahajanv326: भाईयों, सोशल मीडिया द्वारा असत्य पर प्रहार करो।
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भाईयों, आज कुछ राष्ट्रद्रोही ताकदें,कुछ असामाजिक तत्व देश में असत्य फैलाकर सत्य को परेशान कर रहे है।
असत्य ही सत्य का मुखौटा धारण कर रहा है।अतएव सावधान।कुछ मिडिया वाले भी इसमें जमकर हिस्सा ले रहे है।
इसपर कानूनी इलाज क्या है?या किसिको इनके झूट के खिलाफ जनहित याचिका दायर करके अंकुश लगेगा?
चाहे कुछ भी हो,ऐसी ताकदों को हमें प्रखर राष्ट्राभिमानियों को एक होकर रोखना होगा।जमकर विरोध करना होगा।
गुजरात चुनाव में एक टिवी चैनल बार बार एक गलत न्यूज और सर्वे दिखा रहा था।इस सर्वे में बिजेपी की करारी हार और काँग्रेस की प्रचंड बहुमतों से जीत दिखाई थी।
मगर....?आज सत्य आप सभी के सामने है।मेरे कहने का मतलब यह है की,ऐसे गलत सर्वे दिखाने वाले टिवी चैनल पर क्या कार्रवाई हो गई?
कुछ भी नही।आज भी वह चैनल झूटी अफवाएं फैला रहा है।
तो क्या करें?
(1)सबसे पहले ऐसे चैनल देखना बिल्कुल बंद कर दो।
(2)इनको विज्ञापन देना बंद कर दो।
(3)ऐसे झूट फैलाने वाले चैनल,व्यक्ति, संस्था का संपूर्ण रुप से बहिष्कार करो।
(4)सोशल मिडिया का जबरदस्त शक्तिशाली हथियार हमारे हाथ में है।इसके द्वारा ऐसे असामाजिक तत्वों का जमकर विरोध करो।
(5)अज्ञान समाज तथा व्यक्तियों को इनके झूट के बारे में सदोदित जागृत करो।
(6)आर्थिक दृष्टि से कनिष्ठ, मध्यम और उच्च समाज को हमेशा संपर्क करके इनको जागृत करो।और राष्ट्र के प्रति सचेत रहने को कहो।
जिनका नोटबंदी के बाद काला धन बरबाद हो गया है,आगे चलकर अगर संपत्ति का भी कानून बन जायेगा तो इन सभी की हालत बहुत ही दयनीय होनेवाली है।इसीलिए कुछ घटक बौखला गए है।
आगे चलकर कुछ राष्ट्र विघातक शक्तियों को "अंदर",जाने का भी डर सता रहा है।
सत्ता मिलना तो दूर...
इसिलए ऐसे व्यक्ति या संगठनों से हमेशा सावधान ही रहना होगा।
आजादी के बाद जिन्होंने सत्ता का दुरुपयोग करके "माया",जमा की और...
अब यही काली माया ,काली कमाई जाने का डर सता रहा है तो....?
आप ही सोचिए।
और हाँ,और एक बात फिल्म इंडस्ट्री के नकली चेहरों को पहचानकर उनसे भी बहिष्कार करों।उनकी फिल्में मत देखना।
अगर राष्ट्र निर्माण के कार्य में और अगली पिढी को सुख-शांती-समाधान-आनंद से-चैन से....जीना है...
हमारा भविष्य उज्ज्वल बनाना है तो...सत्य की रक्षा करो।
देश को विश्व पटल पर आगे ले जानेवाले और राष्ट्रीय उत्थान के लिए लड रहे,"उस सच्चे देशभक्त के साथ",...
संपुर्ण शक्ती के साथ खडे रहो।
सच्चे का बोलबाला और...?
झुटे का मुँह काला...
ऐसी स्थिति संपूर्ण देश में बनाकर....
"सबका साथ.. सबका विकास"...
का नारा बुलंद करो।
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--  विनोदकुमार महाजन।
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भाईयों, राष्ट्रविरोधी अराजक शक्तियों पर,असत्य फैलाने वाले मिडिया पर सभी एक होकर,
जमकर विरोध करो...प्रहार करो...।
विस्तार से...👆
लिंक ओपन करके लेख पढो।
--  विनोदकुमार महाजन।
[25/04, 10:26 PM] mahajanv326: साजिश।।।
साजिश।।।
साजिश।।।
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हिंदुओं को बदनाम करने की,हिंदुओं में फूट डालने की,हिंदु संतों को बदनाम करने की शायद साजिश चल रही है ऐसा ही लग रहा है।
कौन है साजिश करनेवाले पर्दों के पिछे के सुत्रधार???
देखो...
रोंहिंग्या का समर्थन और कश्मीरी पंडितों का विरोध...
विषेशत: अनेक टिवी चैनलों पर ऐसा माहौल जानबूझकर खडा किया जा रहा है।
एक न्यूज देखो...
सलमान की सजा...उसका मिडिया द्वारा विष्लेषण... जैसे की कोई देवदूत अवतरित हुवा है...ऐसा विष्लेषण....।
और हिंदु संतों का विष्लेषण...???
जैसे की अती भयंकर हो रहा है...
कुछ मीडिया वाले, कुछ राजकीय विष्लेशक,कुछ व्यक्ति हरदिन हिंदु समाज में फूट डालने की कोशिश में लगे है।
इनपर अंकुश लगने के लिए इनपर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की और उन्हें तुरंत कानूनी सजा होने का प्रावधान की आज सख्त जरूरत है।
दुसरी दुखपूर्ण बात देखो...
भारत तेरे तुकडे होंगे के..
नारे लगाने वाले खुलेआम घुम रहे है।सभा,मिटिंग अटैंड कर रहे है।और मिडिया वाले भी इनके पिछे खडे हो रहे है।
और...कुछ निरपराध लोग विनावजह जेलों में सड रहे है।
ऐसा विरोधाभास क्यों और कितने दिनों तक चलेगा?हम कितने दिनों तक चलने देंगे?
राष्ट्रद्रोही शक्तीयोंपर,पाकिस्तान प्रेमी नमकहरामों पर-गद्दारों पर,देश में अराजक फैलाने वालोंपर कौन,कैसे और कब अंकुश रखेगा?
कौन समस्त भारतीयों को ऐसे निच,नमकहरामी,अराजकता वादियों के चंगुल से छुटकारा देगा???
हमारा ही नमक खाकर हमसे गद्दारी करनेवाले हरामखोर,नमकहरामों पर, राष्ट्रद्रोहियों पर कौन अंकुश लगायेगा???
न्याय चाहिए न्याय।तुरंत।
कब मिलेगा???
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--  विनोदकुमार महाजन,पत्रकार।
[26/04, 9:19 AM] mahajanv326: लडते रहेंगे या...???
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इतिहास साक्ष है,हम आपस में जब जब लडते रहे,तब भयंकर अनर्थ ही हुवा है।
आजतक हमने बहुत कुछ खोया है।
जाती-पाती का झगड़ा, सत्ता-संपत्ति का झगड़ा, निजी स्वार्थ, अती अहंकार, लालच ऐसे अनेक कारणों से सदियों से हम लडते आये है।झगडते आये है।
और ठीक आज कि तरह षड्यंत्रकारीयों ने इसका अचूक फायदा उठाकर हमें नेस्तनाबूद करने की साजिशें रची है।
भाईयों, लडते रहेंगे-बँटते रहेंगे तो निश्चित रुप से कटते ही रहेंगे।
जैसे की पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भी अनेक प्रदेश ऐसी गलत निती से ही हमने गंवाएं है।
फिर भी हम सावधान नही हो सके।
आज भी कश्मीर में,केरला में,पश्चिम बंगाल में और ऐसे अनेक प्रदेशों में हम कट रहे है-पिछे हट रहे है।
क्या वजह है?
सत्य के प्रति, धर्म के प्रति अज्ञान या उदासीनता?अति उदासीनता?
आत्मा-परमात्मा की खोज करनेवाले, अंतिम सत्य क्या है यह सच्चाई बताने वाले, हमारे ही धर्म के बारे में इतना अज्ञान क्यों?
धर्म जागृति के लिए अब हम सबको मतभेद भूलकर एक होना होगा।भगवान के भगवे के निचे आना होगा।
सबको जगाना होगा।उदासीनता को दूर भगाना होगा।
कानून के ही दायरें में रहकर,"शांती से क्रांति",के मार्ग से मार्गक्रमण करना होगा।
सोचो...पाकिस्तान में,बांग्लादेश में आज भी हिंदुओं पर अत्याचार होते है।
इतना ही नही,हमारे ही देश में अनेक जगहों पर हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे है।
संपूर्ण विश्व में फैले हुए सत्य वादी, शक्तीशाली हिंदु मौन-स्तब्ध और शांत क्यों है?
विश्व के कौनसे भी कोने पर हिंदुओं पर अगर थोडासा भी अन्याय-अत्याचार हुवा तो शिघ्र अति शिघ्र उस हिंदु तक पहुंचने में और उसकी सहायता करने में हम असफल क्यों हो रहे है?
संपुर्ण विश्व के हिंदुओं की आवाज अब एक करनी होगी,बुलंद करनी होगी।
अब हमें सत्य की,सत्य सनातन की रक्षा करनी ही होगी।जी हाँ-करनी ही होगी।
सत्य वादियों को,सनातन प्रेमियों को हमारा ईश्वरी तेज जगाना ही होगा।
देश और विदेश के सभी हिंदुओं को तुरंत सहायता करने के लिए,
शक्तीशाली...
"क्विक एक्शन फोर्स",
बनाकर एक रणनीति द्वारा सत्य की रक्षा करनी ही होगी।
हैवानियत कि हार और ईश्वरी सिध्दांतो की जीत के लिए अब हमें...
"वचनबद्ध, कटिबद्ध",होना ही होगा।
अब आपस में...
लडाई झगडा नही...
बँटना कटना नही...
सत्ता-संपत्ति-स्वार्थ के लिए भी...झगडना नही।
जातिवाद के नाम पर भी...झगडना नही।
इतना ही नही संपूर्ण विश्व में फैले हुए मानवता के पुजारियों को भी...ईश्वरी कानून के रखवालों को भी...
इसमें शामिल करना होगा।
जात-पंथ-पथ-धर्म का झगड़ा समाप्त करके...
मानवतावादी हिंदुत्व का स्वीकार करना ही होगा।समय कि यही पुकार है।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।
[26/04, 9:23 AM] mahajanv326: लडते रहेंगे या...???

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इतिहास साक्ष है,हम आपस में जब जब लडते रहे,तब भयंकर अनर्थ ही हुवा है।

आजतक हमने बहुत कुछ खोया है।

जाती-पाती का झगड़ा, सत्ता-संपत्ति का झगड़ा, निजी स्वार्थ, अती अहंकार, लालच ऐसे अनेक कारणों से सदियों से हम लडते आये है।झगडते आये है।

और ठीक आज कि तरह षड्यंत्रकारीयों ने इसका अचूक फायदा उठाकर हमें नेस्तनाबूद करने की साजिशें रची है।

भाईयों, लडते रहेंगे-बँटते रहेंगे तो निश्चित रुप से कटते ही रहेंगे।

जैसे की पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भी अनेक प्रदेश ऐसी गलत निती से ही हमने गंवाएं है।

फिर भी हम सावधान नही हो सके।

आज भी कश्मीर में,केरला में,पश्चिम बंगाल में और ऐसे अनेक प्रदेशों में हम कट रहे है-पिछे हट रहे है।

क्या वजह है?

सत्य के प्रति, धर्म के प्रति अज्ञान या उदासीनता?अति उदासीनता?

आत्मा-परमात्मा की खोज करनेवाले, अंतिम सत्य क्या है यह सच्चाई बताने वाले, हमारे ही धर्म के बारे में इतना अज्ञान क्यों?

धर्म जागृति के लिए अब हम सबको मतभेद भूलकर एक होना होगा।भगवान के भगवे के निचे आना होगा।

सबको जगाना होगा।उदासीनता को दूर भगाना होगा।

कानून के ही दायरें में रहकर,"शांती से क्रांति",के मार्ग से मार्गक्रमण करना होगा।

सोचो...पाकिस्तान में,बांग्लादेश में आज भी हिंदुओं पर अत्याचार होते है।

इतना ही नही,हमारे ही देश में अनेक जगहों पर हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे है।

संपूर्ण विश्व में फैले हुए सत्य वादी, शक्तीशाली हिंदु मौन-स्तब्ध और शांत क्यों है?

विश्व के कौनसे भी कोने पर हिंदुओं पर अगर थोडासा भी अन्याय-अत्याचार हुवा तो शिघ्र अति शिघ्र उस हिंदु तक पहुंचने में और उसकी सहायता करने में हम असफल क्यों हो रहे है?

संपुर्ण विश्व के हिंदुओं की आवाज अब एक करनी होगी,बुलंद करनी होगी।

अब हमें सत्य की,सत्य सनातन की रक्षा करनी ही होगी।जी हाँ-करनी ही होगी।

सत्य वादियों को,सनातन प्रेमियों को हमारा ईश्वरी तेज जगाना ही होगा।

देश और विदेश के सभी हिंदुओं को तुरंत सहायता करने के लिए,

शक्तीशाली...

"क्विक एक्शन फोर्स",

बनाकर एक रणनीति द्वारा सत्य की रक्षा करनी ही होगी।

हैवानियत कि हार और ईश्वरी सिध्दांतो की जीत के लिए अब हमें...

"वचनबद्ध, कटिबद्ध",होना ही होगा।

अब आपस में...

लडाई झगडा नही...

बँटना कटना नही...

सत्ता-संपत्ति-स्वार्थ के लिए भी...झगडना नही।

जातिवाद के नाम पर भी...झगडना नही।

इतना ही नही संपूर्ण विश्व में फैले हुए मानवता के पुजारियों को भी...ईश्वरी कानून के रखवालों को भी...

इसमें शामिल करना होगा।

जात-पंथ-पथ-धर्म का झगड़ा समाप्त करके...

मानवतावादी हिंदुत्व का स्वीकार करना ही होगा।समय कि यही पुकार है।

हरी ओम।

-------------------------------

--  विनोदकुमार महाजन।
[18/05, 9:38 PM] mahajanv326: मैं ऐसा क्यों हुं ???
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( इस व्यंग का किसी से कोई संबंध नहीं है।अगर है तो यह एक केवल योगायोग ही समझना)
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ओ मेरी माँ,प्यारी प्यारी मेरी माँ...
मैं ऐसा क्यों हुं,मैं ऐसा क्यों हुं....???
लोग मुझे बार बार..
मंदबुद्धी कहकर 
चिढाते है..बुलाते है।
कभी कोई मुझे...
पप्पू भी कहता है।
ओ मेरी माँ....
कोशिश करनेवालों की
हार नही होती...
ऐसा कहते है...मगर..थ.
फिर भी...बार बार
कोशिश करनेपर भी..
लगातार हारता  ही 
क्यों हुं..ओ मेरी माँ।
मैं ऐसा क्यों हुं....???
बार बार बडा सपना...
देखकर भी मैं...
हारता ही क्यों हुं..?
ओ मेरी प्यारी माँ...।
---------------------------
--  विनोदकुमार महाजन।
[30/05, 3:43 PM] mahajanv326: थोडा सोचते है...🤔
-------------------------------
क्या दुसरों को भगाकर
उसकी जमीन,मंदिर
या प्रार्थना स्थल हडपना....
धर्म है...???
सभी का धन हडपना
क्या कोई धर्म है...???
और उपर से मस्त..
रहना...मस्त जीना..
और दुसरों को ही
तत्वज्ञान सिखाना...
क्या कोई धर्म है...??
इंन्सानियत का गला रेतना...
उपर से खुद को..
"देवदुत"बताना..
क्या कोई धर्म है...???
क्या दुसरों की औरतों को भगाकर गुलाम,
दासी बनाना...
उसके साथ जबरदस्ती
करना...बलात्कार करना...
क्या धर्म है....???
और अगर है तो--???
ये कैसा धर्म...
कौनसा धर्म...???
बताओ..बताओ...
भाईयों...
सोच समझकर बताओ...
प्राणीयों में भी भगवान
देखकर उसकी पूजा 
करने के बतौर...
उसको ही काटकर खाना...
उपर से हिंसा का भी..
समर्थन करना...
खुद के झुट के लिए
दंगा फसाद करते रहना
भी कोई धर्म है...???
बताओ...बताओ...
मेरे सभी प्यारे मित्रों
सभी पथ-पंथ-जाती
के मित्रों....
क्या यह सचमुच में
धर्म है...???
या ईश्वरी सिध्दांतों के
खिलाफ चलने वाली..
या फिर गुनहगारों की
टोली है...???
पुराण काल में असुर
इंन्सानों का माँस
आनंद से खाते थे...
अब भी " कुछ"हैवान..
इंन्सानों को ही काटकर
खा रहे है...
तो क्या यह धर्म है...????
बस्स...युं ही मन में
प्रश्न आया और
आपको पुंछ लिया...
उत्तर तो देना पडेगा साथियों....
क्या सचमुच में यह
धर्म ही है....???
या हैवानियत का...
राक्षसों का ....
अधर्म है....???
और धर्म के नाम पर
अधर्म फैलाकर..
इंन्सानियत को मारना
ईश्वरी कानून का भी..
विरोध करना...
क्या सचमुच में धर्म ही है....????
बात तो कडवी है...
मगर सच्ची भी है...
इसिलिए विश्व के सभी
ईश्वर प्रेमियों को...
इंन्सानियत के 
रखवालों को इसपर...
विचार करके...
सही क्या गलत क्या..
इसपर रास्ता निकालना
ही होगा....
क्या सचमुच में इसका 
हल ढुंढने के लिए...
"कल्की"को आना होगा...???
और पृथ्वी पर लगे...
"पाप के कलंक को..."
अब धोना होगा...???
भविष्य इसका इंतजार..कर रहा है...
आओ सब मिलकर
इसपर "वैश्विक मंथन",
करके हल निकाले...।
हरी ओम...
हरी हरी:ओम...।
🙏🕉
-------------------------------
--  विनोदकुमार महाजन।
[30/05, 11:01 PM] mahajanv326: सभी मान्यवरों की अनुमति मिलेगी मेरे पोष्ट पर ऐसा सोचकर एक मनोगत व्यक्त कर रहा हुं।
ओल मिडिया प्रेस के सभी राष्ट्रीय तथा राज्य के पदाधिकारी तथा सदस्यों का सभी को परिचय हो इसिलए एक परिचय पत्रिका निकाली जायेगी तो सभी का परिचय बढेगा।
इसमें हमारे संगठन के कार्यों का भी विस्तार से परिचय दिया जायेगा तो इसके द्वारा समाज के अनेक घटकों को अपने संगठन कि जानकारी होगी और कार्य विस्तार के लिए गती मिलेगी।
इस पुस्तिका का खर्चे का कुछ अंश मैं खुद उठाने को तैयार हुं।
🙏
--  विनोदकुमार महाजन।
[31/05, 11:59 PM] mahajanv326: मेरे हिंदु भाईयों,
-- तुम्हें क्या चाहिए..??
-------------------------------
मेरे हिंदु भाईयों, और हिंदुधर्म प्रेमी सभी भाईयों, सोचो-जागो।
तुम्हें क्या चाहिए??आबादी या बरबादी???
मेरे सभी हिंदु भाईयों, मैं आज तुम्हारी आत्मा को पुकार रहा हुं।
क्या मेरा यह मनोगत पुरा पढोगे?
विषय है हम सभी हिंदुओं के आत्मसम्मान की।
गौर से सोचो...
इस देश में हम बहुसंख्यक होकर भी आत्मसम्मान से जीने की बजाय अपमानित होकर क्यों जी रहे है?
कहाँ है हमारा तेज,कहाँ है हमारा आत्मसम्मान?
हम सभी तेजस्वी ईश्वर पुत्र होकर भी,मजबूर, हताश,निराश, उदास क्यों है?
संताप आता है मुझे..क्योंकि हम बहुसंख्यक होकर भी हमारे सम्मान का एक राममंदिर नही बाँध सकते है।
कितने दिनों तक हम हमारे ही देश में लाचार, हिन,दिन,स्वाभिमान शुन्य जीवन जीयेंगे?
हमारे ही कुछ गद्दार जयचंद, पाकिस्तान प्रेमी नमकहरामों का हम क्यों साथ दे रहे है?कितने दिनों तक ऐसे गद्दारों का हम साथ देंगे?
आजादी के बाद जिन्होंने हमें धोके में रखकर हमारी संस्कृति तबाह करने की अनेक कुटिल योजनाएं बनाई, उनका साथ हम कितने दिनों तक देंगे?
आत्मा, मन,बुध्दि को प्रश्न पुछो.।
हमारे ही कुछ नमकहराम जयचंद रोहिंग्या के प्रती प्रेम जताते है,और हमारे ही विस्थापित कश्मीर पंडितों का नफरत करते है।कश्मीरी पंडित दर दर कि ठोकरे खा रहे है,दर दर,मारे मारे भटक रहे है।उन सभी का पुनर्वसन कश्मीर में करने की हमारी जिम्मेदारी नही है क्या?
हमारे ही कुछ गद्दार राम मंदिर निर्माण का विरोध करते है,और पाकिस्तान के प्रति प्रेम दिखाते है।
ऐसे निच नमकहरामों को आप सभी,मेरे प्यारे हिंदु भाई एक होकर,सबक क्यों नही सिखाते है?कहाँ गया तुम्हारा तेज,चैतन्य, आग?
पुछो आत्मा को हमारे।हम किस दिन का इंतजार कर रहे है?यहाँ पर फिर से पाकिस्तान बनाने का?हमारी संस्कृति ,मंदीर ,भव्यत्व,दिव्यत्व पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे जमीन में दफनाने का हम इंतजार कर रहे है क्या?
अनेक गद्दार, देशद्रोही हमारे देवी देवताओं को,राम-कृष्ण को बदनाम करते है,गाली देते है।कितने दिनों तक हम मुक बनकर तमाशा देखते रहेंगे?अन्याय-अत्याचार सहते रहेंगे?
जातीवाद-मतभेद भुलकर हमें अब एक होना ही होगा।यह हमारे अस्तित्व की लडाई है।निंद से जागो।गहराई से सोचो।कार्यरत हो जावो।आज भी उज्वल भविष्य के लिए,समय हमारे हाथ में है।आज नही जागेंगे तो अनर्थ अटल है।पाकिस्तान जैसी स्थिति होने से पहले जागो।
सोचो सुभाषचंद्र बोसजी के बारें में,वल्लभ भाई के बारे में,सावरकरजी,आचार्य कृपलानी, करपात्रीजी जैसे अनेक प्रखर देशप्रेमिओं के बारे में? क्या हुआ उनके साथ?क्यों और किसने किया?
और इतना होने के बावजूद भी,हमारा अस्तित्व ही खतरे में आ रहा है,तब भी हम क्यों और कैसे सोते रहेंगे?
याद रखना, पाकिस्तान जैसे अनेक देशों में हरदिन सुबह को मंदिरों में घंटी बजती थी,मंगल आरती होती थी।आज वहाँ से सब गायब है।
क्या हमारे देश में भी फिर से ऐसी स्थिति बनने का हम इंतजार कर रहे है?
नही,हरगिज नही।ऐसा कभी भी नही होगा।हम होने नही देंगे।
आजादी के बाद हमारे साथ इतना भयंकर षड्यंत्र किया गया है की,उस षडयन्त्र को,उस चक्रव्यूह को हम आज भी नही तोड़ रहे है।
निती ही ऐसी बनाई है की,हम आपस में लडते लडते समाप्त हो जाए,और पाकिस्तान प्रेमी अंदर-बाहर का शत्रु धिरे धिरे अपनी शक्तीयाँ बढाये।ठीक ऐसा ही हो रहा है ना?
हमें आपस में कुटनीति से लडते झगडते रखकर, कुछ असुरी तत्व अपनी शक्ति गुप्त रुप से,भयंकर विचित्र तरिके से बढा रहे है।
और हम....???
दुर्दैववश ऐसे गद्दारों का,राष्ट्रद्रोहियों का,गद्दार जयचंदो का साथ दे रहे है-और...
हमारा ही नाश कर रहे है।
जब जब हम बँटे है,तब तब हम कटे है।वहाँ पर हमारी संस्कृति जमीन के निचे,क्रुरतासे दबाई गई है।
अब ऐसा नही होना चाहिए।अब हमें एक होना है।
सत्य के लिए, ईश्वर के लिए, ईश्वरी सिध्दांतों के लिए।हमारे अस्तित्व के लिए, हमारी आदर्श संस्कृति फिर से खडी करने के लिए।
जहाँ जहाँ पर सत्य जमीन के निचे गाड दिया है,उस सत्य कि जीत हमें फिर से करनी है।संपूर्ण विश्व में।
हम तेजस्वी है,ओजस्वी है,त्यागी है,संयमी है,विचारी है,विवेकी है।विवेक का आनंद हमारे अंदर सदैव जागृत है।
फिर भी हम निद्रिस्त क्यों,असाहय क्यों,मजबूर क्यों,हताश-उदास,तेजशून्य क्यों?
हम तो तेजस्वी है।और फिर से हमें हमारा तेजस्वी समाज जागृत करना है।और...
संपुर्ण विश्व पर...
भगवान का भगवा...
लहराना है।
इसिलए उन्नीस के चुनाव में हमें हमारी संस्कृति कि रक्षा करनेवाली सरकार चुननी है।प्रखर राष्ट्रवादी, राष्ट्रप्रेमी।
कर्नाटक हमारे गलत विचार धारा कि वजह से हाथ आते आते चला गया।
अब उन्नीस में हमें हमारी अस्मिता, सत्य कि रक्षा करनेवाली, विकास करनेवाली पार्टी को ही केवल चुनना है।
चारसौ के पार हमें जाना है,पहुंचना है।
समझे या ना समझे???
गद्दार, नमकहराम,जयचंदो को,पाकिस्तान प्रेमियों को हमें सबक सिखानी है।
क्या यह मुमकिन नही है?
हम सभी एक हो जायेंगे, आपस में बैर,लडाई, झगडा छोड देंगे तो सब मुमकिन है।
"वह अकेला ईश्वर पुत्र",हमारे लिए दिन रात एक कर रहा है,हमारे अस्तित्व के लिए लडाई लड रहा है।विश्व के कोने कोने में घुमकर हमारी संस्कृति, अस्मिता बढा रहा है।
जानो,जागो,मेरा कहना मानो-खुद को पहचानो।
ईश्वर के लिए एक हो जाओ।
हरी ओम।
( लेख बहुत लंबा हो गया।क्षमस्व।आप सभी ने पुरा लेख पढा।आभार।)
हरी ओम।
-------------------------------
--  विनोदकुमार महाजन।
[01/06, 12:50 AM] mahajanv326: प्रभुजी, यह मेरा लेख मोदीजी तक पहुंचाओ।
उन्नीस के चुनाव में मैं मेरे ओजस्वी, तेजस्वी भाषणों द्वारा संपुर्ण देश में क्रांति कि लहर पैदा करना चाहता हुं।और मोदीजी की शक्ती बढाना चाहता हुं।
मुझे विश्वास है-
400 पार करने की मैं क्षमता रखता हुं।
🙏🕉
[01/06, 1:35 PM] mahajanv326: हिंदुओं मेरे प्रश्न का..उत्तर चाहिए...
देंगे उत्तर...???
------------------------------
तुम्हे हिंदु राष्ट्र.....
चाहिए या नही ?
तुम्हें राम मंदिर.....
चाहिए या नही ?
तुम्हे स्वाभिमान.....
चाहिए या नही ?
तुम्हे विकास.....
चाहिए या नही ?
तुम्हें उज्ज्वल भविष्य..
चाहिए या नही ?
तुम्हें संस्कृति कि रक्षा..
चाहिए या नही ?
तुम्हें सत्य कि जीत....
चाहिए या नही ?
तुम्हारी अगली पिढी,
सुख चैन से जीना...
चाहिए या नही ?
तुम्हे खुद कि चिंता...
है या नही ?
अगर नही तो....?
विषय समाप्त....।
अगर हाँ तो...
जागो,उठो,संगठित बनो,एक हो जावो।
भविष्य में मँडरा रहे,
अती भयंकर अस्मानी,
सुलतानी संकटों का..
एक संगठित शक्ती से
विरोध करो।
इसके लिए सुशासन चुनो.....
गद्दारों का,जयचंदो का
साथ छोडो।
जागेंगे तो बचेंगे...
नही तो.....?
भविष्य अंधकार मय 
ही नही तो...
भयंकर अती भयंकर है।
अध्यात्म बचाने के लिए
संस्कृति, मंदिरों को बचवो।
जींदा लाश ना बनो...
अंदर का अग्नीतेज,
ईश्वरी तेज जगावो।
इंन्सानियत बचावो,
सत्य बचावो,
सत्य धर्म बचावो।
वचनबद्ध बनो,कटिबद्ध बनो....
यही समय कि पुकार है।
यही माँ भारती कि पुकार है।
यही माँ धरती कि पुकार है।
क्या सोच रहे हो...?
हाँ या ना....?
फैसला आपके हाथ में है।
भविष्य भी आपके ही हाथ में है।
बरबादी चाहिए या फिर.. आबादी चाहिए।
सोचो......
गलती कि तो तुम्हें
भगवान भी नही बचायेगा।
सही फैसला लिया तो..
अगली पिढी सुसंस्कारित होकर
आराम से,आनंद से 
जियेगी भी और...
तुम्हारा आभार भी प्रकट करेगी।
हरी ओम।
-------------------------------
--  विनोदकुमार महाजन।
[02/06, 12:44 AM] mahajanv326: आखिर क्या चाहिए ?
-------------------------------
मेरे प्यारे सभी भाईयों,
सचमुच में तुम्हे क्या चाहिए....?
देश का विकास चाहिए
या देश को भकास बनाने वाले
जयचंद चाहिए ?
सबका साथ सबका विकास चाहिए या फिर
सिर्फ गरीबी हटाव के
झुटे नारे देकर
तुम्हे फँसाने वाले
नौटंकी बाज और
लुटेरे चाहिए।
देश में तुम्हे शांती चाहिए या फिर
सदा के लिए अराजक
अशांती चाहिए ?
तुम्हे आबादी चाहिए 
या बरबादी चाहिए ?
तुम्हे आखिर क्या चाहिए ?
मोदीजी जैसा जबरदस्त
शक्तीशाली नेता
हमारे भाग्य से मिला है।
हमारे भाग्य,देश के भी
भाग्य मोदीजी बदल देंगे।
मोदीजी के कार्य का
आईना हमारे सामने
साफ है।
एक संन्यस्त व्यक्ती
हमारे भविष्य के लिए
हमारे उज्ज्वल जीवनशैली के लिए
दिनरात एक कर रहा है।
और हम दुर्भागी उस
महात्मा को,उस पुण्यात्मा को ही
कोस रहे है।
और हमारा खून चुँसनेवालें भेडियों को
बडा कर रहे है।
आखिर क्यों और कबतक चलेगा
हमारे ही बर्बादी का
यह अती भयंकर सिलसिला?
हम कब जागेंगे ?
असलियत के बारे में
कब सोचेंगे ?
एक जागतिक दर्जे का
युगपुरुष समान नेता
हमें मिला है।
फिर भी हम जयचंदो के पिछे क्यों जा रहे है।
हमें ही लुटनेवाले
बेईमान, नमकहराम,गद्दारों को
हम बडा क्यों कर रहे है ?
उनके ही झोली में
मतों का दान क्यों
कर रहे है ?
हमारी बरबादी करनेवालों के पिछे
हम क्यों दौड रहे है ?
क्या सचमुच में हम
अंधे है ?
या फिर मुरख भी है ?
क्या हमारी लायकी
अंग्रेज तथा मुगलों की
गुलामी करने की ही है ?
क्या सचमुच में हमें
आबादी की बजाए
दारिद्र्य तथा नारकिय 
जीवन ही मंजूर है ?
बरबादी ही मंजूर है ?
क्या हमें गुलाम बनानेवाले ही चाहिए ?
हमें,हमारे राष्ट्र को
संपन्न,शक

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