पत्रकारों को आत्मरक्षा के लिए शस्त्र परवाना चाहिए

 पत्रकारों को आत्मरक्षा के लिए शस्त्र परवाना की जरूरत है।

-------------------------------

वास्तव में सत्य के रास्तों पर चलना ही अती कठिन है।क्योंकि जो सत्य के रास्ते से चल रहा है उसको अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पडता है।तलवार की धार पर चलने जैसा यह कार्य होता है।इसिलए अनेक सत्य वादियों को हमेशा अनेक प्रकार के संकटो का सामना करना पडता है।स्वकीय, समाज,आप्त ईष्ट भी हमेशा ऐसे सत्य वादियों के विरुद्ध होते है तथा सत्य वादियों को बदनाम करने का मौका ढुंडते रहते है।

और पत्रकार हमेशा सत्य के रास्ते पर चलने वाले ही होते है।और इसिलए पत्रकारों को हमेशा अनेक संकटों का सामना भी करना पडता है।

दुष्टों से बचने के लिए तथा आत्मरक्षा के लिए देवी देवताओं को भी सदैव शस्त्रसंपन्न ही रहना पडा है।

इसीलिए श्रीकृष्ण के हाथ में सुदर्शन चक्र है,रामजी के हाथ में धनुष है,महादेव के हाथ में त्रिशूल है,हनुमानजी के हाथ में गदा है,माताजी के हाथ में तलवार है।

अगर देवीदेवता भी शक्तीसंपन्न और शस्त्रसंपन्न रहते है तो हर सत्य वादियों को और विशेषत:हर पत्रकारों को हमेशा शस्त्रसंपन्न ही रहना चाहिए।दुष्ट दुर्जनों का क्या भरौसा ?भगवान भी दुष्टों पर विश्वास नही करते।तो हम क्यों और कैसे भरौसा करें दुष्टों पर ?

इसीलिए हर पत्रकारों को केंद्र सरकार द्वारा तुरंत शस्त्रपरवाना भी मिलना चाहिए।और शासनद्वारा ही योग्य शस्त्र भी मिलना चाहिए।

सत्य-असत्य का,सज्जन-दुर्जन का का यह भयंकर विपरीत खेल सृष्टि के आरंभ से ही शुरु है,और सृष्टि के अंत तक शुरू ही रहेगा।

ईश्वर की अगाध लिला।दो विरूद्ध शक्तीयों का कभी भी न समाप्त होनेवाला संघर्ष।


हरी ओम।

------------------------------

विनोदकुमार महाजन।

Comments

Popular posts from this blog

ऊँ कालभैरवाय नम :

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र