बीजमंत्र

 POWER OF MEDITATION 

(Power of Beej Mantra) 


इन मंत्रों से रातों रात होता है चमत्कार


>बीज मंत्र पूरे मंत्र का एक छोटा रूप होता है जैसे की एक बीज बोने से पेड़ निकलता है उसी प्रकार बीज मंत्र का जाप करने से हर प्रकार की समस्या का समाधान हो जाता हैं. अलग- अलग भगवान का बीज मंत्र जपने से इंसान में ऊर्जा का प्रवाह होता हैं और आप भगवान की छत्र-छाया में रहते हैं.


बीज मंत्र के लाभ

>अपनी समस्याओं के निवारण हेतु बीज मंत्रों का जप करना चाहिए। इसका चमत्कारी प्रभाव होता है और तुरंत लाभ मिलता है।


>बीज मंत्र हमें हर प्रकार की बीमारी, किसी भी प्रकार के भय, किसी भी प्रकार की चिंता और हर तरह की मोह-माया से मुक्त करता हैं. अगर हम किसी प्रकार की बाधा हेतु, बाधा शांति हेतु, विपत्ति विनाश हेतु, भय या पाप से मुक्त होना चाहते है तो बीज मंत्र का जाप करना चाहिए.


1. दीर्घायु : व्यक्ति को लम्बी आयु की प्राप्ति होती हैं. 

2. धन : व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है.

3. परिवार का सुख : व्यक्ति पारिवारिक सुखों से तृप्त होता है.

4. शत्रु का नाश : व्यक्ति की शत्रु पर जीत होती है.

5. जीवन शांति : व्यक्ति जीवन में शांति का अनुभव करता हैं.


>जो लोग किसी कारणवश मंत्रों का जप नहीं कर सकते हैं या अन्य कोई भी उपाय करने में असमर्थ हैं उन्हें अपनी समस्याओं के निवारण हेतु बीज मंत्रों का जप करना चाहिए। इसका चमत्कारी प्रभाव होता है और तुरंत लाभ मिलता है। बीज मंत्रों के जप के लिए कोई विशेष विधि-विधान की पालना करनी आवश्यक नहीं है, केवल मात्र सच्चे मन और श्रद्धा से भगवान पर विश्वास रखते हुए जप करें। कुछ ही दिनों में आपको प्रत्यक्ष चमत्कार दिखाई देगा। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ आवश्यक बीज मंत्रों के बारे में


>सभी बीज मंत्रों के अक्षर गूढ़ संकेतों से परिपूर्ण होते हैं जिनका अर्थ मंत्रशास्त्र से जाना जा सकता है जैसे भगवान गणेश का बीजमंत्र


> बीज इस प्रकार जापे जाते हैं- ॐ, क्रीं, श्रीं, ह्रौं, ह्रीं, ऐं, गं, फ्रौं, दं, भ्रं, धूं,हलीं, त्रीं,क्ष्रौं, धं,हं,रां, यं, क्षं, तं.


>मूल बीज मंत्र

मूल बीज मंत्र "ॐ" होता है जिसे आगे कई अलग बीज में बांटा जाता है- योग बीज, तेजो बीज, शांति बीज, रक्षा बीज l


> दूं  (दुर्गा बीज मंत्र )

जिसका अर्थ है : हे माँ, मेरे सभी दुखों को दूर कर मेरी रक्षा करो. दुर्गा बीज मंत्र का उच्चारण करने से दुर्गा माँ ज़िदगी में आई हर रुकावट पर विजय हासिल करने में मदद करती हैं.


> क्रीं (काली बीज)

क्रीं, मंत्र शक्ति या काली माता का रूप होता हैं. सभी प्रमुख तत्वों जैसे आग, जल, धरती, वायु और आकाश पर विजय पाने के काली माता बीज मंत्र सबसे ज्यादा प्रभावशाली होता हैं. सभी शत्रुओं का नाश करने में भी ये मंत्र सफल होता हैं.


>गं (गणपति बीज)

इसमें ग्- गणेश, अ- विघ्ननाशक एवं बिंदु- दुखहरण हैं। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है- विघ्ननाशक श्री गणेश मेरे दुख दूर करें। इस मंत्र के जप से दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है और पैसा आने लगता है।


>श्रीं (लक्ष्मी बीज)

इसमें श्- महालक्ष्मी, र्- धन संपत्ति, ई- महामाया, नाद- विश्वमाता तथा बिंदू- दुखहरण हैं। इसका अर्थ है- धन संपत्ति की अधिष्ठात्री माता लक्ष्मी मेरे दुख दूर करें। इस मंत्र के प्रयोग से सभी प्रकार के आर्थिक संकट दूर होते हैं, कर्ज से मुक्ति मिलती है और शीघ्र ही धनवान व पुत्रवान बनते हैं।


>क्लीं (कृष्ण बीज)

इसमें क- श्रीकृष्ण, ल- दिव्यतेज, ई- योगेश्वर एवं बिंदु- दुखहरण है। इस बीज का अर्थ है- योगेश्वर श्रीकृष्ण मेरे दुख दूर करें। यह मंत्र साक्षात भगवान वासुदेव को प्रसन्न करने के लिए है। इससे व्यक्ति को अखंड सौभाग्य मिलता है और मृत्यु के उपरांत वह बैकुंठ में जाता है।


>हं (हनुमद् बीज)

इसमें ह्- हनुमान, अ- संकटमोचन एवं बिंदु- दुखहरण है। इसका अर्थ है- संकटमोचन हनुमान मेरे दुख दूर करें। बजरंग बली की आराधना के लिए इससे बेहतर मंत्र नहीं है।


>” ह्रौं ” (शिव बीज)

 इस बीज का अर्थ है- भगवान शिव मेरे दुख दूर करें। इस बीज मंत्र से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इससे व्यक्ति पर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं और रोग, शोक, कष्ट, निर्धनता आदि से मुक्ति मिलती है।


>ऐं (सरस्वती बीज)

ऐ- सरस्वती, नाद- जगन्माता और बिंदु- दुखहरण है। इसका अर्थ है- जगन्माता सरस्वती मेरे दुख दूर करें। इस बीज मंत्र के जप से मां सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है और विद्या, कला के क्षेत्र में व्यक्ति दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता चला जाता है।


> दं (विष्णु बीज)

जीवन में हर प्रकार के सुख और एश्वर्य की प्राप्ति हेतु इस बीज मंत्र द्वारा भगवान श्री विष्णु की आराधना करनी चाहिए |ल

Comments

Popular posts from this blog

ऊँ कालभैरवाय नम :

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र