विदेशी
विश्व के मेरे सभी भाईयों,सभी सनातनी भाईयों, सभी हिंदु भाईयों,
देखो यह एक विदेशी होकर भी हमारी संस्कृती पर कितना सच्चा प्रेम करता है।
और हम...?
हमारी संस्कृती, हमारी सभ्यता, हमारी विरासत को ही भूलते जा रहे है।
भाईयों,
सचमुच में अगर विश्व का उध्दार चाहते हो तो हमारे सिध्दांतों पर चलना होगा,हमारी संस्कृती का महत्त्व विश्व के कोने कोने में पहुंचाना होगा।
हमारे ही देश में,हमारे ही लोगों में हमारे ही धर्म के प्रती उदासीनता देखकर मुझे भयंकर दुख होता है और आत्मा तडप उठती है।
हम हमसे ही दूर क्यों भाग रहे है...मतलब हम ईश्वरी सिध्दांतों से क्यों दूर होते जा रहे है...?
एक विदेशी हमारी महती समझ सकता है...
तो मेरे प्यारे भाईयों, हम क्यों नही समझ सकते...?
वह भी हम सभी तेजस्वी ईश्वर पुत्र होकर भी...???
उठो भाईयों उठो,नवराष्ट्र तथा नवयुग निर्माण का संकल्प लेकर आगे बढते है।और हमारी महान ईश्वरी संस्कृती को दुनिया के कोने कोने में पहुंचाने का अभियान आरंभ करते है।
साथी हाथ मिलाना साथी रे...
एक अकेला थक जायेगा, मिलकर बोझ उठाना
साथी हाथ बढाना
साथी हाथ बढाना
हरी ओम्
विनोदकुमार महाजन
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