संतापजनक
भयंकर संतापजनक।
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फिल्मों में नाचने वाले ,हिरण के हत्या करने वाले को,कुछ लोग और टिवी वाले देवदूत समझकर नाच रहे है।आनंदोत्सव मना रहे है।पटाखे फोड रहे है।
और....
एक तपस्वी, वयोवृध्द, समाजहितकारी महान संत उन्हे जमानत न देकर जेल में सडाया जा रहा है।
धिक्कार।धिक्कार।धिक्कार।
अती अत्याचार का भयंकर विकट नाच।
जागो।जागो।जागो।
ऐसे भयानक, भयंकर अत्याचार में क्रांति तो होगी ही होगी।
शायद ईश्वर भी ऐसी घटनाओं से भयंकर क्रोधित होगा।
शायद धधगता अग्नीतेज लेकर,नारसिंव्हा बनकर पाप का कलंक मिटाने
वो आयेगा।
भयंकर, अति भयंकर।
अन्याय, अत्यार का आगडोंब।
भाईयों, और कितने दिनों तक सोते रहेंगे?
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-- विनोदकुमार महाजन।
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