भेडिये

 भेडिये।

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भेडिये, जी हाँ भाईयों भेडिये।ईंन्सानरूपी भयंकर क्रुर भेडिये।समाज में अशांती निर्माण करना,खून खराबा करना,खून बहाना,लूटपाट करना,रक्तपात करन,संयमी और शांतीपूर्ण समाज में विनावजह विद्रोही स्थिति पैदा करना,एकसंघ ,शांतिप्रिय, शिस्तप्रिय समाज में भय,चिंता, अस्थिरता निर्माण करना।ऐसा ही ऐसे भेडियों का मकसद होता है।

विकास कार्यों में विनावजह बाधाएँ उत्पन्न करके समाज का और खुद का भी घात करना,ऐसे दुष्ट प्रवृत्ती के दुष्टात्में इसमें सामील होते है और असुरी आनंद में रहते है।

ईश्वर का डर,कानून का डर,समाज का डर इन्हे नही रहता है।

ऐसे पापात्माएं सचमुच में पृथ्वी पर बोझ ही होते है।

हमेशा खून के प्यासे,ईंन्सानियत के दुष्मन इनका सभी समाज को संगठित होकर, शक्तिशाली होकर इन भेडियों के खिलाफ कानुनन कार्रवाई करनी ही चाहिए।नही तो ये भेडिये और खूंखार हो जाते है और इन्हे रक्त की लत लग जाती है।

इसिलए देश के और विदेश के सभी मानवतावादियों, समय से पहले जागरुक होकर,ऐसे उन्मत्त, उन्मादी, भयंकर पातकी भेडियों का बंदोबस्त सभी को करना ही होगा।

नही तो ये मानवता के दुष्मन संपूर्ण विश्व से ही मानवता का नाश कर देंगे।

अतएव सावधान।सावधान।

ऐसे भेडिए समाज में खूलेआम घुमते फिरते है।

जानो पहचानो।

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--  विनोदकुमार महाजन।

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