तुझे जितना है

 तुझे जितना ही है।

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तेरी चिंता मैं समझता हुं।हे सत्यवचनी, सत्यवादी इंन्सान।क्यों व्यर्थ की चिंता करता है?क्यों परेशान होता है?

कभी भी हताश-उदास मत होना।आने दो कितने भी तूफान।आने दे कितनी भी आँधियाँ।होने दो हैवानियत की कितनी भी गंदी हैवानियत।

हे सत्य के रास्ते पर चलने वाले पथीक।जीवन में तु कभी भी हार मत मानना।

मंजील की ओर चलता जा,बढता जा।

हे ईश्वरपुत्र,मैं हमेशा तेरे साथ हुं,ऐसा ईश्वर भी तुझे कहता है।सत्य की लडाई जितने के लिए पुकारता भी है।

हे,"सत्य-धर्म",वादी,

संकटों के,मुसिबतों के आने दो कितने भी पहाड।पार करने पडेंगे अनेक जहर के सागर,हजम करना पडेगी कितनी भी जहर की शिशियाँ,....

तो भी प्यारे.. मत हारना,मत उदास होना।

मंजील की ओर कदम कदम बढते ही रहना।

एक दिन मिलेगी तुझे तेरी मंजील।बनेगा पृथ्वी का स्वर्ग भी एक दिन।होगी सत्य की-ईश्वरी सिध्दांतो की जीत।

आ जायेगा ईश्वरी कानून धरती पर...तेरे ही हाथों से।

तब दुनिया तुझे कहलाएगी,"युगपुरुष।"

इसिलए चलता जा।चलता जा।मंजील की ओर बढता जा।

(मोदीजी को यह मेरा मनोगत समर्पित)

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--  विनोदकुमार महाजन।

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