भगवान श्रीकृष्ण
कृष्ण निती से चलेंगे
तभी जितेंगे...!
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भगवान श्रीकृष्ण !
भगवान विष्णु का आठवां अवतार !
जबरदस्त व्यक्तित्व !
सभी समस्याओं का अचूक उत्तर देनेवाले श्रेष्ठ देवता !
हँसता खेलता अवतार !
हर एक समय के लिए, लागू होनेवाले सिध्दांतों पर आधारित उच्च विचारधारा !
इसीलिए आज भी,अगर कोई इसी सिध्दांतों पर आधारित जीवन में चलेगा, तो जीत निश्चित है,पक्की है !
साम,दाम,दंड, भेद नितीद्वारा सत्य की जीत करने का अद्वितीय सिध्दांत !
बाँसुरी बजाकर सभी को प्रेमामृत पिलाने वाला,सभी पर दिव्य प्रेम करनेवाले भगवान !
तो दुसरी ओर सत्य की धर्म की रक्षा के लिए, आसुरों का नाश करने के लिए हाथ में शस्त्र लेकर, सुदर्शन चक्र लेकर,हाहाकारी - उन्मादी - उन्मत्त राक्षसों का नाश करनेवाले कर्तव्य कठोर भगवान !
गोप गोपिकाओं के प्रिय,अर्जुन सुदामा पर भी जी जान से प्रेम करनेवाले, प्रेमामृत की महती सभी को बताने वाले,मीरा के भी प्यारे, राधा के भी प्यारे,
सर्व व्यापी,सर्वसाक्षी,
मेरे - तुम्हारे - हम सभी के...
भगवान श्रीकृष्ण ! ! !
जिसको भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन हो गये,जिसको प्रभु परमात्मा के प्रेम का अमृत कुंभ मिल गया,उसीका जीवन...
धन्य हो गया !
सार्थक हो गया !
कृतकृत्य हो गया !
इसी सिध्दांतों का स्वीकार करके हमने,हम सभी ने,उसी रास्ते पर चलने का संकल्प किया है !
इसी सिध्दांतों को ध्यान में रखकर,
"विश्व श्रीकृष्णा हिंदु एकता मंच"
का निर्माण भी
संन्माननीय श्री.अनंत भारती जी तथा गुरूजी द्वारा किया गया है !
जिसमें केवल और केवल जीत हासिल करने की निती अपनाई जा रही है !
जो आज के समय में अनिर्वार्य भी है !
साथीयों,
समय बदल रहा है...
युग बदल रहा है...
समय करवट ले रहा है...
वैश्विक स्तर पर अनेक चमत्कारिक घटनाएं होती जा रही है !अधर्म का माहौल चरम सिमा पर है और विश्व के कोने कोने में फैला हुवा है !
और इस अधर्म के अंधियारे को मिटाने की,तथा धर्म की पुनर्स्थापना करने की शक्ति केवल और केवल कृष्ण सिद्धांतों में ही है !
इसीलिए आज हम सभी आत्मीय जन,जो ईश्वरी इच्छा से ही कुछ विशिष्ट उद्दीष्ट सामने रखकर, इकठ्ठा हो गये है...
हमारा तन - मन - धन समर्पित करके,ईश्वरी सिध्दांतों की वैश्विक जीत के लिए,अनेक यशस्वी योजनाओं द्वारा तेजीसे आगे बढते है !
और हमारी संस्कृति को विश्व के कोने कोने में पुनर्स्थापित करने के लिए,
आज से - अभी से कटीबध्द होते है,वचन बध्द होते है !
संकल्प को सिध्दीयों में बदलने के लिए, हम सभी कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढते है !
जय श्रीकृष्णा ! ! !
हरी ओम् ! ! !
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विनोदकुमार महाजन !
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