धर्म युध्द

 धर्म युद्ध क्या होता है...?

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दो विरूद्ध शक्तियों का संघर्ष !

ईश्वरी शक्ति और राक्षसी शक्ति !

एक कल्याणकारी दुसरी हाहा:कारी !

एक परोपकारी दुसरी उन्मादी !

रामायण !

जिसमें राम ने रावण का नाश किया !

महामहारत !

जिसमें परमात्मा श्रीकृष्ण ने उन्मादी कौरवों का नाश किया !


और...?

धर्म संकट ! ! !

अंदर से बाहर से धर्म संकट में !

मतलब ?

मतलब अंदर से धर्म पर प्रहार करनेवाले अधर्मी !

और बाहर से भी धर्म पर प्रहार करनेवाले कुधर्मी !

परीणाम ?

हाहा:कार,तबाही,बरबादी !

और उत्तर ?


धर्म युध्द ???

इसके साथ ही सृष्टि संतुलन में अनेक बाधाएं।

जैसे नैसर्गिक आपदाओं द्वारा अनेक मुसीबतें।

कटते पेड जंगलों की वजह से संपूर्ण सजीव प्राणीमात्राओं में हाहा:कार।

मरती मानवता।

और धर्म के प्रती,उदासीनता।


क्या अब...

ईश्वरी इच्छा से,

सृष्टि संतुलन के लिए,

मरती मानवता को जीवित करने के लिए,

पेड जंगल,पशुपक्षियों की रक्षा के लिए,

अंदर बाहर से हो रहे धार्मिक आघातों को रोक लगाने के लिए,

हाहा:कारी,उन्मादी, राक्षसी शक्तीयों का सदा.के लिए नाश करके,इंन्सानियत बचाने के लिए,

ईश्वरी राज्य की पुनर्स्थापना के लिए,

माँ धरती तथा माँ भारती के शुध्दीकरण के लिए,

चौ-याशी लक्ष योनी,जीव जंतु की रक्षा के लिए,

क्या फिरसे इस धरती पर,

धर्म युध्द होगा ?

क्या इसके सिवाय दूसरा कोई पर्याय उपलब्ध नही है ?

क्या यही एकमेव रास्ता बचा है ?

क्या इंन्सानों के हाथों से अब सृष्टि का,पृथ्वी का कल्याण होना अब,आज की घडी में संभव है ?

प्रश्न तो अनेक है।

उत्तर क्या है ?

केवल और केवल धर्म युध्द ?

एकही रास्ता, एकही उत्तर ?

क्या संपूर्ण विश्व उसी दिशा की ओर तेजीसे बढता जा रहा है ?

क्या वैश्विक मानवी समूह में,

ईश्वरी शक्तीयों का और आसुरिक शक्तियों का ध्रुवीकरण आरंभ हो चुका है ?

क्या सारा विश्व विनाश की ओर तेजीसे बढ रहा है ?

तीसरे महायुद्ध की तरफ संपूर्ण विश्व तेजीसे बढ रहा है ?

सृष्टि संतुलन के लिए,

ईश्वरी इच्छा से संपूर्ण विश्व तीसरे धर्म युध्द की तरफ बढ रहा है ?


" **क्या अब...कलंकायन... होगा ?* 

*

क्या इसके लिए विष्णु ने अवतार धारण किया है ?

क्या अब उन्मादी, हाहा:कारी आसुरी शक्तीयों का नाश होगा ?

क्या अब संपूर्ण पृथ्वी पर ईश्वरी राज्य की पुनर्स्थापना होने का समय नजदीक है ?

क्या समय करवट बदल रहा है ?


क्या पृथ्वी पर आज भयंकर, भयावह, भयभीत करनेवाला होते जा रहा है ?

कोरोना महामारी का जागतिक स्वरूप तथा जागतिक तबाही का कारण मानवी दिमाग है ?

क्या यह नैसर्गिक आपत्ति है या उन्मादी इंन्सानों द्वारा थोपी गई तबाही है ?


और इसका उत्तर क्या है ?

इसका अंत क्या है ?


धर्म युध्द ???

अगर ना तो अनेक वैश्विक भयावह समस्याओं का आज का हल क्या है ?

और हाँ तो,

यह धर्म युध्द

कौन ?

कैसे ?

कहाँ ?

करेगा ?


कौन सृष्टि को,पृथ्वी को,पशुपक्षियों को,सजीवों को,सत्य वादी मनुष्य प्राणीयों को,ईश्वर प्रेमीयों को,

भयंकर उन्मादी, हाहा:कारी,तबाही मचाने वाले,क्रूर हैवानियत से कौन,कैसे,कब बचायेगा ?


उत्तर के लिए,

ईश्वरी इच्छा क्या है...

समय के की क्या माँग है...

इसके लिए,

हमें इंतजार तो करना ही पडेगा।

प्रतिक्षा तो करनी ही पडेगी।


एक बात तो पक्की तय है की

समय भयंकर कठिन चल रहा है।

आपदा,विपदाओं का ,तबाही, बरबादी का भयंकर समय चल रहा है।

मनुष्य प्राणीमात्राओं सकट,सभी चौ-याशी लक्ष योनियों पर ही भयंकर तबाही का संकट मंडरा रहा है।


क्या यही धर्म ग्लानी है ?

क्या धर्म युध्द ही इसका अंतीम उत्तर तथा हल है ?

ईश्वर, नियती,कुदरत,पर्दे के पिछे से इसका हल निकालने के लिए, सचमुच में कोई योजनाएं बना रहा है ?


आखिर ईश्वर ने ही निर्माण किया हुवा सृष्टि का,पृथ्वी का,सजीवों का,मनुष्य प्राणीयों का,दाईत्व तो भगवान का ही है।

देखते है अब आगे,

मेरा - तुम्हारा - सभी का ,

प्रभु अब आगे कौनसी रणनीति बनाता है ?


हम सभी तो पंचमहाभूतों की,ईश्वर निर्मित, निमित्त मात्र छोटी छोटी सी कठपुतलियां।

सारा खेल तो भगवान के हाथ में है।


देखते है वह परमात्मा अब आगे,

सृष्टि संतुलन के लिए अगली कौनसी निती अपनाता है।

तबतक हम उसके शरण में जाकर,

सभी के रक्षण की,सभी के कल्याण की ईश्वर चरणों में प्रार्थना करते है।

हाहा:कार,तबाही से बचाने के लिए, भगवान के चरणों पर हमारा मनोगत रखते है।


हरी हरी: ओम्

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विनोदकुमार महाजन

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