पुराना घर
पुराना घर....
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जीस प्रकार से बचपन का पुराना घर छोडकर हम नये घर में रहने को जाते है,
फिर भी हमें पुराने घर की यादें हमेशा सताती है।उस घर में बिते हुए पल को हम जीवनभर याद करते रहते है।
ठीक इसी प्रकार से हमारा यह पंचमहाभूतों का देह भी तो हमारी आत्मा के लिए एक घर ही तो है।
यह घर हम बारबार बदलते रहते है।फिर भी पुराने घर की यादें या उसी देह में हमने जो सुखदुख देखे है,वह सभी यादें हमें देह से आत्मा मुक्त होनेपर भी उसी आत्मा को रहती है।
अगर पंचमहाभूतों का देह छोड भी दिया, तो वही आत्मा पुराना शरीर धारण करके किसिके सपनों में जाकर,कोई संदेश जरूर देता है।
हम सभी को ऐसी आत्मानुभुतियाँ अनेक बार, बार बार सपनों में,दृष्टांत में मिलती है।
कभी कभी इसका अर्थ भी हमारे समझ में नही आता है।
कोई आत्मज्ञानी या ब्रम्हज्ञानी इसका सही उत्तर हमें दे सकता है।
हम सभी को हमेशा स्वप्न दृष्टांत होते है।यह वास्तव है।
हरी ओम।
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विनोदकुमार महाजन।
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