कपटी मित्र की कथा

 कथा, एक मित्र की।

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मित्रों,

मैं विनोदकुमार महाजन,

एक दोस्ती की कथा सुनाना चाहता हुं।

मेरा ब्लॉग पढने वाले विश्व के कोने कोने के,सभी जात -धर्म-पथ-पंथ के प्यारें मित्रों,फेसबुक-व्हाट्सएप पर मेरे लेख पढनेवाले मेरे अनेक मित्रों, शेअर चैट पर तथा माय मंदिर पर ,मुझे फौलो करनेवाले तथा मेरे लेख पढने वाले सभी दोस्तों,

अखबारों में मेरे लेख-कथा-कविता पढनेवाले मेरे सभी दोस्तों,

आज मैं आप सभी को एक सुंदर कथा बता रहा हुं।

आजतक मेरी अनेक कथाएं, लेख आखिर तक आपने पढी ,ढीक इसी प्रकार से यह कथा भी अंत तक जरूर पढना।

एक मित्र की कथा बहुत उद्बोधक है।और हमें सिख देनेवाली भी है।

कथा है मित्र की,मित्रत्व की,दोस्ती की,यारी की।

दोस्ती को हम सभी सदा के लिए बहुत महत्व देते है।दोस्ती के लिए जान भी कुर्बान करने को तैयार होते है।

अगर यार सच्चा है तो ! ! !

इसकी एक कहावत भी है।इसका अर्थ बहुत जटिल है।फिर भी समझने की कोशिश करना।

" आँस का बाप,

निरास की माँ,

होते की बहन,

जोरू साथ,

पैंसा गाँठ,

और....

निदान का दोस्त !"

जी हाँ दोस्तों,

निदान का दोस्त।

तो ?

दोस्ती करनी है,मित्रत्व करना है,तो परख कर किजिए।

वरना ?

पछताना पडेगा।बहुत पछताना पडेगा।


एह कथा दो सिध्दांतों की है।एक ईश्वरी सिध्दान्त और दुसरा राक्षसी यथा असुरी सिध्दांत।

ईश्वरी सिध्दांतों पर चलने वाले दुसरों के दुखों के लिए, उसको सुखी करने के लिए, मर मिटने को भी तैयार रहते है।

और असुरी सिध्दान्त वाले खुद के स्वार्थ के लिए, दुसरों को,कपट से,घात से मारने-मिटाने को तैयार रहते है।

दो मित्रों की कथा भी ठीक इसी प्रकार की है।


दो मित्र थे।एक भोला भाला,सभी पर पवित्र प्रेम करनेवाला, ईश्वरी सिध्दांतों पर चलने वाला था।

और दूसरा ?

बिल्कुल इसके विपरीत।धूर्त, चालाक,कपटी,कृतघ्न, बेईमान।सभी राक्षसी गुणसंपन्न।

मगर पहचानने को नही देता था।भोलेभाले दोस्त के साथ, भोलाभाला बनकर ही रहता था।

दोस्ती खूब पढी,खूब बढी।

एक दिन कपटी मित्र पूर्ण संकट में आ गया।भोलेभाले,दयालु मित्र को उसकी दया आ गई।

और संकटों से झुंजते अपने मित्र को उसने अपने ही" घर में"सहारा दिया, आश्रय दिया।

भोलेभाले दोस्त के बेटे बेटियां, पत्नी, रिश्ते

दार सभी ...

उस मित्र पर घर का सदस्य समझ कर प्रेम भी करते थे,सहयोग भी करते थे।जैसे वह मित्र भी घर का सदस्य बन गया।

धिरे धिरे समय बितता गया।

जो मित्र घर में रहता था,वह मित्र धिरे धिरे,मित्र की सभी प्रकार की सहायता से बडा आदमी हो गया,संपन्न हो गया।और उसने अपने मित्र के पडोस में ही नया घर भी खरीद लिया।

अब उसके संकट भी मित्रकृपा से हट गए।

अब राक्षसी वृत्ति के मित्र ने क्या किया दोस्तों ?

आगे की रोचक कथा जरूर पढना,सभी मित्रों को भी जरूर सुनाना।

धिरे धिरे उस राक्षसी मित्र ने अपने सगे-संबधी,रिश्तैदार अपने अडोस पडोस जमा करने आरंभ किए।


"वह सभी इलाका" तो ईश्वरी गुणसंपन,परोपकारी, दयालु लोगों का ही तो था।

राक्षसी मित्र ने धिरे धिरे कुटिल निती द्वारा वह इलाका,

पुरा का पुरा...

"राक्षसी गुणसंपन्न बना दिया।"

कभी समझाबुझाकर, कभी धमकी से,

"ईश्वरी गुणसंपन्न"व्यक्तियों के घर धिरे धिरे,एक एक करके खाली कर दिए गए।


और एक दिन...!!!


वह राक्षसी मित्र, जीस ईश्वरी गुणसंपन्न मित्र ने उसकी कठीण समय में सहायता की थी,उसी के घर में एक दिन गया ...


और....


घात हो गया।


ईश्वरी गुणसंपन्न मित्र के गलेपर धारदार शस्त्र लगाकर बोला,


"यह घर खाली कर दे।नही तो मरने को तैयार हो जा।या फिर यह घर छोडकर तुरंत यहां से भाग जा।और एक बात सुन।इस घर में जो भी मौलिक चिजें है,यह सभी मेरी ही है।यह घर भी मेरा ही है।और तेरी पत्नी ?वह भी मेरी ही है।जान बचाकर जल्दी से भाग जा यहाँ से।"


और दुर्दैव की बात यही है की,उस राक्षसी मित्र के सभी दोस्त, रिश्तैदार, नाते भी इसी घटना में सक्रिय थे।


और मेरे प्यारें, विश्व के कोने कोने में फैले सभी दोस्तों।आगे क्या हुवा होगा,यह तो आप सभी जानते ही होंगे।


तो कपटी मित्रों से सावधान रहना।इतिहास गवाँ है,हमारी मुर्खता ही नही अती बेसावधपन से हमने आजतक बहुत खोया है।


यह कथा तो पूर्ण रूप से काल्पनिक है।किसी व्यक्ति या संगठन से इसका दूरदूर तक कोई संबंध नही है।


फिर भी मेरे प्यारें यारों,दोस्तों, मित्रों

सावधान रहना।

अखंड सावधान रहना।

आपको भी ऐसा कपटी,राक्षसी मित्र मिल सकता है।


मैंने तो ,

" निदान का दोस्त", बनकर,

दोस्ती का वादा निभाया है।

बाकी आपकी मर्जी।


हरी ओम।

🙏🕉

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आप सभी का,

चौकन्ना दोस्त,

विनोदकुमार महाजन।

( लंबी कहानी पढने के लिए सभी का आभार)

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