सब ईश्वर की संतान

 सभी ईश्वर की एक ही संतान

---------------------------------- 

सर्वाभूती भगवंत,

जैसा स्थाईभाव जब बनता है तो समदृष्टि बनती है।और चारों तरफ,दस दिशाओं में ईश्वर का अस्तित्व नजर आता है।

हर सजीवों में,पशूपक्षी में,गौमाताओं में,साँप - बिच्छू, बाघ - सिंहो में भी ईश्वर नजर आता है।

और ईश्वर की अगाध महिमा,ईश्वर की अगाध लिला की अनुभूति मिलने लगती है।

सभी सजीवों में केवल एक ही आत्मतत्व दिखाई देता है।

और मैं,आप,हम सभी,पशुपक्षी सहीत सभी सजीव भी एक ही ईश्वर की एक ही संतान है इसकी दिव्य अनुभूति भी मिलने लगती है।

और सारे भेद ही मिट जाते है।

और हर एक के प्रती दयाभाव, प्रेमभाव उत्पन्न होता है।

और ऐसी दृष्टि बनने पर,वह पावन आत्मा नर का नारायण बन जाता है।

हरी ओम्

------------------------------------

विनोदकुमार महाजन

Comments

Popular posts from this blog

ऊँ कालभैरवाय नम :

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र