विश्व विजेता हिंदु धर्म
विश्व विजेता हिंदु धर्म
October 20, 2020
विश्व विजेता हिंदु धर्म…..! ! !
।। श्री गणेशाय नम : ।।
।। 🕉 गं गणपतये नम : ।।
।। जय गजानन श्री गजानन ।।
।। गण गण गणात बोते ।।
।। गजानन बाबा की जय ।।
।। वक्रतुंड महाकाय सुर्यकोटी समप्रभ ।।
।। निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्व कार्येशु सर्वदा ।।
विश्व विजेता हिंदु धर्म,
इसका अर्थ क्या है ?
इसका मतलब यह है की जीस महान और ईश्वर निर्मीत संस्कृती को कोई भी और कभी भी नही हरा सकता है,
मतलब,
विश्व विजेता हिंदु धर्म।
कैसे ?
जो अंतिम सत्य है,अनादी अनंत है,सनातन है,
जीसका कोई आदी नही और अंत भी नही और कभी लुप्त भी हुवा नही,
वही सदैव
विश्व विजेता ही था,है और रहेगा।
जिसमें पूर्णत्व है वही धर्म है।
जिसमें ईश्वरी सिध्दांत है वही धर्म है।
जिसमें भूतदया हो वही धर्म है।
जिसमें सृष्टि का कल्याण हो वही धर्म है।
जिसमें प्रेम भाईचारे की सिख हो वही धर्म है।
क्या हमारा हिंदु धर्म ठीक ऐसा ही है ?
ठीक ऐसा ही है।
कोई प्रश्न ही नही है।
और बाकी…?
हिंदु संस्कृती से ही निर्माण हुवा एक हिस्सा।
मतलब ?
मतलब सभी के पुर्वज हिंदु ही थे।
और संपूर्ण पृथ्वी पर केवल और केवल सनातन संस्कृति का ही राज था।
प्रमाण ?
संपूर्ण विश्व में हर जगह,जगह जगह पर मिलने वाले हिंदु संस्कृति के सबूत।
तो पहले सभी हिंदु ही थे ?
अर्थात।
मगर आज यह विश्व में हिंदुस्तान तक ही क्यों सिमीत रह गया ?
धर्म ग्लानि।
और इसका सप्रमाण उत्तर ?
यदा यदा ही धर्मस्य…
( भगवत् गीता और भगवान श्रीकृष्ण का वचन )
कैसे ?
सातसौ साल पहले महाराष्ट्र के आलंदी में कृष्णाष्टमी के दिन पैदा हुए,महासिद्ध योगी,चमत्कारी भगवत् गीता पर आधारित ज्ञानेश्वरी लिखने वाले महान संत।
जिन्होंने ज्ञानेश्वरी में विश्व कल्याण के लिए आखिरी में पसायदान लिखा है।
जिसमें उन्होंने
” विश्व स्वधर्म सुर्ये पाहो ।”
ऐसा लिखा है।
मतलब जहाँ भी धरती पर,सुरज की किरण पहुंचेगी, वहाँ वहाँ, ईश्वर निर्मीत सत्य सनातन धर्म ही होगा।
मेरा इससे क्या संबंध ?
इसी उद्देश्य से प्रेरित होकर मैंने कुछ साल पंढरपुर में और बाद में आलंदी में विश्व कल्याण हेतु कठोर तप:श्चर्या की तो,
खुद संत ज्ञानेश्वर माऊली ने मुझे जमिन के निचे,उनके समाधी के पास ले जाकर,कार्य सफलता हेतु,
मेरे हाथ में एक बडा फल दिया।
इसका प्रमाण ?
विश्व विजेता हिंदु धर्म का संकल्प और उसी दिशा से लगातार प्रवेश।
और इसके लिए सिध्दनाथ,महादेव का,भोलेनाथ का संपूर्ण प्रेम,आशिर्वाद और सहयोग से ,साक्षात महाँकाल के निरपेक्ष सहयोग से,
संपूर्ण विश्व में कार्य तेजीसे बढ रहा है।
इसके साथ ही अनेक सिध्द पुरूषों ने मेरे सरपर हाथ रखे है।अनेक देवीदेवताओं ने दृष्टांत, आशिर्वाद दिये है।
जिसमें
मेरे कुलदैवत सोनारी के कालभैरवनाथ
मेरे ग्रामदैवत खंडोबा
ज्वाला नारसिंह
हनुमानजी
माता महालक्ष्मी
गुरू दत्तात्रेय
शेगांव के गजानन बाबा
सज्जनगढ़ के रामदास स्वामी तथा कल्याण स्वामी
मेरे सद्गुरु मेरे दादाजी
इसके साथ अनेक सिध्दपुरूषों का दर्शन, आशिर्वाद।
प्रमाण ?
मेरी यह तेजस्वी लेखनी तथा इसी विषय से अनुसार हजारों लेखों का लेखन
अनुभूति ?
जीवन का संपूर्ण कायापलट
मतलब ?
बचपन का और आज का जीवन
बिल्कुल बदलाव
महाँकाल की कृपा कैसे हुई ?
प्रारब्ध गती अनुसार और अखंड सत्याचरण द्वारा निरंतर ईश्वरी कृपा प्राप्त हो जाती है।
( अदृष्य भोलेनाथ का संपूर्ण विस्तृत लेखन : – अगले विषय में और अगले लेखों में )
अब,
विश्व विजेता हिंदु धर्म
पर
विस्तार से चर्चा करते है।
जो पशुपक्षीयों सहीत,सभी सजीवों पर,भेदभाव रहित, सभी समाज पर,जाती धर्मों पर,माता भारती और माता धरती पर,ब्रम्हांड पर,कुदरत के कानून पर,ईश्वर पर, सभीपर सदैव, नित्य, निरंतर केवल और केवल प्रेम ही करता है,सभी में एकसमान आत्मतत्त्व देखता है,सभी का अखंड कल्याण चाहता है,सभी पर प्रेम करके सदैव सहिष्णू बनकर भाईचारा निभाता है,
सभी सजीवों को भगवत् स्वरूप मानता है,सभी का मंगल चाहता है,
गाय को भी माता मानकर पूजता है,(
मेरी गौमाता लेख में मेरी अनुभूति पर एक लेख, जो गौमाता उसके मृत्यु के बाद भी मुझसे मनुष्य बाणी में संवाद करती है
और मैं स्वर्ग जा रही हुं
यह मुझे सपनों में आकर बताती है।)
साँप को भी नागदेवता मानकर पुजता है,
उत्सवों द्वारा सदैव पेडों की,जंगलों की भी पूजा करता है,सृष्टि नियमन के लिए आदर्श सिध्दांत बनाकर उसीके अनुसार अखंड और सदैव आचरण करता है,सदैव सभी पर परोपकार करता है,दयालु, कृपालु, ममतालु,सहनशील रहकर ,मानवता की सदोदित पूजा करके,
वसुधैव कुटुम्बकम
के सिध्दातों को स्विकारता है..
वही सही,सच्चा,चिरंतन, चिरंजीव होता है,रहता भी है।
धर्मसंस्थापक कोई व्यक्ति नही बल्कि खुद ईश्वर ही होने के कारण,ईश्वर ही हमेशा इसकी कठिन समय में रक्षा करता है।
अनेक महापुरुष, अवतारी पुरूष, सिध्दपुरूष,चमत्कारी अवलीया,साधु संत,
बार बार इसी आदर्श सिध्दातों पर चलकर आत्मोध्दार और विश्वोध्दार का कार्य करते है।
जीस धर्म में अनेक देवीदेवताओं का,ऋषीमुनियों का अवतरण और आशिर्वाद प्राप्त होता है,
अनेक अद्भुत, आश्चर्यजनक धर्मग्रंथों का निर्माण होता है,
जन्म से लेकर मृत्यु तक के जीवन का ,
साकार निराकार ब्रम्ह का,
अदृष्य जगत का,
आत्मतत्व और आत्मा का,
चौ-यांशी लक्ष योनियों का,
आत्मा परमात्मा का,
अनेक गूढ़ विषयों का,
जन्म और मृत्यु का,
मृत्यु के बाद आत्मा का,
अनेक समाजोपयोगी, सजीवोपयोगी,सृष्टि उपयोगी
अनेक धर्म ग्रंथों का निर्माण और उसीके अनुसार निरंतर कार्य चलता है,उसको ही सदोदित अग्रक्रम दिया जाता है…
इसके लिए अनादी काल से यथोचित शास्त्रों का निर्माण किया गया है…
तो मेरे प्यारे सभी भाईयों,
अब बताओ की,
विश्व विजेता हिंदु धर्म
ही है ना ?
या और भी कोई आशंका मन में रहती है ?
जहाँ सदोदित, पिढी दरपिढी,दिव्यत्व है,भव्यत्व है,महानता है,संस्कारों का धन है,प्रेम भाईचारा है,ईश्वरी सिध्दातों के अनुसार आदर्श आचरण है,
तो….???
मेरा,आप सभी का,
धर्म आदर्श ही है ना ?
है कोई माई का लाल जो इसे बुरा कह सके ?
बताओ।।।
अगर इसके बावजूद भी मेरे धर्म को अगर कोई बूरा कहेगा, मेरे धर्म पर प्रहार करेगा,
तो मैं इसको…?
केवल और केवल राक्षस ही कहुंगा।
अहंकारी और उन्मत्त।
तो ऐसे हाहाकारी राक्षसों का उत्तर ?
रामायण और महाभारत।
समझे गूढ अर्थ ?
इसिलिए स्वामी विवेकानंद जैसे महात्मा कहते थे की,
” अगर मेरे धर्म को कोई गाली देगा, तो मैं उसको समंदर में फेंक दूंगा ।”
गलत है स्वामी विवेकानंद जी का कहना ?
सत्य पर प्रहार करने वालों को और सत्य को समाप्त करने की भाषा बोलनेवाले,
उन्मत्त, उन्मादी, हाहाकारी, अहंकारी
राक्षसों का अंत
कैसे होता है अथवा ईश्वर द्धारा किया जाता है यह तो हमने अनेक धर्म ग्रंथों में पढा भी है ना ?
तो अब आप सभी बोलो..
उत्तर भी दो।
आत्मा की आवाज सुनकर, अंदर का चैतन्य जगाकर आवाज दो..
आज भी मेरे धर्म पर,आदर्श ईश्वरी सिध्दातों पर आघात करनेवाले
राक्षसों का किस प्रकार से उत्तर देना चाहिए ?
शिकागो के धर्म परिषद में स्वामी विवेकानंद जी ने क्या कहा था ?
याद है ना ?
या भूल गये ?
वैसे तो भूलने की आदत या बिमारी हमें बहुत है।
इतनी भयंकर क्षती होने के बाद भी,हम नही जागे,नही सुधरे,रोजी रोटी और धन कमाने के अथवा ऐषो आराम का जीवन बिताने में ही धन्यता मानने लगेंगे
तो….?
विदेशी संत आकर तुम्हें आदर्श सिखाएंगे…( समझे कुछ ? )
और हमारे आदर्श महापुरुष, साधुसंतों को जेलों में ठुंसा जायेगा।
और हम तमाशा देखते रहेंगे।
हमारे देवी देवताओं को,महान संस्कृति को,संस्कारों को,आदर्शों को बदनाम किया जायेगा,
और हम निर्जीव, मुर्दाड बनकर तमाशा देखते रह जायेंगे।
” आती क्या खंडाला…”
जैसे बिबत्स गाने सुनानेवालों को,
जीवन का आदर्श समझकर, उसको ही देवता मानकर,
उसकी पूजा करते रहेंगे ?
हमारा अंदर का तेज,आत्मसंम्मान, धधगती ज्वाला कहाँ गई ?
पाकिस्तान, बांग्ला से,कश्मीर से भी भागे…
अब संपूर्ण देश से कहाँ भागोगे..???
सोचो,समझो,जानो,जागो।
आँखें खोलो।
असलियत भयंकर है।
सैतानी दिमाग के जमीन के निचे के दाँवपेंच भयंकर है।
और हम सोये हुए है।
जब कश्मीर जैसी स्थिति बनती है,तब जागते है।
और प्रतिकार की शक्ति संपूर्ण रूप से समाप्त होने के कारण…
केवल और केवल
भागना ही नशीब में होता है।
अत्याचारी,भयंकर क्रुर आक्रमणकारियों का,मुघल, अंग्रेजों का भयावह अत्याचार हम भूल गये ?
क्यों और कैसे ?
और इसी सभी पर विजय हासिल करके,
विश्व विजेता हिंदु धर्म
की ओर चलों बढते है।
कंधे से कंधा मिलाकर साथ देते है।
धर्मग्रंथों द्वारा, यज्ञों द्वारा, विज्ञान द्वारा, किताबों द्वारा, आदर्श फिल्म निर्माण द्वारा, अखबार, टीवी द्वारा,
अब हम सभी निस्वार्थ भाव से संगठित होकर…
संपूर्ण विश्व को,भूले भटके हुए को,
हमारे आदर्श ईश्वरी सिध्दातों के अनूसार चलनेवाले,
हमारे घर में सभी को वापिस बुलाते है।
सभी के आत्मा की आवाज,
विस्तृत अभियान के अनुसार जगाते है।
ज्योत से ज्योत जगाते चलो,
प्रेम की गंगा बहाते चलो।
नामुमकीन लग रहा है ?
जब आप सभी पवित्र आत्माएं
तन – मन – धन से साथ देंगे. .
तो….?
नामुमकीन कुछ रहेगा ???
आत्मा की आवाज दो।
और सब मिलकर, एकसाथ, एक आवाज में बोलो….
सत्य की जय हो।
सत्य सनातन की जय हो।
विश्व विजेता हिंदु धर्म हो।
हरी हरी : ओम्
आप सभी का,
सभी का अखंड कल्याण चाहने वाला….सभी पर दिव्य प्रेम करनेवाला…..
विनोदकुमार महाजन
( यह लेख मेरे सद्गुरू को,ईश्वर को,मुझपर सदैव प्रेम करनेवाले मेरे मित्रों को,
और जलते अग्नी में भी मुझे चेतना देकर मुझे नितदिन कार्य के लिए प्रेरणा देनेवाले मेरे छोटे भाईसमान मेरे मित्र,
श्री.अजयकुमार पांडेय जी को यह मेरा लेख और मनोगत पूज्य भाव से समर्पित करता हुं )
हरी ओम्
मेरे विश्व व्यापक अभियान में तन,मन,धन से जुडऩे का आप सभी को आवाहन करता हुं।
आत्मानुभूति : – विनोदकुमार महाजन
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