आत्मा का वर्णन

 क्या आपको आत्मा दिखती है ?

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निराकार ब्रम्ह, उससे हर पल जुडी हमारी निराकार श्वास और हमारा ही  निराकार आत्मा जो हमारे अंदर मौजुद है।

खडतर तपश्चर्या द्वारा आत्मजागृती,चैतन्य जागृती हो जाती है और दिव्यचक्षु तथा दिव्यज्ञान प्राप्ति हो जाती है।और हमारे देह के अंदर ही नही तो सभी सजीवों के अंदर का आत्मतत्व दिखाई देता है।

यही एक सिध्दी भी है,और इसके द्वारा परकाया प्रवेश जैसी सिध्दी भी मिल सकती है।

और ऐसा ब्रम्हज्ञानी सिध्दपुरुष या महासिद्ध के नाम से जाना जाता है।

जबतक श्वास चलती है तबतक आत्मा देह में वास करता है।और श्वास ह्रदय से जुडी होती है।और ह्रदय संपूर्ण शरीर को रक्ताभिसरण द्वारा संचलित करता है।

श्वास रूक गई मतलब ह्रदय बंद हुवा,अर्थात उस देह से आत्मा चली गई।

सभी सजीवों में ईश्वरी इच्छा अनुसार यही सूत्र रहता है।

जन्म और मृत्यु के बिच में आत्मा हमारे शरीर में रहती है।

ठीक इसी तरह से आत्मा अनेक देह बदलती रहती है।

मगर सिध्दपुरूषों को उनकी इच्छा अनुसार फिर जन्म मृत्यु के बंधन में रहने की जरूरत नही होती है।इसेही मोक्ष अथवा मुक्ति भी कहते है।

मगर...अगर उस आत्मा को अगर ऐसा लगा की,चलो फिर से पृथ्वी पर देह धारण करके जाते है,और धर्म कार्य बढाते है या धर्मग्लानी से धर्म को बाहर निकालते है।

यही आत्मतत्व है,जो निरंतर परमात्म तत्व से जुडा रहता है।

तो भाईयों, क्या आपको आपके शरीर के अंदर की आत्मा दिखाई देती है ?

मुझे तो मेरे सद्गुरु कृपा से मेरी आत्मा स्पष्ट दिखाई देती है।

चैतन्य मय निराकार आत्मा सदैव चैतन्य मय निराकार ब्रम्ह से जुडी रहती है।

तो...

मृत्यु क्या है ?

पंचमहाभूतों के देह बदलने की प्रक्रिया।

और आत्मा क्या है ?

कभी भी नाश नही होनेवाली चैतन्य शक्ति।

इसीलिए आत्मा को मृत्यु भी नही।

इसिलिए अनादी मैं,अनंत मैं।

युगों युगों से मेरा यह सफर चलता है,चलता ही रहेगा।

हरी ओम।

-------------------------------विनोदकुमार महाजन।

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