रामदेव बाबा और आण्णा हजारे
रामदेव बाबा और अण्णा हजारे।
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मैंने रामदेवजी बाबा पर कुछ दिन पहले एक लेख लिखा था।जिसमें मैंने, रामदेव बाबाजी ने शनी,राहु,केतु का उल्लेख किया था,उसका उसी लेख में जिक्र किया था।
मुझे उनके बिहार आश्रम से उस लेख के बारे में फोन आया था।
उनका कहना था की मैंने ऐसा क्यों लिखा?
उत्तर में मैंने उनको प्रत्यक्ष चर्चा के लिए आमंत्रित किया था।
अब एक टिव्ही के इंटरव्ह्यू में बाबाजी को प्रश्न पुछा था की,आप कौनसे दल से हो?
बाबाजी ने फिरसे विचित्र जवाब दिया था।
बाबाजी उत्तर में कह रहे थे,"निर्दलिय,सर्वदलिए"
तो क्या बाबाजी ने उद्योगपती बनने के बाद हिंदुत्व छोड दिया?
अब अण्णा हजारे जी पर थोडा सोचते है।दिल्ली में चल रहे अण्णा के आंदोलन को जनता का कोई प्रतिसाद नही मिल रहा है।
अण्णा के साथ ऐसा क्यों हो रहा है?क्या उनकी लोकप्रियता घट गई है?अगर हाँ तो क्यों?
क्योंकी हमेशा ऐन चुनाव के दरम्यान ही अण्णा आंदोलन क्यों करते है?केवल प्रसिद्धी के लिए?या कोई अन्य कारण?
अण्णा को ना भाजपा से,ना काँग्रेस से,ना आम आदमी पार्टी से प्रेम है?तो फिर अण्णा के सिध्दांत कौनसे है?उनकी वास्तविक विचारधारा क्या है?
क्योंकी हर एक व्यक्ती एक को ठोस विचार की स्विकार तो करनी ही होती है?
और सभी पार्टीयों का विरोध तो फिर अण्णा की विचारधारा कौनसी?
हिंदुत्ववादी, समाजवादी, निधर्मीवादी ,साम्यवादी या फिर साम्राज्य वादी?
क्योंकी जब तक ठोस विचार धारा तय नही होती और उस विचारधारा के अनुसार वर्तन नही होता है तो ऐसे व्यक्तियों को समाज क्यों और कैसे स्विगारेगा?
चाहे वह व्यक्ती रामदेव जी बाबा हो या अण्णा हजारे जी हो।
हर एक तो सिध्दांत होने ही चाहिए।और उस सिध्दांतो के अनुसार जीवन होना ही चाहिए।तभी समाज ऐसे व्यक्तियों के कार्य को स्विकार करेगा।
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-- विनोदकुमार महाजन।
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