वैश्विक हिंदुत्व

 विश्व व्यापक हिंदुत्व ( लेखांक भाग : - १ )

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भाईयों,

मैंने आजतक मेरे अनेक लेखों में मानवतावादी तथा वैश्विक हिंदुत्व के बारे में लिखा है।और हर बार नए विचार आपके सामने रखे है।

हिंदुत्व सहिष्णु है इसीलिए मानवतावादी है।

वसुधैव कुटुम्बकम पर विश्वास करनेवाला है इसीलिए विश्व व्यापक भी है।

और ईश्वरी सिध्दांतों पर आधारित है इसीलिए विश्व के सभी मनुष्य प्राणी सहीत सभी सजीवों के लिए कल्याणकारी भी है।


आज हम विश्व व्यापक हिंदुत्व के बारें में विस्तार से चर्चा करते है।


हम सहिष्णु होने के कारण भूतदया तथा जीवदया का सूत्र अपनाकर ही हम चलते है।सदियों से हम सभी से सच्चा तथा जी जान से प्रेम करते आये है।परोपकार, दया,क्षमा,शांती यह हमारा सदैव स्थाईभाव होता है।सृष्टि पूजक,संस्कृति पूजक,मानवता के पूजारी ,सभी धर्मों पर भी सदैव सच्चा,निष्कपट प्रेम तथा सहयोग करनेवाले होते है।

जीवजंतुओं से,पेड जंगलों से भी हम सदैव प्रेम करते आये है।इसीलिए गाय को हम माता मानकर पूजते है,तुलसी के पौधे में भी ईश्वरी सिध्दांत होने का हम स्वीकार करते है और नाग जैसे जहरीले प्राणीयों को भी हम देवता समझकर पूजते है।


इसीलिए ही हिंदु धर्म विश्व धर्म है।संपूर्ण विश्व को नया उजाला, नया रास्ता दिखाने वाला तथा सभी का कल्याण चाहनेवाला, कल्याण करनेवाला ही है।समस्त जीवजंतुओं को भी अभय देनेवाला है।


और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की,हमने ना कभी तलवार की धार पर अथवा पैसों का लालच देकर हमारी संस्कृति, सभ्यता, शालीनता तथा धर्म को बढाने की कोशिश की है।प्रेम से ही दुनिया जीतने पर हम सदीयों से विश्वास करते आये है।


इतनी भयंकर धर्म ग्लानि के बावजूद भी हम हमारी संस्कृति, सभ्यता, प्रेम, भाईचारा, इंन्सानियत, सहिष्णुता का स्वीकार करके ही चलते है।इसीलिए हमारे देश में आज भी सभी धर्मीय समाज बडे आनंद से तथा खुशहाली से जीवन जीता है।हर मुसीबतों की घडी में हम सभी धर्मीयों का जी जान से साथ देते है।


तो फिर भी हम असहिष्णु कैसे ?

फिर भी हम संकुचित मतवाले कैसे ?

जिसका झुटा प्रचार, प्रसार आज देश में चारों तरफ से हो रहा है अथवा जानबूझकर किया जा रहा है।


मगर यह सब गलत है।

मैं यह बात इसीलिए कह रहा हुं,लिख रहा हुं, की,

हमारे ही देश में रहकर, हमारे ही पैसों से बडे होकर हमसे ही गद्दारी करनेवाले कुछ नालायक लोगों का पर्दाफाश करने के लिए, उनके बारे में मैं लिख रहा हुं।


कुछ लोग कहते है,

हिंदुस्तान में रहने का उन्हें डर लगता है।


उन्हे यहाँ डर क्यों और कैसे लगता है ?यह समझ में नही आता है।

हमारे देश जैसी सहिष्णुता, धार्मिक आजादी तथा स्वातंत्र्य शायद दुसरे देशों में भी नही है।इसीलिए दलाईलामा भी हमारे देश में प्रेम से रहते है।मदर तेरेसा भी हमारे देश में बडे संम्मान से रहती थी।और अनेक विदेशी लोग भी यहाँ स संम्मान रहते है।


फिर भी हमपर असहिष्णुता का आरोप क्यों लगाया जाता है ?

या फिर यह हमे ही तबाह करने का,हमे ही बरबाद करने का यह एक भयंकर षड्यंत्र का हिस्सा है ⁉❓


और है तो क्यों ⁉


संपूर्ण देश इसका उत्तर चाहता हैआज।

जी हाँ,बिल्कुल उत्तर चाहता है।

जहाँ हिंदुस्तान में डर लगता है ऐसे लोगों को तो हमने ही बडा किया है।हमारे ही पैसों से वो ऐशोआराम की जिंदगी जिते है।हमपर ऐसा गंदा आरोप करनेवाले कुछ दिनों के लिए पाकिस्तान या सिरिया में बडे आराम से रहकर दिखा सकते है क्या ?


यह बात छोटीसी या सिधी नही है।

और इतना होने के बावजूद भी आज भी हम ऐसे हमारा दुष्प्रचार करनेवालों से बडे सहिष्णुता से ही जीते है।उनको ससंम्मान की जींदगी देते है।

सोचो अगर पाकिस्तान या सिरिया में रहकर उनके लोगों के खिलाफ अगर ऐसा कोई प्रश्न उठाता 

तो...❓❓❓

उनको वहाँ का समाज माफ करता ❓

जो आज हम कर रहे है ?

सोचो भाईयों सोचो।

यह सामाजिक उद्धेष  निर्माण करने का प्रयास बिल्कुल नही है।अपितु सत्य कथन द्वारा सभी को ससंम्मान जीने का हक प्रदान करने के अधिकार का भाग है।और कानूनी तौर पर तथा भारतीय संविधान के अनुसार और अभीव्यक्ती स्वातंत्र्य के अनुसार यथोचित भी है।


कौन देगा उत्तर ???

हमपर असहिष्णुता का आरोप लगाने वाले सटीक उत्तर देंगे ?


हमारे रगो रगो में मानवता कूटकूटकर भरी है।फिर भी हमें ही निचे दिखाने की बारबार की तथा झूटी कोशिश क्यों कि जाती है  ?और कितने दिनों तक ऐसा चलता रहेगा ?


और अगर इतनी सहिष्णुता दिखाने पर भी हमपर झूटे आरोप लगाये जायेंगे, हमें ही बदनाम करने की कोशिश जानबूझकर की जायेगी 

तो..।???

हम अब ऐसा बर्दाश्त कतई नही करेंगे।क्योंकि सहनशीलता की भी हद होती है।और आज हमारे सर के उपर से पाणी बह रहा है।

हमारे ही देश में रहकर, हमारा ही खाकर,

भारत तेरे तुकडे होंगे

का नारा कोई लगायेगा

अथवा हमारे देविदेवताओं को,साधुसंतों को,संस्कृती को कोई गाली देगा,हमें ही उल्टा बदनाम करने का हमारे खिलाफ षडयंत्र करेगा

तो हम कतई बर्दाष्त नही करेंगे।

क्योंकी यह अत्याचार है।

और अत्याचार का विरोध करना भी हमारे ईश्वरी सिध्दांतों के अनुसार तथा धर्म ग्रंथों के अनुसार ही है।और यथोचित भी।


इतना प्रेम से रहने के बाद भी,इतनी सहिष्णुता दिखाने के बाद भी अगर हमपर झूटा आरोप लगाते है तो हम उसका केवल खंडन ही नही करेंगे अथवा विरोध ही नही करेंगे तो

हमपर झूटे आरोप लगानेवालों को हम बहिष्कृत करेंगे।

हमारा खाकर हमें ही बदनाम करनेवालों के खिलाफ हम मुहिम चलायेंगे।समाज का हर घटक जागृत करेंगे।

समाज की चेतना जगायेंगे।उनको आत्मसंम्मान से जिने का अधिकार दिलायेंगे।

और षडयंत्र कारीयों का असली राक्षसी मुखौटा दुनिया के सामने लाकर,समाज जागृती का तेजी से अभियान चलायेंगे।


कितना भी बडा वाक् चतुर होगा तो भी मेरे सत्य मुद्दों का खंडन कर सकेगा ? मेरे सत्य कथन का खंडन कर सकेगा ?


लिखने को तो बहुत कुछ है।इसी विषय में बडी बडी किताबें भी लिखी जा सकती है।और भी अनेक मुद्दे है।

मगर समय की सिमा के अनुसार  लेखन को विराम देता हुं।क्योंकि यह भी लेख काफी लंबाचौडा हो गया है।

आखिर तक जिज्ञासा वश पठने के लिए आप सभी का आभार।


वैश्विक हिंदुत्व के हमारे अभियान में जुडऩे के लिए हम आप सभी को आवाहन करते है।


अगला विस्तृत विवेचन अगले भाग में।


तब तक के लिए...

हरी ओम्

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विनोदकुमार महाजन

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