हे पार्थ

 हे पार्थ.....* 


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सत्य के लिए,धर्म के लिए लड रहे हे पार्थ,

हे धनुर्धारी,

तुझे समाप्त करने के लिए,

दुर्योधन, दु:शासन की निती,

बहुत गहरी है।

जमीन के निचे की

साजीश भयंकर है।

तुझे फँसाने के लिए

बरबाद करने के लिए

तबाह करने के लिए

समाप्त करने के लिए

हर प्रयास किए जायेंगे

हर जगह पर ,जगह जगह पर

अनेक लाक्षागृह बनाए गये है


सौ दुर्योधन, सौ कंस,सौ रावण जैसे उन्मादी, उन्मत्त हैवान

जगह जगह पर कुनिती

बनाए बैठे है


धर्म के लिए मर मिटने को

सदैव तैयार रहनेवाले

कलियुग के पार्थ

सदैव जागरूक तथा अखंड सावधान रहकर, सतर्कता से 

तुझे कार्य बढाना होगा

हर षडयंत्र को भेदन करके

सहिसलामत बाहर निकलना होगा


दुष्ट, दुराचारी, हिंसाचारी,जहरीले साँप जैसे,

जगह जगह पर अदृष्य रूप से,

जमीन के निचे से कुटिल योजनाएं बनाने वालों से

बचके रहना होगा


अदृष्य विषबाण को

अदृष्य रामबाण से सही उत्तर

देना होगा

और कार्य सफल बनाना होगा


अदृष्य रूप से ईश्वर भी सदैव

तेरी सहायता ही करेगा,

कृष्ण परमात्मा भी तुझे

सहायक होगा


 *मगर....इसके लिए

तेरे हौसले बुलंद चाहिए* 


मगर उसके लिए भी तुझे

पग पग पर सावधानी बरतकर

कृष्ण निती से और भगवत् गीता

के आदर्श सिध्दांतों पर

चलना होगा

और सत्य को सदा के लिए

जिताना होगा


हे पार्थ,

तेरे जीवन का यही उद्दीष्ट है

हाथ में अदृष्य गांडीव लेकर

तुझे लडना होगा

धर्म द्रोही,नास्तिकों के भी

हर प्रयासों को विफल

बनाना होगा


चक्रव्यूह भेदन करके अंदर ही

समाप्त होनेवाले

अभिमन्यु को भी अब बचाना होगा

अभिमन्यु को चक्रव्यूह से

बाहर निकालकर

उसीसे भी कार्य को बढाना होगा


हे पार्थ,

अब तुझे जितने के लिए ही

लडना होगा


पृथ्वी पर लगा हुवा

पाप का भयंकर कलंक धोना होगा


पार्थ,

तुझे लडना होगा

धर्म रक्षा के लिए तुझे

लडना होगा


 *हरी ओम्* 🕉🕉🕉


 *विनोदकुमार महाजन*

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