नियती,निसर्ग और ईश्वर
नियती, निसर्ग और
ईश्वर इनको हम
जैसा देते है ठीक
वैसा ही हमें उनसे
वापिस मिलता है
जो नियती, निसर्ग और
ईश्वर के शरण में
रहकर कार्य करता है
वह वंदनीय होता है
और जो इनके खिलाफ
कार्य करता है
वह निंदनीय होता है
इसीलिए राम की
पूजा कि जाती है
और रावण के पूतले
जलाये जाते है
हरी ऊँ
विनोदकुमार महाजन
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