विश्व व्यापक हिंदुत्व ( भाग २ )

 विश्व व्यापक हिंदुत्व ( लेखांक भाग : - २)

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विश्व व्यापक हिंदुत्व ,लेखांक ( १ )में हमने देखा की किस प्रकार से मानवता और वैश्विक हिंदुत्व का गहरा संबंध है।और फिर भी कुछ लोगों को इस देश में रहने के लिए डर क्यों और कैसे लगता है।


अब देखते है की,

वैश्विक हिंदुत्व का मूलाधार क्या है।

हिंदुत्व ही सनातन है।और सनातन ही संपूर्ण चराचर में और ब्रम्हांड में सर्वव्याप्त है।

हिंदुत्व मतलब सनातन धर्म।

हिंदुत्व मतलब मानवता धर्म।

हिंदुत्व मतलब ईश्वरी सिध्दांत।

हिंदुत्व मतलब मूलाधार।

हिंदुत्व मतलब सृष्टि का कल्याण।

हिंदुत्व मतलब भूतदया।

हिंदुत्व मतलब सर्वाभूती भगवंत।

हिंदुत्व मतलब सभी सजीवों का संरक्षण, संवर्धन,

पेड,जंगलों का,कुदरत का संरक्षण और संवर्धन।

हिंदुत्व मतलब आत्मोध्दार तथा जगदोध्दार।

हिंदुत्व मतलब आबादी आबाद।

हिंदुत्व मतलब रामराज्य।

हिंदुत्व मतलब वसुधैव कुटुम्बकम।

हिंदुत्व मतलब पूर्णत्व।


अब आप सभी को मेरा एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न।

हिंदुत्व का इतना अर्थ होकर भी संपूर्ण विश्व में हिंदुराष्ट्र कितने है ⁉❓


उत्तर ❓

शून्य।

आखिर ऐसा क्यों ❓

वजह ❓


संपूर्ण विश्व में

ईसाई राष्ट्र - अनेक।

मुस्लिम राष्ट्र - अनेक।

बौध्द राष्ट्र - अनेक।

हिंदुराष्ट्र - शून्य।


ऐसा आखिर क्यों हुवा❓

उत्तर,

भयंकर धर्म ग्लानी।


उपाय ❓

संपूर्ण विश्व के सभी मानव समूह की आत्मजागृती,चैतन्य जागृती का तेजी से अभियान चलाना।और सभी की आत्मचेतना द्वारा सनातन के मूल सिध्दांतों से सभी की आत्मा की आवाज जोड देना।


क्या यह संभव है ❓

उत्तर,

दुनिया में तीव्र इच्छा शक्ति के आगे असंभव कुछ भी नही है।


आधार ?

भगवान श्रीकृष्ण की सर्वश्रेष्ठ निती का आचरण तथा भगवत् गीता के सिध्दांतों को संपूर्ण रूप से स्वीकार।


माध्यम ?

१ )संपूर्ण विश्व के सभी भाषाओं में समाज जागृती के लिए अनेक किताबें लिखना।

२) आध्यात्मिक, सामाजिक फिल्मों के निर्माण द्वारा सुसंस्कारित पिढी निर्माण का प्रयास।

३ ) अखबारों में अनेक जागृत लेख लिखना।टिवी चैनलों द्वारा समाज जागृती का अभियान चलाना।


यह कैसे संभव है ?

यह तो दिवास्वप्न लग रहा है।विश्व के अनेक कोनों में बहुमात्रा में आसुरिक शक्तीयों का तथा आसुरिक सिध्दांतों का सर्वदूर साम्राज्य फैला हुवा है।

इसपर विजय कैसे हासिल होगी ?


परकाया सिध्दी नाम की एक सिध्दी होती है।इसीके द्धारा हर एक के आत्मा में प्रवेश करके,

हर एक की आत्म शक्ति जागृत हो सकती है।

इसके लिए संपूर्ण विश्व में फैलने के लिए हजारों,

प्रेम से दुनिया जीतने वाले योध्दाओं की जरूरत होगी।और ऐसे योध्दा की हमें तलाश करनी होगी।जो सनातन संस्कृति के लिए संपूर्ण जीवन ही समर्पित कर सके।


इसके लिए आर्थिक नियोजन कैसे होगा ?

क्योंकि धन के बिना तो कार्य असंभव है।


सही बात है।

हमारे देश की आर्थिक स्थिति आज भयंकर विचित्र है।सोने की चिडिय़ा वाला देश,सोने का धुआं निकालनेवाला देश आज अनेक आर्थिक विपदाओं से लड रहा है।अनेक स्वकीय तथा परकीय आक्रमणकारियों ने देश को अनेक सालों से,हजारों हाथों से लुटा है।

आज लोगों के सामने रोजी रोटी का भी भयंकर प्रश्न है।अनेक गंभीर समस्याएं है।

फ्रांस, इटली, जर्मन जैसे अनेक देश समृध्द,संपन्न हो गये।और हम भुके कंगाल रह गये।फिर आपसी कलह,जातीवाद, क्षेत्रवाद, बैर,द्वेष से भी हमारी संस्कृति का भयंकर पतन हुवा।अनेक षड्यंत्र कारीयों ने विशिष्ट योजना के तहत देश में  सैकड़ों सालों से अराजकता का माहौल बनाकर देश तथा संस्कृति को तबाह करने की कोशिश की।इसके खिलाफ जो भी आवाज उठाता,उसका आवाज ही सदा के लिए बंद कर दिया गया।

आजादी के पहले भी और बाद भी ऐसा भयंकर तबाही का कुटिल षड्यंत्र चलाया गया।अनेक साजिशें रची गयी।जिसके गंभीर परिणाम आज भी देश भुगत रहा है।हमारी भयंकर क्षती हो गई।


संपूर्ण विश्व में सभी को आर्थिक सहयोग करनेवाले देश मिलेंगे।मगर सनातनियों को आर्थिक आधार तथा आर्थिक स्थैर्य देने के लिए कौन आगे आयेगा ?

कोई भी नही।

उल्टा हम ही अंदर ही अंदर आपसी कलह की वजह से दिन बदिन और जादा खोकला बनते जा रहे है।


मेरे जैसे अनेक सनातनी आज भी अंधेरे में भटक रहे है।उजाले का इंतजार कर रहे है।

विश्व में नये किर्तीमान स्थापित करने के लिए

दिनरात एक कर रहे है।

उन्हें ना किसिका आधार है ना सहारा है।

फिर भी ईश्वर के सहारे वह आगे बढने की लगातार कोशिश कर रहे है।


विश्व के अनेक कोने में हमारे सनातनियों पर अनन्वीत अत्याचार हो रहे है।हम प्रसार माध्यमों से विस्तार से समाचार भी सुन रहे है।फिर भी हम उनकी सहायता नही कर रहे है।हम मजबूर है।


मगर फिर भी,

हताश - उदास नही है।असत्य पर जीत हासिल करने के लिए, जी - जान से चौबीसों घंटे प्रयास कर रहे है।


कुछ दिनों पहले बांग्लादेश में हमारे अनेक भाईयों पर हमले किए गये।और हम हतबल होकर केवल तमाशा देखते रहे।बेचैन होकर।


इसीलिए हमें भविष्य में एक ऐसी निती बनानी पडेगी की,एक ऐसी शक्तिशाली योजना बनानी पडेगी की,

संपूर्ण विश्व में कौनसे भी कोने में अगर हमारा सनातनी भाई मुसिबतों में फँसा है 

चाहे वह आर्थिक समस्या का मामला हो,चाहे सामाजिक ,सामुहिक अत्याचार का मसला हो...

उसे मुसीबतों से बाहर निकालने के लिए,हमें

हर जगह पर,

क्विक एक्शन फोर्स बनाना होगा।

केवल एक फोन काँल पर हमसे विश्व के कौनसे भी कोनेसे संपर्क कर सके,और उसको समस्या का हल मिल सके।

और हमें भविष्य में बडे ही ठंडे दिमाग से यह करना ही है।


भाईयों,

लेख बहुत लंबा होता जा रहा है।आपके सहनशीलता का भी जादा अंत अब मैं नही लुंगा।लिखने के लिए और करने के लिए भी बहुत कुछ है।

मगर फिर भी अगला मनोगत

अगले लेख में लिखने का प्रयास करूंगा।


आखिर में एक बात पक्की ध्यान में रखना मेरे भाईयों।

इसी जनम में ही हमें जीतना है।

हमारा मकसद हमें साध्य करना है।

ईश्वरी सिध्दांतों की जीत के लिए हम सभी को इसी जनम में ही

जीत हासिल करनी है।

और हम जीत हासिल करके ही रहेंगे।


बाकी अगले लेख में।

तबतक के लिए,

हरी ओम्

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विनोदकुमार महाजन

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