ईश्वर का प्रसाद

 जब हम हमारी इच्छा 

रखकर कार्य करते है तो

सुखदुःख झेलना पडता है


मगर जब हम ईश्वरी इच्छा

के लिए कार्य करते है

और सबकुछ ईश्वर के

चरणों में समर्मीत करते है

तो जहर भी अमृत बनता है

तथा दुख भी ईश्वर का

प्रसाद बनता है


अनुभव करके तो देखिए

हरी ओम्


विनोदकुमार महाजन

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