ऐ नशीब, दरवाजा खोल

 ऐ नशिब,दरवाजा खोल ! ! !

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खुल जा सिम सिम।कहने पर खजाने का दरवाजा खुलता था।

और अब मैं मुझे और मेरे सभी दोस्तों के लिए कहुंगा,

" ऐ नशिब, दरवाजा खोल दे ।"

मतलब दुख,दर्द, यातना,पिडा,कष्ट, आर्थिक परेशानियों से हम सभी को तुरंत राहत और छुटकारा मिलकर,

हम सभी को आरोग्य, ऐश्वर्य, यश,किर्ती,हर कार्यों में तुरंत यश, सफलता,दिर्घायुता,

पिडादायक शत्रुओं का नाश और सभी कार्यों की सिध्दी हम सभी को तुरंत मिले।

इसिलए मैं कहुंगा,

 "ऐ नशिब, अब दरवाजा खोल।"

नशिब का दरवाजा खुलते ही हमारा तुरंत, "भाग्योदय।"हो जायेगा, और हमें जो चाहिए, जिसकी जीवन में हम अपेक्षा कर रहे थे,वह सभी हम सभी को तुरंत प्राप्त हो।

हम सभी जानी जीगर दोस्त, एक दुसरे के लिए, भगवान से भी ऐसी ही प्रार्थना करते है,

" ऐ नशिब, दरवाजा खोल।"

जो सभी पर पवित्र,शुध्द प्रेम करता है,वह पवित्र आत्मा होता है,और सभी के कल्याण के लिए भगवान को जरूर प्रार्थना करता है।

और जो दुष्ट होता है,वह सभी के विनाश की प्रार्थना करता है,और ऐसे दुष्ट आज समाज में हर जगह पर दिखाई देते है।

तो भी हम सभी ऐसे दुष्टों का विचार छोडकर, हम सभी हमारे सभी के कल्याण हेतु फिर से कहते है,

 "ऐ नशिब, दरवाजा खोल।"


हरी ओम।

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विनोदकुमार महाजन।

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