नर का नारायण और नारी बने नारायणी
*नर का नारायण बने
नारी बने नारायणी*
चौ-याशी लक्ष योनियों में से केवल मनुष्य जन्म ही ऐसा है की,इसमें ईश्वर प्राप्ति तथा आत्मोद्धार संभव है।
पशुपक्षी तो पैदा होते है और मर जाते है।
पैदा होना,चार पैसे कमाना, दो चार बच्चों को जन्म देना यही मर्यादित उद्दीष्ट मानवसमुह का नही है।
ईश्वर प्राप्ति और आत्मोद्धार के साथ, समाजोध्दार,धर्म कार्य, राष्ट्र कार्य भी महत्वपूर्ण होता है।
इसिलिए ही नरदेह का ईश्वरी प्रायोजन है।
मेरे सद्गुरु कृपा से मैंने तो ईश्वर प्राप्ति और आत्मोध्दार तो किया है।समाज, देश और धर्म कार्य के लिए हजारों लेख लिखकर समाज जागृती की एक कोशिश तो कर ही रहा हुं।
और ऐसी आशा भी करता हुं की,मेरे सभी सहयोगी तथा मित्र ठीक इसी रास्ते पर चलकर अपने जीवन का उद्दीष्ट साध्य कर रहे होंगे।
*हर नर का नारायण बने,
हर नारी की बने नारायणी।*
हरी ओम्
*विनोदकुमार महाजन*
Comments
Post a Comment