घर परिवार

 घर परिवार

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साथीयों,

घर परिवार चाहे छोटा हो या बडा,यह परिवार आपसी प्रेम,विश्वास, श्रध्दा, आत्मीयता से चलता है।

धन,

कम हो या जादा अगर परिवार के सदस्य सदैव समाधानी रहेंगे तो उस घर का माहौल स्वर्ग जैसा बनता है।और एक अलौकिक आनंद की प्राप्ती होती है।


मगर,

अगर घर में कोई व्यक्ती व्यसनाधीन है,अथवा अविश्वास, अश्रध्दा का माहौल सदैव बना रहता है तो वह घर परिवार और परिवार के सभी सदस्यों को नारकीय जीवन जीना पडता है।


कभी कभी हमारे घर में एक ऐसा भी व्यक्ती गुप्त रूप से रहता है की उसके पुण्यप्रभाव से संपूर्ण परिवार एक आनंदी जीवन जीता है।

और अगर ऐसा व्यक्ती कुछ कारणवश दूर चला जाता है तो परिवार के सदस्यों को अनेक मुसिबतों का सामना करना पडता है।


इसके साथ ही कोई ऐसा भी व्यक्ती परिवार में होता है की जो हमेशा परिवार के सभी सदस्यों को पिडा तथा नारकीय जीवन देता है।ऐसे व्यक्ती पर चाहे कितना भी प्रेम करे,वह व्यक्ती सभी को हमेशा साँप की तरह डसता ही रहता है।और इसी वजह से पूरा परिवार आत्यंतिक पिडा में रह जाता है।

ऐसे व्यक्तीयों से हमेशा के लिए संबंध विच्छेद करके दूर जाना ही कल्याणकारी होता है।

तभी आत्मशांती मिलती है तथा प्रगती के रास्ते भी खुल जाते है।


मगर प्रारब्ध वश अनेक बार हमें ऐसा अनुभव होता है की,ना ही उस व्यक्ती से हम दूर जा सकते है,अथवा ना ही ऐसे व्यक्तीयों को दूर कर सकते है।ऐसे समय में आत्मक्लेश,आत्मपिडा के सिवाय कुछ भी हासिल नही होता है।

ऐसे भयंकर मुसिबतों से छुटकारा पाने के लिए एक ही पर्याप्त मार्ग रहता है...एकांत में रहना और हमेशा मौन धारण करके ईश्वरी चिंतन करना।


आज परिवार में अनेक जगहों पर शांती के बजाए,अशांती,बेचैनी, अस्वस्थता का माहौल दिखाई देता है।

इसकी वजह भी अनेक प्रकार की होती है।एक तो कलियुग का भयंकर माहौल है।इसके साथ ही संस्कारों का धन भी धिरे धिरे समाप्त होता जा रहा है।संस्कारों में एक ऐसी विशिष्ट शक्ती होती है की,वह सदस्य आत्मसंयमी तथा विचारशील होता है।

मगर यह धन भी धिरे धिरे संपूर्ण देश से ही लुप्त होता जा रहा है।और अनेक घरों में इसी वजह से अशांती का माहौल बनता जा रहा है।

अहंकार, स्वार्थ भाव,दुसरों का दुखदर्द समझने की क्षमता का अभाव इसी कारण से आज संपूर्ण जगत् में तथा हमारे देश में भी सभी को अनेक समस्याओं का सामना करना पड रहा है।


साथीयों,हम सभी को एक होकर ऐसे मुसिबतों का हल ढुंडना होगा और सुसंस्कारित समाज बनाकर,राष्ट्र पुनर्निर्माण का कार्य आगे बढाना होगा।


हरी ओम्

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विनोदकुमार महाजन।

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