** पती पत्नी !!! ***

कितना सुंदर रिश्ता बनाया है भगवान ने!!पती और पत्नी का।दो देह आत्मा एक।जीवन चक्र के रथ के दो चक्र।कितना पवित्र नाता।उच्च स्वर्गीय प्रेम,आपस में संपूर्ण विश्वास,श्रध्दा,आत्मियता।दो आत्माओं की दिव्य अनुभूती।एक दुजे के लिए मर मिटने की,जान देने की हमेशा तैय्यारी।दंभ,स्वार्थ,अहंकार,मेरा-तेरा,इस सभी से आगे कीसोच।एक दुजे के लिए संपूर्ण समर्पित जीवन।है ना अजब का और गजब का रिस्ता?जो भगवान ने बनाया है।पवित्र बंधनों से बंधा हुआ पवित्र रिश्ता।जनम जनम का साथ देने का रिश्ता और वादा भी।दिव्य स्वर्गीय प्रेम।!!
    क्या आप सभी का रिश्ता भी इतना ही पवित्र,मंगल है ना?नही है तो जरुर बनाओ।देखो समर्पित जीवन में कितना आनंद मिलता है।खुद दुखी होकर भी,साथीदार को सुखी करना,खुद भुका होकर भी साथिदार को,खुद भुका रहके,खिलाना।अहाहा!!!कितना स्वर्गीय आनंद।अनुभव करके तो देख लो।सब दुख,दर्द युं ही भाग जायेगा।इसी दिव्य प्रेम से तो, नर का नारायण और,नारी की नारायणी बन जाती है।
   क्या मैं झुट बोलता हूं?बिल्कुल नही।सत्य बोलता हूं।दिव्य अनुभुती करके तो देख लो।
मगर!!!!!
  बस्,शर्त एक है,दोनों को भी,अगर कुछ कमियां,असुरी गुण एक में मौजूद है तो उसे त्याग दो।सिर्फ और सिर्फ पवित्र,उच्च स्वर्गीय दिव्य और समर्पित प्रेम करते रहीए।देखो तुम्हारा घर भी स्वर्ग बनेगा।और ऐसे पवित्र जगह पर ,गुप्त रुप से रहने के लिए ,सदा के लिए खुद माता लक्ष्मीजी के साथ ,खुद नारायण और भी अनेक देवी देवता आयेंगे।बस्स!!!!मन में अतुट विश्वास,श्रध्दा,प्रेम चाहिए।स्वार्थ से हटकर शुध्द और पवित्र प्रेम।
  खुद भगवान भी ऐसे पवित्र और दिव्य प्रेम के लिए दिवाना हो जाता है।तो फिर इंन्सान तो होगा ही।करके तो देख लो ऐसा प्रेम आपस में।आज से,और अभी से।हरी ओम।
  *विनोदकुमार महाजन,
   पत्रकार,

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