बहुत ही रहस्यों से भरा है,
मेरा जीवन।
मृत्यु के बाद भी पंचमहाभुतों का देह,
फिरसे धारण करके,
मिलते है मुझे लोग।
यह,
सपना नही हकीकत है।
अनेक माध्यमों से,
आत्मांएं करती है,
मुझसे संवाद।
आपको यकीन भी नही आएगा,
और ,
आप मानेंगे भी नही,
मगर मुझसे ,
न जाने क्यों?बोलते है.....
मानव की भाषा में गाय,
और कुत्ते भी।
चौ-यांसी लक्ष योनीयां तो,
चलती है ईश्वरी कानून से।
ईन्सान के कानून से ,
मैंबहुत दुखी हूं।
***विनोदकुमार महाजन।

Comments

Popular posts from this blog

ऊँ कालभैरवाय नम :

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र