बुरे लोगों से डरना नहीं।
वास्तव यह है की समाज में बुरे लोग बहुत कम है।मगर सब एक है,और संगठित है।
इससे उल्टा समाज में अच्छे लोग बहुत है,मगर दुर्दैववश निष्र्कीय भी है,संघटित भी नही है,और डरे हुए भी है।
बुरे लोगों में आत्मबल बहुत कम होता है,तो अच्छे लोगों में आत्मबल का भंडार होता है।
इसीलिए बुरे लोगों को कभी भी डरना नही चाहिए।उनका डटकर मुकाबला करना चाहिए।
अगर किसी अच्छे, सच्चे और पुण्यवंतों को कोई बुरा आदमी जानबूझकर भयंकर पिडा या यातनाएं देता है,तो मौन और शांत नही बैठना चाहिए।
आत्मशक्ति, आत्मचेतन और संगठन शक्ति धिरे धिरे बढाकर, निडर होकर बुराईयों का सामना करना चाहिए।
तभी समाज में सत्य की जीत होगी और सच्चे और अच्छे लोगों की किमत बढेगी।
आखिर सभी धर्मग्रंथों का सार भी यही है।
हरी ओम।
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-- विनोदकुमार महाजन।
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