लक्ष्मी स्थिर होने के लिए...!!!

मेरे प्यारे सभी दोस्तों, आप सभी को आज एक अच्छी कहानी सुनाने का मन हुवा है।हो सके तो जरूर पूरी कहानी पढना।अगर कहानी लंबी हो गई तो भी...जरूर पढना।
यह कहानी है माता महालक्ष्मी जी की।
जिस घर में आपस में प्रेम,एक दुसरे पर अतुट 
विश्वास, श्रध्दा होती है,वहाँ सदैव शांती रहती है।और जहाँपर अतुट और सदैव शांती होती है,उस घर में माता महालक्ष्मी जी का निरंतर वास होता है। 
वैसे महालक्ष्मी और अलक्ष्मी (अवदसा )दोनों ही बहने है,ऐसा कहा जाता है।
जहाँ लक्ष्मी का वास होता है वहाँ सुख-शांती-आनंद-समाधान-ऐश्वर्य रहता है।
और जहाँ अलक्ष्मी का वास रहता है वहाँ अशांति, झगड़ा, दारिद्रय,दुख ही रहता है।
और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की,दोनो बहने एक जगह कभी भी नही रह सकती।
तो....
एक बहुत बडा घर था।जिसमें सात भाई और उन सात भाईयों की बिवियाँ अत्यंत आनंद से उस घर में रहते थे।
सबसे बडे भाई के हाथ में सभी आर्थिक कारोबार था।और सभी भाईयों का और उनकी पत्नियों का आपस में विश्वास, प्रेम, श्रध्दा, भाईचारा उच्च कोटी का था।
स्वार्थ, अहंकार, पाप किसी के भी मन को छुता तक नही था।बडा ही आनंदी और स्वर्गीय माहौल था वहाँपर।
और....
इसीलिए उस घर में माता महालक्ष्मी का भी निरंतर वास था।इसिलए सभी प्रकार का ऐश्वर्य वहाँ पर था।

और एक दिन माता महालक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी अर्थात अवदसा महालक्ष्मी को कहती है,
"तु इतने दिनों से इस घर में आनंद से रहती है,जरा मुझे भी कुछ दिन यहाँ रहने का मौका तो दे....।"
तब माता महालक्ष्मी उसको कहती है,
"तेरा इस घर में रहना कभी भी मुमकिन नही होगा।"

और दोनों बहनों में यह तय होता है की,कुछ दिनों के लिए वहाँ से महालक्ष्मी दूर जाए और अवदसा उस घर में घुस जाएं।

जब अवदसा घर में आ गई,तब उसने अपना कारनामा दिखाना शुरू किया।
हुवा यह की,
सभी भाई हमेशा की तरह एक साथ खाना खाने को बैठ गए।
और अवदसा ने किया यह की,
सब्जी में कोई तो भी नमक डालना भूल गई और लाल तिखा मिर्च जादा हो गई।
सब खाना खाने को बैठे थे।

अवदसा सोच रही थी की,शायद नमक और तिखे की वजह से घर में भयंकर उग्र और तीव्र झगडा होगा।और उस घर में सदा के लिए अवदसा का वास्तव्य बना रहेगा।

मगर हुवा यह की,किसी भाई ने अथवा उनकी किसी पत्नी ने बिना कोई शिकायत किए सभी खाना खा लिया।
जैसे कि घर में कुछ हुवा ही नही था।
और खाना खाने के बाद घर के सभी सदस्य अपने अपने कामों में व्यस्त हो गए।
जैसे की नमक और तिखे का और अवदसा का उस घर पर कुछ भी प्रभाव नही हुवा।और घर की शांती भी भंग नही हो गई,जो अवदसा चाहती थी।

थोडी देर बाद माता महालक्ष्मी वहाँ हँसती हुई आई और अवदसा को बोली,
"क्या हुवा ?"
तब अवदसा बडी नाराज होकर बोली,
"नही बहन,यहाँ पर मैं एक पल भी नही रूक सकती।सचमुच यह स्वर्गीय घर तेरा ही है।"
और अवदसा उस घर से सदा के लिए निकल गई।

तो मेरे प्यारे सभी भाईयों,
अगर हमें भी लगता है की,हम सभी के घर में माता महालक्ष्मी जी का निरंतर वास्तव्य हो,
तो.....
हम सभी को उपर के सात भाईयों की तरह और उनकी पत्नियों की तरह,आपस में प्रेम, विश्वास, श्रध्दा से रहना ही होगा।
नुकसान चाहे लाखों का हो,या करोड़ों का।मन की शांती और आपस में बिश्वास कभी भी खोना नही चाहिए।तभी माता महालक्ष्मी उस घर में जरूर रहेगी।

मगर होता यह है की,छोटी छोटी बातों पर हम आपस में अविश्वास, अश्रद्धा दिखाते है।अती स्वार्थ की वजह से हम एक दुसरे पर आरोप लगाते,लडते-झगडते है।शांती का माहौल छोडकर अशांत रहते है,और घर में भी अशांति बनाए रखते है।
और इसी वजह से हमारे घर में लक्ष्मी नही रुकती,और सदैव अवदसा का वास्तव्य रहता है।
एक दुसरे पर आरोप लगाना,झगडा करना।
सब अशांति, अशांति और अशांति।

तो भाईयों,
कथा कैसी लगी .?
अगर आप सभी को लगता है की,हमारे घर में भु सदैव माता महालक्ष्मी का वास्तव्य हो,घर में सुख,शांति, आनंद,ऐश्वर्य रहे....
तो आपस मैं प्रेम,स्नेह बढाओ।
यही तो हमारे विश्व में आदर्श हिंदु संस्कृति के संस्कार है,यही तो हमारी संस्कृति है।

आज मैं मेरे संस्कृति पूजक देश में भयंकर हलकल्लोळ देखता हुं,
तो.....???
सचमुच में भयंकर दुखी होता हुं मैं यारों।आत्मा तडपती है मेरी ऐसा भयंकर नजारा देखकर।
मेरे संस्कृती संपन्न देश को क्या हो गया है आज भाईयों?
सोचो...!!!

हरी ओम।
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आपका,
विनोदकुमार महाजन।

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