ये आझादी है या नंगानाच ?
राष्ट्र उत्थान के लिए लोगों में,समाज में अनुशासन, स्वयंशिस्त बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।
जब व्यक्ती और समाज अनुशासन से राष्ट्रनिर्माण के कार्य में जुड जाता है तो राष्ट्र का विकास जल्दी होता है।
जापान जैसे अनेक देश इसके उदाहरण है।
मगर हमारे देश में आझादी के नामपर,स्वातंत्र्य के नामपर जो अंधाधूंद माहौल बनाकर,नंगानाच करके विकास कार्यों में जानबुझकर जो बाधाएं उत्पन्न की जाती है यह सचमूच में भयंकर निंदनीय है।
विषेशतः प्रिंट मिडिया और इलोक्ट्रोनिक मिडिया के कोई समूह जब समाज में जानबुझकर अफवाएं फैलावर लोगों को उकसाकर,समाज को गलत रास्ते पर ले जाने के लिए मजबूर,विवश कर देती है तो..यह भयंकर समाजविघातक कृत्य है।
जिन माध्यमों पर समाज को सही रास्ता,और सच्ची खबर दिखाने का उत्तरदायित्व होता है..अगर ऐसे माध्यम समाज को विघटित करने का काम जानबूझकर करती है, तो यह अती भयंकर है।ऐसे प्रसार माध्यमों पर तुरंत राष्ट्र द्रोह की धारा लगाकर, सख्त कानूनी सजा दिलवाने का प्रावधान होना अती अनिवार्य और समय की जरुरत हो गई है।
देश में नंगानाच करने को और समाज तितर बितर करने का काम अगर कोई माध्यम करता है तो यह कानूनी अपराध ही है।
व्यक्ति स्वातंत्र्य या फिर अभिव्यक्ति के नाम पर कोई समाज में संभ्रम फैलाने का,और उसके द्वारा राष्ट्र विकास के विपरीत राष्ट्रीय अध:पतन,सामाजिक अध:पतन का कार्य अगर जानबूझकर किया जाता है,
और...
जनता जनार्दन को ही ऐसा भयंकर षड्यंत्र नजर आता है तो..
जनता खूद क्रांति करके ही ऐसे समाज विघातक शक्तीयों को अनेक मार्गों से बहिष्कृत करके,
उनका असली रूप,मुखौटा, नौटंकी का चेहरा फाडकर, उनका असली चेहरा सामने लाती है,और राष्ट्र हित,समाज हित तथा राष्ट्रीय तथा सामाजिक विकास में बाधाएं डालने वाली विकृत शक्तियों पर अंकुश रखकर,ऐसे शक्तियों को जरूर सबक सिखाती है,सिखाकर ही रहती है।
आज पूरे देश में मिडिया के बारे में लोगों में काफी संदेह तथा अविश्वास दिखाई दे रहा है।इसकी वजह केवल यही है की,सत्य को विकृत और बदनाम करने वाले माध्यमों के असली चेहरों को जनता ही अब जान चुकी है,पहचान चुकी है।
ऐसे माध्यमों पर सरकार ,कुछ मजबुरीयों की वजह से अंकुश रख सकें या ना भी रख सके,
जनता जनार्दन ही ऐसे ढोंगियों को बहिष्कृत करेगी,बैन करेगी।और केवल राष्ट्रप्रेमी,समाज को एकसंध बनाने वाले और विकास की ओर ले जानेवाले माध्यमों को ही चुनेगी।
क्योंकि जनता सब जानती है,सब पहचानती भी है।
अभिव्यक्ति के नामपर कोई नंगानाच करके,समाज या राष्ट्र विघटित करने का पाप अगर कोई माध्यम करता है , या फिर समाज में संभ्रम फैलाकर, समाज को तोडऩे का काम,हाहा:कार फैलाने का काम कोई माध्यम से संबंधित व्यक्ति या समूह करता है तो यह अती भयंकर, घोर निंदनीय, और अति पीडादायक भी है।
आझादी के नाम पर नंगानाच करनेवालों को,संभ्रम फैलाने वालों को,
जनता जरूर सबक सिखाकर ही रहेगी।
और यह दिन भी दूर नही की,ऐसी ताकतें अपनी आप मजबूर होकर अपना अस्तित्व ही खो बैठेगी।
सारा असत्य का मामला,
उन झूट बेचनेवालोंपर ही बूमरेंग होगा।
हरी ओम।
------------------------------ --- विनोदकुमार महाजन।
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