धोकेबाज

आक्रमणकारी,धोकेबाज,
लुटारु,देशद्रोही,
हमें क्या मानवता सिखाएंगे?
हम तो है मानवता  के
पुजारी....
इन्सानियत से ही,
विश्व जीतेंगे।
अरे मानवता का पाठ,
हमें पढाने वालों,
पशु पक्षींयों पर भी,
हम प्रेम का नाता,
जोडते है।
सांप के अंदर भी,
विष होकर भी,
हम उसे देवता मानकर,
पुजा करते है।
तुम क्या सिखाएंगे,
हमे मानवता,
हम तो सदियों से,
मानवता के पुजारी ही है।
"भाई"मानकर हमने ,"तुम्हे,"
हमारे ही घर में,
जगह दी।तुमने तो....
कश्मीर,कैराना,केरल,
बंगाल बनाकर,
हैवानियत की भी,
सीमा पार कर दी।
झूटा मुखौटा उतारो,
भगवान की भी ,
अब,
तुम पर
खफा हो गई है मर्जी।
हमारे ही"जयचंद"अब,
मानवता का ढोंग नही पिटेंगे...क्योंकी....
सत्य अब जाग चुका है।
सत्य अब जाग चुका है।
***विनोदकुमार महाजन।

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