सत्य..... क्यों तडप रहा है...?
देश विदेश के ,मेरे सभी सत्यवादी मित्रों को मेरा एक ही प्रश्न है।
जिसका उत्तर अपेक्षित है।
लेख अधिक लंबा भी हो सकता है।फिर भी,हो सके तो आखिर तक पढने की कोशिश जरूर करना।
क्योंकि यह सत्य की खोज भी है,और सत्य की विजय के लिए क्या करना अनिर्वार्य भी है।
सत्य ही ईश्वर का रूप होता है,और युगों युगों से सत्य की जीत पक्की तय होती है।
इसीलिए एक कहावत है,
" सत्य परेशान हो सकता है,मगर पराभूत नही हो सकता।"
अगर यही सच्चाई है तो मित्रों आज सत्य परेशान क्यों है...?
मतलब...
सत्य के रास्ते से चलनेवाला हर शक्स परेशान क्यों है..?
सत्यवादी आज,
कोई भयंकर बिमारियों से जुंझ रहा है,
तो कोई भयंकर आर्थिक परेशानियों से परेशान है।
कोई अनाथ,निराधार है।
तो किसी सत्य वादी व्यक्तियों के घर में अनेक समस्या चल रही है।
चिंता, चिंता और चिंता।
यह सिलसिला कबतक चलेगा ?
और इससे बाहर निकलकर समस्याओं पर मात करके,कब बाहर निकलेगा ?
सत्य आज आसुरिक तथा पैशाचिक वृत्तियों से परेशान है।
सत्य धर्म, सत्य सनातन धर्म,और सत्य के रास्ते पर चलने वाला हर व्यक्ति आज परेशान है।
वजह..?
यही आसुरिक, पैशाचिक, अधर्मी सिध्दांतों से ही आज समाज में परेशानी और सामाजिक असंतुलन बना हुवा है।
आज हमारे देश में ही नही तो संपूर्ण विश्व में ठीक ऐसी ही स्थिति है।
ईश्वरी सिध्दांत और सत्य सनातन ही अंतिम सत्य होनेपर भी आज यही ईश्वरी सिध्दांत, और इसी सिध्दांतों से चलनेवाली हर व्यक्ति, आसुरिक ,हैवानी, स्वार्थान्ध ,विकृत ,सामुहिक,पैशाचिक, राक्षसी वृतियों से तथा व्यक्तियों से परेशान है।
इससे छुटने की,और अंतिम विजय प्राप्त करने की,हर सत्यवादी आज जी जान से कोशिश में लगा हुवा है।
आखिर ऐसा क्यों हो रहा है..?
क्या उन्मत्त कली ने सत्य को बाँध के रखा है..?
या फिर अदृष्य अघोरी शक्तियों द्वारा सत्यवादियों को परेशान किया जा रहा है..?
यह कैसा भयंकर विचित्र चक्रव्यूह है,जिससे बाहर निकलने के लिए हर एक सत्य वादी प्रयत्नशील है।मगर बाहर नही निकल रहा है।
जैसे की अनेक अदृष्य अजगर, साँपों द्वारा सत्यवादीयों को जकड के रखा है,बाँध के रखा है..?
इसकेलिए कुछ उदाहरण देता हुं।
(1) राजे छत्रपति शिवाजी, माता तुलजाभवानी का वरदहस्त होकर भी,
दिल्ली नही जीत सके,और संपूर्ण हिंदुस्तान पर ना ही,
" हिंदवी स्वराज्य ",
की स्थापना कर सके।और नाही पैशाचिक औरंगजेब का बिमोड कर सके।
(2)उनके ही बेटे राजे संभाजी का औरंगजेब द्वारा भयंकर मृत्यु देना।
(3)पृथ्वीराज चौहान।
(4)महाराणा प्रताप।
(5)गुरूगोविन्द सिंह।
(6)पुणा के पेशवा।
(7)सुभाषचंद्र बोस।
(8)सावरकर।
(9)अनेक क्रांतिकारी।
(10)अनेक सत्य वादी साधुसंत।
(11)ऐसे अनेक उदाहरण देखने को मिलेंगे।
विष्णु अवतारी राम और कृष्ण भी आसुरिक, पैशाचिक, अधर्मी वृत्तियों से,व्यक्तियों से परेशान जरूर थे।
मगर राम और कृष्ण ने तो असत्य की हार करके सत्य की,ईश्वरी सिध्दांतों की सदा के लिए जीत ही की थी।
इसीलिए आज भी रामायण, महाभारत का हम श्रध्दा से पाठ करते है।और भगवान को हमारी, सत्य की,हमारे सत्य सिध्दांतों की रक्षा तथा जीत के लिए प्रार्थना भी करते है।
भाईयों, यह सच्चाई है।हमें इसपर विजय प्राप्त करने के लिए, यह भयंकर चक्रव्यूह भेदन करना ही पडेगा।कठोर वैयक्तिक या सामुदायिक तपश्चर्या या साधना द्वारा, असुरिक संपत्ति का सदा के लिए नाश करने के लिए, भगवान से वरदान प्राप्त करना ही होगा।
और हमें जीतना ही होगा।जीतना ही है।और...
हम सभी पुण्यात्माएं इसी कार्य से प्रेरित होकर,ईश्वरी इच्छा से ही आये है।
तो....???
चलो एक विश्वव्यापक रणनीति बनाते है।आपसी मतभेद, मनभेद, बैर,कलह,भूलकर,
सत्य की जीत के लिए, अनादी-अनंत सत्य सनातन की जीत के लिए, ईश्वरीय सिध्दांतों की जीत के लिए,
पशुपक्षियों की,पेड जंगलों की रक्षा के लिए, निसर्ग संतुलन के लिए,
और पैशाचिक, आसुरिक, हैवानियत भरे,राक्षसी वृत्तीयों के बिमोड के लिए,
वचनबद्ध होते है,कटिबद्ध होते है।
ईश्वर निर्मित पृथ्वी का सुंदर स्वर्ग बने न बने,कम से कम प्रचंड विनाषकारी असुरिक शक्ति का विरोध करने के लिए,
हम सभी मानवतावादी, ईश्वर निर्मित,
विश्वमानव को एक करने का,
और सत्य की अंतिम जीत का...
आज,अभी,इसी वक्त..
शुभ संकल्प करते है।
( आखिर तक पढनेवालों का दिल से आभार, धन्यवाद)
हरी हरी: ओम।
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ईश्वरी कृपा प्राप्त,
विनोदकुमार महाजन।
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